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Why ‘X-Men’ Shames Glitzy Successors
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चार महीने बाद शूटिंग पर लौटे अर्जुन कपूर, बोले- 'मैं शुरुआत में थोड़ा घबराया हुआ था मगर बाद में सहज हो गया'

चार महीने पहले हुए लॉकडाउन के बाद से ही इंडस्ट्री पूरी तरह से बंद है। बॉलीवुड एक बेहद कामकाजी इंडस्ट्री है, जिसमें अनगिनत लोग मिलकर कोई सेट लगाते हैं और एक्टर हमेशा उनके साथ बड़े करीब से काम करते हैं। अब सोशल डिस्टेंसिंग के प्रचलन के साथ अनलॉकिंग अवधि चल रही है और इसमें ही इंडस्ट्री के स्टार कामकाज दोबारा शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। अर्जुन कपूर सेट पर वापस आने वाले पहले सेलेब्स में से एक हैं और वे फिर से काम शुरू करने की वकालत कर रहे हैं।

अर्जुन कहते हैं, ''मुझे लगता है कि हम सभी को इस न्यू नॉर्मल के साथ तालमेल बिठाना होगा और आहिस्ता-आहिस्ता अपनी लाइफ को फिर से सजाना-संवारना होगा। चीजें हमेशा के लिए बदल गई हैं लेकिन हम सबको काम तो करना ही पड़ेगा, अपना घर-परिवार चलाना होगा। इसलिए लोग अपने आसपास के माहौल को यथासंभव सुरक्षित बनाएं, ताकि सभी महफूज रहें। काम के मोर्चे पर हमें एक प्रकार की सामान्य स्थिति को बहाल करना होगा। मैंने 4 महीने बाद पहली बार शूटिंग की है।”

अर्जुन ने खुलासा किया कि उनके कमर्शियल शूट के सेट पर किए गए पर्याप्त सुरक्षा उपायों ने उन्हें पूरी तरह से सहज बना दिया था। वह बताते हैं- “मैं स्वीकार करता हूं कि मैं शुरुआत में थोड़ा घबराया हुआ था और बेचैन भी था, लेकिन सुरक्षा के सभी उपाय देखकर मैं फौरन एकदम सहज हो गया। स्वाभाविक है कि दोबारा काम प्रारंभ करने के शुरुआती दिनों में हम सभी को बाहर निकलने में मनोवैज्ञानिक रूप से थोड़ी मुश्किल होगी। लेकिन आज मैं शूटिंग करने और सेट पर कई लोगों के मौजूद होने को लेकर काफी आश्वस्त हूं। ऐसा इसीलिए है कि मैंने उन व्यापक तैयारियों को देखा है जो लोग यह सुनिश्चित करने के लिए कर रहे हैं कि सेट पर हमारी सुरक्षा के उच्चतम उपाय उपलब्ध हों।"

कोविड -19 सेटली संदीप और पिंकी फरारफिल्म

अर्जुन कपूर और परिणीति चोपड़ा स्टारर फिल्म संदीप और पिंकी फरार 19 मार्च को रिलीज की जाने वाली थी। पूरी तैयारी होने के बावजूद महामारी बढ़ने से फिल्म टाल दी गई। इस फिल्म को लेकर फिलहाल कोई अपडेट मेकर्स की तरफ से नहीं आई है।

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Arjun Kapoor returned to shooting after four months, said- 'I was a little nervous initially but later became comfortable'

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सलमान खान की पूर्व मैनेजर रेशमा शेट्टी से 5 घंटे पूछताछ हुई, बयान में कहा- सुशांत से सिर्फ दो बार मिली थी

सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड मामले में मुंबई पुलिस लगातार जांच कर रही है। इसी क्रम में शुक्रवार को सेलिब्रिटी मैनेजर रेशमा शेट्टी से पूछताछ हुई। रेशमा बॉलीवुड की टॉप टैलेंट मैनेजर्स में से एक और सलमान खान की पूर्व मैनेजर हैं। बताया जा रहा है कि शुक्रवार को बांद्रा पुलिस स्टेशन में रेशमा से करीब 5 घंटे तक सवाल-जवाब हुए।

सुशांत से सिर्फ दो बार मिली थीं रेशमा

चूंकि रेशमा ने बॉलीवुड में कई बड़े स्टार्स और फिल्ममेकर्स के साथ काम किया है। इसलिए पुलिस उनसे जानना चाहती थी कि इंडस्ट्री में सुशांत के खिलाफ कोई गुटबाजी तो नहीं थीके मुताबिक, उन्हें यह आइडिया भी नहीं है कि कोई सुशांत को जानबूझकर निशाना बना रहा था।

अक्षय कुमार का काम देखती हैं रेशमा

रेशमा बॉलीवुड की लीडिंग टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी मैट्रिक्स चलाती हैं। इसी कंपनी के अंतर्गत उन्होंने लंबे समय तक सलमान खान का काम देखा और उनकी कई तरह की डील और फिल्में फाइनल कराईं। हालांकि, 2017 में दोनों अलग हो गए।

अब वे अक्षय कुमार का काम देखती हैं। उनके अलावा कटरीना कैफ, आलिया और दूसरे कई बॉलीवुड सेलेब्स के लिए भी वे काम कर रही हैं। वे फिल्मों के साथ सेलेब्स की एंडोर्समेंट डील भी कराती हैं।

अब तक 35 लोगों से पूछताछ

सुशांत केस में मुंबई पुलिस अब तक 35 लोगों से पूछताछ कर चुकी है। इनमें सुशांत का घरेलू स्टाफ, मैनेजर, पीआर टीम, एक्स मैनेजर, दोस्त, गर्लफ्रेंड, को-स्टार और परिवार के सदस्य शामिल हैं।

यशराज फिल्म्स के कुछ पूर्व अधिकारी, कास्टिंग डायरेक्टर शानू शर्मा, फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली से पूछताछ हो चुकी है। वहीं, शेखर कपूर ने अपना बयान मेल किया है। कंगना रनोट को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।

सीबीआई जांच की मांग तेज

सुशांत सिंह राजपूत के फैन्स महाराष्ट्र, बिहार और भारत सरकार से इस मामले में सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहे हैं । भाजपा सांसद रूपा गांगुली और अभिनेता शेखर कपूर भी यह मांग उठा चुके हैं।

अब इस कैंपेन से भाजपा से राज्यसभा सांसद और पूर्व कैबिनेट मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी भी जुड़ गए हैं। उन्होंने एडवोकेट ईशकरण सिंह भंडारी को तथ्यों की जांच कर यह पता लगाने के लिए कहा है कि मामले में सीबीआई जांच की गुंजाइश है या नहीं?

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रेशमा शेट्टी से पुलिस यह जानना चाहती थी कि इंडस्ट्री में सुशांत सिंह राजपूत के खिलाफ कोई गुटबाजी तो नहीं हो रही थी।

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मीजान जाफरी को हमेशा याद रहेंगे दादाजी जगदीप के कहे हुए आखिरी शब्द, तारीफ करते हुए कहा था- 'हैंडसम लग रहे हो'

बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार जगदीप जी 8 जुलाई को दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। सूरमा भोपाली का बेहतरीन किरदार निभाने वाले जगदीप के गुजर जाने पर उनके पोते मीजान जाफरी ने एक इमोशनल नोट शेयर करते हुए उनसे की हुई आखिरी बात शेयर की है। इसी के साथ मीजान ने ये भी बताया कि आखिर उनका नाम सय्यैद इश्तियाक अहमद जाफरी से जगदीप कैसे हुआ।

शुक्रवार को मीजान जाफरी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से दादा के साथ बचपन की तस्वीर शेयर की है। इस तस्वीर के साथ उन्होंने बताया कि जगदीप ने कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था जिसके बाद उन्होंने डायरेक्टर के आसिफ, मेहबूब खान, बिमल रॉय और गुरू दत्त को अपना पिता माना। उन्होंने 70 साल के फिल्मी करियर में 400 फिल्में की हैं।

इश्तियाक जाफरी से कैसे बन जगदीप

मीजान ने अपनी पोस्ट में लिखा, 'मैंने एक दिन उनसे पूछा कि आखिर उनका नाम जगदीप कैसे हुआ तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि वो लोगों की जिंदगी में रोशनी लाना चाहते थे (जग- दुनिया, दीप-रोशनी)। उन्होंने कभी किसी की जिंदगी में दखल नहीं दिया और हमेशा हैप्पी गो लक्की इंसान रहे। जब भी उनके घर में खाना हुआ करता था तो तो वो स्टोरी सुनाते थे। हर उम्र के लोग बच्चों की तरह उनकी कहानी सुना करते थे'।

ऐसी थी दादाजी से आखिरी बातचीत

आगे मीजान लिखते हैं, 'जो लोग ग्रेंडपैरेंट्स होने के बावजूद उनके साथ नहीं रहते, प्लीज उनके साथ थोड़ा समय बिताइए। मैंने अपने दादाजी से उनके निधन के दो दिन पहले बात की थी। मेरे पिता (जावेद जाफरी ) ने उन्हें फोन दिया था जब हम वीडियो कॉल में थे। उन्होंने मुझसे कहा- और बेटा कैसे हो, तुम बहुत हैंडसम लग रहे हो। ये आखिरी बात थी जो मेरे दादाजी ने कही। मुझे नहीं लगता कि मैं कभी उस तस्वीर को भूल पाऊंगा। इसके साथ ही मिजान ने लोगों से अपने ग्रेंडपैरेंट्स से बातचीत करते रहने की अपील की है'।

सूरमा भोपाली की किरादर निभा चुके जगदीप जी का निधन 8 जुलाई को हुआ। उन्हें मुस्तफा बाजार मझगांव स्थित शिया कब्रिस्तान में दफ्नाया गया। उनके बेटे जावेद सुबह ही पार्थिव देह को लेकर कब्रिस्तान पहुंच चुके थे। हालांकि, करीब डेढ़ बजे तक परिवार को मीजान जाफरी के आने का इंतजार करना पड़ा, जो किसी काम के सिलसिले में मुंबई से बाहर थे।

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Meezan Jaffery will always remember the last words of grandfather Jagdeep saying, praising him- 'Handsome Lag rahe Ho'

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Hollywood: एलेक्स राइडर की किताबों से ज्यादा कुछ रीक्रिएट करने की कोशिश नहीं की- र्फेंट
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Hollywood: एलेक्स राइडर की किताबों से ज्यादा कुछ रीक्रिएट करने की कोशिश नहीं की- र्फेंट Hollywood: एलेक्स राइडर की किताबों से ज्यादा कुछ रीक्रिएट करने की कोशिश नहीं की- र्फेंट
अपनी फिल्म 'कांचली' को ओटीटी प्लेटफॉर्म न मिलने पर रो पड़ीं शिखा मल्होत्रा, बोलीं- सुशांत के सुसाइड के बाद से मन में डर बैठा है

कोरोना वॉरियर शिखा मल्होत्रा पेशे से एक्ट्रेस होने के साथ-साथ नर्स भी हैं। करीब 100 दिनों से लगातार मुंबई के एक अस्पताल में सेवाएं दे रही हैं। लेकिन अपने एक्टिंग करियर को लेकर बहुत परेशान हैं। इसकी वजह उनकी फिल्म 'कांचली' है, जिसकी रिलीज के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म नहीं मिल रहे हैं।

शिखा की मानें तो वे अब तक बतौर कैरेक्टर आर्टिस्ट काम करती आ रही हैं और 6 साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्हें फिल्म 'कांचली : लाइफ इन अ स्लो' मिली थी। लेकिन इसकी रिलीज के लिए प्लेटफॉर्म न मिलने की वजह से वे और उनके पैरेंट्स बहुत डरे हुए हैं। खासकर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड के बाद से यह डर और बढ़ गया है।

आपबीती सुनाते रो पड़ीं शिखा

फरवरी में 'कांचली' को चुनिंदासिनेमाघरों में रिलीज किया गया था।एनबीटी से बातचीत में अपनी फिल्म के बारे में बताते हुए शिखा रो पड़ीं। उनके मुताबिक, जहां बड़ी फिल्मों को 3000-4000 स्क्रीन्स मिल जाती हैं। वहीं, उनकी फिल्म को देशभर में सिर्फ 75 स्क्रीन ही मिलीं।

जब ओटीटी प्लेटफॉर्म वालों से बात की जाती है तो वे यह कहकर इसे स्ट्रीम करने से इनकार कर देते हैं कि इस तरह की फिल्म के लिए कोई सेगमेंट नहीं है। बकौल शिखा, "ओटीटी प्लेटफॉर्म वाले कैसे यह तय कर सकते हैं कि फिल्म चलेगी या नहीं? अगर ऑडियंस मुझसे कहेगी कि मैं नर्स ही ठीक हूं तो मैं मान भी लूं।"

शिखा ने बताई डर की वजह

शिखा ने इस बातचीत में बताया कि जब से सुशांत सिंह राजपूत ने सुसाइड किया है, तब से उनके और उनके पैरेंट्स के मन में डर बैठा हुआ है। वे कहती हैं, "जब इतने बड़े एक्टर के साथ ऐसा हो सकता है तो मैं तो बहुत ही छोटी-सी एक्ट्रेस हूं। मैं हमेशा अपनी फिल्म के बारे में सोचती रहती हूं। मुझे नींद नहीं आती। मेरे माता-पिता मुझसे पूछते हैं कि सब ठीक तो है? सुशांत की मौत के बाद से वे मेरे लिए बहुत डरे हुए हैं।"

अस्पताल में खाना खा रही हैं शिखा

शिखा की मानें तो उन्होंने चार महीने से घर का किराया नहीं चुकाया है। इसके अलावा अगर उन्हें अस्पताल में खाना न मिलता तो उनके लिए बहुत मुश्किल हो जाती। उनके मुताबिक, वे कई घंटे अस्पताल में काम करती हैं। पिछले कुछ महीनों से वहीं खाना खाती आ रही हैं। फिल्म की रिलीज अटक जाने से उनकी हालत और खराब हो गई है।

कोरोना पेशेंट्स की देखभाल कर रहीं शिखा

शिखा ने फिल्मों में एंट्री लेने से पहले नई दिल्ली स्थित वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज, सफदरगंज से नर्सिंग का कोर्स किया था। इसलिए जब देश में कोरोनावायरस का प्रकोप बढ़ा तो उन्होंने भी संक्रमित लोगों की देख-रेख करने का फैसला किया है। करीब 100 दिन से वे मुंबई के जोगेश्वरी ईस्ट स्थित हिंदू हृदय सम्राट बालासाहब ट्रॉमा हॉस्पिटल में वालंटियर नर्स के रूप में काम कर रही हैं।

फिल्म में संजय मिश्रा की भी अहम भूमिका

'कांचली' में शिखा के अलावा संजय मिश्रा, ललित परिमू, नरेशपाल सिंह चौहान की भी अहम भूमिका है। फिल्म की स्टोरी राजस्थान के लोक कहानीकार विजयदान देथाम की कहानी पर आधारित, जिसमें सोशल वेलफेयर का संदेश दिया गया है। फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर देदीप्य जोशी हैं।

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शिखा करीब 100 दिन से मुंबई के जोगेश्वरी ईस्ट स्थित हिंदू हृदय सम्राट बालासाहब ट्रॉमा हॉस्पिटल में वालंटियर नर्स के रूप में काम कर रही हैं।

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शहरों की भीड़ में खो रही खुशियों की कहानी बयां करती है साल 2017 में आई शॉर्ट फिल्म 'हैप्पीनेस', आंखें खोल देगी स्टीव कट्ट की एनिमेटेड फिल्म

काम और कामयाबी की तलाश में गांव और छोटे शहरों को छोड़कर मेट्रो सिटीज की तरफ रुख कर लेना इन दिनों आम बात हो गई है। हर व्यक्ति इन दिनों एक बड़ी भीड़ का हिस्सा बनने के लिए मजबूर है। ऐसी हीकहानी बयां करती है स्टीव कट्ट की साल 2017 में रिलीज हुई शॉर्ट फिल्म 'हैप्पीनेस'।

स्टीव कट्ट एक एनिमेशन आर्टिस्ट हैं जो जिंदगी और सोसाइटी से जुड़ी कहानियां एनिमेशन के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाते हैं। साल 2017 में आई 4 मिनट 33 सेकंड कीफिल्म 'हैप्पीनेस' चूहों की दौड़ की कहानी है जिसे इन दिनों इंसान जी रहे हैं। ये कहानी हर उस शख्स के इमोशन्स के साथ खेलती है जो हर सुबह काम और दफ्तर के लिए लाखों की भीड़ के बीच से संघर्ष करके गुजरता है। लोग भीड़ में अपनी खुशी और पहचान भी खो देते हैं। ये महज एक दिन की कहानी नहीं है। शहर की भीड़ में हर इंसान की खुशियां कहीं गुम हो चुकी हैं। हर शख्स एक मीडिओकर बनकर डिप्रेशनमें जिंदगी जीने के लिए मजबूर है।

शॉर्ट फिल्म सोसाइटी और जिंदगी से जुड़े कई अहम मैसेज दे रही है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे हर शख्स भीड़ का हिस्सा बना हुआ है। खुशियां ढूंढने के लिए कभी लोग शराब तो कभी दवाइयों का सहारा ले रहे हैं। हर कोई खुशियों के बजाय इन दिनों पैसों के पीछे भाग रहा है और इस लालच ने उन्हें एक मामुली दफ्तर में फंसा दिया है।

'हैप्पीनेस' फिल्म कई तरह से मेट्रो सिटीज की कहानी बयां करती हैं जहां लोगों की नींद ट्रेफिक के शोर से खुलती है। हर कोई मेट्रो, बसों, सड़कों और सबवे की एक बड़ी भीड़ का हिस्सा है। मेट्रो सिटी में ऐसे कम ही लोग हैं जो शायद बिना धक्का खाए अपने दफ्तर पहुंचते हैं। इन सब का मुख्य कारण है जनसंख्या। लोग अपने शहरों को छोड़कर बड़े शहरों में बड़े अवसर की तलाश में निकलते हैं। अगर शहरीकरण सही तरह से हो और हर शहर में लोगों को अच्छे अवसर मिलें तो शायद मेट्रो सिटीज की तरफ भागने का ट्रेंड कम हो जाए।

स्टीव कट्ट कई सालों से लगातार सोसाइटी के स्टीरिओटाइप पर बेहतरीन शॉर्ट फिल्में बनाते रहे हैं। लोगों की आंखे खोल देने वाली फिल्में बनाने के लिए स्टीव को कई अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।

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The short film 'Happiness' tells the story of happiness lost in the crowd of cities,Steve cutt's animated film will open the eyes

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सुब्रमण्यम स्वामी ने उठाया सलमान, शाहरुख, आमिर की चुप्पी पर सवाल, तीनों की संपत्ति की जांच की सलाह भी दी

सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड मामले में सीबीआई जांच के पक्ष में उतरे सुब्रमण्यम स्वामी ने बॉलीवुड के तीनों खान सलमान, आमिर और शाहरुख की चुप्पी पर सवाल उठाया है। इसके साथ ही भाजपा से राज्यसभा सांसद और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी ने तीनों खानों की संपत्ति की जांच की सलाह भी दी है।

क्यों चुप हैं तीनों बाहुबली?

स्वामी ने तीनों खानों को बाहुबली की संज्ञा दी है और सवाल उठाते हुए अपने ट्वीट में लिखा है, "बॉलीवुड के तीन बाहुबली सलमान खान, शाहरुख खान और आमिर खान सुशांत सिंह राजपूत के कथित सुसाइड मामले पर चुप क्यों हैं?"

तीनों खान की संपत्ति की जांच हो: स्वामी

एक अन्य ट्वीट में स्वामी ने तीनों खानों की संपत्ति की जांच की सलाह दी है। उन्होंने लिखा है, "तीनों खान बाहुबलियों की भारत और विदेशों, खासकर दुबई में मौजूद संपत्ति की जांच की जानी चाहिए। किसने उन्हें बंगले गिफ्ट किए? कैसे उन्होंने यह संपत्ति खरीदी? ईडी की एसआईटी, आईटी और सीबीआई द्वारा इसकी जांच होनी चाहिए। क्या वे कानून से ऊपर हैं?"

ट्विटर यूजर्स ने किया स्वामी का समर्थन

तीनों खान पर जब स्वामी ने सवाल उठाया तो ट्विटर यूजर्स भी उनके समर्थन में उतर आए। एक यूजर ने कमेंट में लिखा, "जब संजय दत्त जेल गए तो वे सभी (बॉलीवुड स्टार्स) उनके सपोर्ट में आए थे और अब जब उनके बीच में से एक सुशांत सिंह राजपूत की मौत हो गई तो कोई कुछ नहीं बोलता। लानत है पूरी बॉलीवुड गैंग पर।"

एक अन्य यूजर का कमेंट है, "सर कुछ लोगों को छोड़कर (जो जाहिरतौर पर बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्री में आउटसाइडर हैं) पूरा बॉलीवुड गूंगा, बहरा, अंधा हो गया है। ठीक है, उन्हें चुप ही रहने दो। जब उनकी फिल्में रिलीज होंगी, तब हम अपनी ताकत दिखाएंगे।अब मुझे इस लड़ाई में मजा आ रहा है।"

एक यूजर ने अमिताभ बच्चन और पीएम मोदी को भी निशाने पर लिया। उसने लिखा है, "सिर्फ यही तीन नाम क्यों? कोई स्टैंड नहीं ले रहा। न अमिताभ बच्चन, न ही मोदी और न उसके अपने परिवार वाले। किस-किसका नाम लूं।"

गुरुवार को सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर यह जानकारी दी थी कि उन्होंने एडवोकेट, इकोनॉमिस्ट और पॉलिटिकल एनालिस्ट ईशकरण सिंह भंडारी को सुशांत सिंह राजपूत मामले में तथ्यों की जांच करने को कहा है ताकि वे यह समझ सकें कि केस में सीबीआई जांच की गुंजाइश है या नहीं।

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सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर पूछा है कि तीनों खान के पास भारत और विदेशों में इतनी संपत्ति कहां से आई है?

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कंगना रनोट ने शुरू की धाकड़ की तैयारी, वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए वर्चुअल स्क्रिप्ट रीडिंग सेशन का हिस्सा बनीं

कंगना रनोट ने काम दोबारा शुरू कर दिया है। वह घर से ही अपनी आनेवाली फिल्म धाकड़ की वर्चुअल स्क्रिप्ट रीडिंग सेशन का हिस्सा बनीं। इस वीडियो कॉन्फ्रेसिंग में उनके अलावा फिल्म के डायरेक्टर रजनीश घई, राइटर रितेश शाह और प्रोड्यूसर सोहेल मकलई मौजूद थे। इस कॉन्फ्रेसिंग की फोटो कंगना के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर उनकी टीम द्वारा शेयर की गईं।

टीम ने लिखा, 'कंगना और धाकड़ की टीम का वर्चुअल स्क्रिप्ट रीडिंग सेशन शुरू क्योंकि अब फिल्म की तैयारी शुरू कर दी गई है।' LockdownScriptSessions

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एक्शन-ड्रामा है धाकड़: कंगना स्टारर धाकड़ जबरदस्त एक्शन से भरपूर फिल्म होगी। फिल्म के टीजर में कंगना मशीन गन चलाती नजर आई थीं और उनके इस अंदाज को बेहद पसंद किया गया था। फिल्म के बारे में बातचीत करते हुए कंगना ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'यह फिल्म इंडियन सिनेमा के लिए टर्निंग पॉइंट साबित होगी, यह पहली महिला प्रधान एक्शन फिल्म है जो इतने बड़े स्केल पर बनाई जा रही है।'

फिल्म बंद होने की खबरें थीं: मार्च में फिल्ममेकर अहमद खान ने यह कहकर विवाद पैदाकर दिया था कि फिल्म बंद हो गई है। उनका कहना था कि महिला प्रधान एक्शन फिल्में बॉक्सऑफिस पर नहीं चल पातीं और इसका उदाहरण मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी है।

इसी के फ्लॉप होने कारण धाकड़ को नहीं बनाने का फैसला लिया गया है। लेकिन अहमद की इन बातों का खंडन करते हुए कंगना की बहन और मैनेजर रंगोली चंदेल ने ट्विटर पर कहा था कि फिल्म के बंद होने की खबरें गलत हैं। धाकड़ के डायरेक्टर रजनीश घई ने भी स्पष्ट कर दिया था कि वह यह फिल्म बना रहे हैं।

फिल्म की शूटिंग फरवरी 2020 में शुरू होने वाली थी लेकिन लॉकडाउन के कारण ऐसा नहीं हो सका। फिल्म दिवाली के मौके पर 2020 में रिलीज होनी थी लेकिन ऐसा होना भी अब मुश्किल है क्योंकि अभी फिल्म की शूटिंग शुरू हो नहीं हो सकी है।

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Kangana Ranaut begins prep for Dhaakad, shares photo virtual script reading session

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बिहार में चौक और सड़क को मिला अभिनेता का नाम, पीएम मोदी को सीबीआई जांच के लिए पत्र भी लिखा

दिवंगत सुशांत सिंह राजपूत को उनके चाहने वाले अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजलि दे रहे हैं। इसी क्रम में अभिनेता के गृहनगर पूर्णिया में उनके नाम पर एक सड़क और चौक का नाम रखा गया है। मेयर सविता सिंह ने नगर निगम की ओर से सुशांत को श्रद्धांजलि दी और फोर्ड कंपनी चौक का नाम बदल कर सुशांत सिंह राजपूत चौक किया है। वहीं, मधुबनी चौक से माता चौक की ओर जाने वाली सड़क का नाम सुशांत सिंह राजपूत पथ कर दिया गया है।

सोशल मीडिया पर फोटो-वीडियो वायरल

सोशल मीडिया पर इससे जुड़ा एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें देखा जा सकता है कि कुछ लोग चौक पर सुशांत सिंह राजपूत चौक नाम की पट्टी का अनावरण कर रहे हैं। इसी तरह सड़क पर लगी उस तख्ती की फोटो भी सोशल मीडिया पर आई है, जिस पर सुशांत सिंह राजपूत पथ लिखा हुआ है।

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सरकार से सीबीआई जांच की मांग की

सविता सिंह ने बिहार और भारत सरकार से सुशांत सिंह मामले में सीबीआई जांच की मांग भी की है। उन्होंने सीएम नितीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में लिखा है, "मुझे भारत व बिहार सरकार पर पूरा भरोसा है कि सरकार सीबीआई जांच की अनुमति जरूर देगी।"

केस में अब तक क्या हुआ

14 जून को सुशांत सिंह राजपूत मुंबई स्थित अपने घर में मृत पाए गए थे। पोस्टमॉर्टम और विसरा रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई है कि सुशांत की मौत फांसी लगाने के बाद दम घुटने से हुई है।

पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। हां उनके घर से मिले डॉक्टर के पर्चों और दवाओं से उनके डिप्रेशन में होने की बात जरूर पुख्ता हुई है। लेकिन पुलिस सुसाइड की असली वजह तक अभी भी नहीं पहुंच पाई है।

मामले में अब तक 34 लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें सुशांत का घरेलू स्टाफ, मैनेजर, पीआर टीम, एक्स मैनेजर, दोस्त, गर्लफ्रेंड, को-स्टार और परिवार के सदस्य शामिल हैं। यशराज फिल्म्स के कुछ पूर्व अधिकारी और कास्टिंग डायरेक्टर शानू शर्मा के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। कुछ और अधिकारियों से पूछताछ होगी। शानू को भी दोबारा पुलिस स्टेशन बुलाया जा सकता है।

फिल्मों में सुशांत को रणवीर सिंह से रिप्लेस करने के दावों पर सोमवार को फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली से 3 घंटे पूछताछ हुई। सूत्रों की मानें तो इसमें उनसे 30 सवाल पूछे गए थे। भंसाली ने कहा कि सुशांत को उन्होंने रिप्लेस नहीं किया था, बल्कि वे खुद फिल्में छोड़कर गए थे।

फिल्ममेकर शेखर कपूर अपना स्टेटमेंट पुलिस को मेल कर चुके हैं। कंगना रनोट को भी बयान दर्ज कराने बुलाया जा सकता है। कंगना ने जहां खुलकर आरोप लगाया है कि सुशांत को बॉलीवुड का नेपोटिज्म ले डूबा तो वहीं, शेखर कपूर ने भी ऐसे ही संकेत दिए थे।

इस बीच भाजपा सांसद रूपा गांगुली और अभिनेता शेखर सुमन के बाद राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी भी सीबीआई जांच के पक्ष में आ गए हैं। उन्होंने वकील ईशकरण भंडारी से कहा है कि देखो, इस मामले में क्या सीबीआई जांच की गुंजाइश बनती है।

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Sushant Singh Rajput Suicide: A Road And Chowk named after Actor in his hometown in Bihar

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परिवार, पास्ट और पाप- पुण्य के कंधों पर सवार है 'ब्रीदः इंटू द शैडोज' की कहानी

'ब्रीद : इनटू द शैडोज' अभिषेक बच्चन का डिजिटल डेब्यू है। वह एक मनोचिकित्सक अविनाश सब्बरवाल की भूमिका में हैं। अविनाश की 6 साल की बेटी के किडनैप के नौ महीने बाद किडनेपर का एक कॉल आता है जिससे उनकी जिंदगी बदल जाती है। किडनैपर उनके बेटी के बदले एक शख्स का मर्डर करने के लिए कहता है पर उसे ऐसे दिखाना होगा कि उसका कत्ल नहीं, बल्कि वह अपने ही गुस्से और वासना का शिकार हुआ है। यहां अविनाश के पास बात मानने के अलावा कोई च्वॉइस नहीं है। अविनाश चूंकि पुलिस विभाग के लिए मनोचिकित्सक का काम करता रहा है, इसलिए पुलिस भी इस केस में उसकी मदद करती है। ब्रीद के पहले सीजन के पुलिस अफसर कबीर सावंत इस केस में भी अविनाश की मदद के लिए सामने आते हैं।

पिछली बार की तरह इस बार भी लीड किरदार अपने परिवार के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहा है। थीम उसी पर है। पिछली बार की तरह इस बार भी डायरेक्टर मयंक शर्मा ने यह जस्टिफाई करने की कोशिश की है कि अगर परिवार को बचाने के लिए किसी का खून भी होता है तो वह शायद गलत नहीं है। मयंक शर्मा ने किरदारों में स्प्लिट पर्सनैलिटी का भी उपयोग किया है। ताकि सस्पेंस क्रिएट किया जा सके।

मायथोलॉजिकल कहानियों के दर्शन का इस्तेमाल अविनाश, कबीर सावंत, सिया सब्बरवाल, आभा सब्बरवाल, शेरिल समेत अन्य किरदारों के काम को सही ठहराने के लिए किया गया है। हालांकि वो सतही से बन पड़े हैं। उस तरह की फिलॉसफी इंप्रेस नहीं कर पाती है।

ग्रे शेड में नहीं दिखी अभिषेक की दमदार एक्टिंग

अभिषेक बच्चन अपने रोल में अनुशासित भाव से रहे हैं, मगर जब जब ग्रे शेड में वह आते हैं, वहां उनका एफर्ट जरा कम नजर आता है। नित्या मेनन ने आभा सब्बरवाल के तौर पर औसत काम किया है। मिशन मंगल में वह ज्यादा अच्छी लगी थी। अमित साध वैसे ही रहे हैं, जैसे पिछले सीजन में कबीर सावंत के रोल में थे। शेरिल के तौर पर सेक्स वर्कर के रोल में हैं सैयामी खेर। उनके पास करने के लिए कुछ खास नहीं था।

शो में जो विलेन है,उसने शायद डेविड फिंचर की सेवन और टॉम हैंक्स की इनफर्नो देखी थी। वह ठीक उसी तरह लोगों के खून करवाता है, लगे कि क्रोध, वासना, झूठ ने उसकी जान ली है, जैसा उन दोनों फिल्मों में विलेन हत्या नहीं करता और करवाता है। मयंक शर्मा की यह क्राइम थ्रिलर कहीं-कहीं फैमिली ड्रामा में घुल और भूल जाती है। भटक जाती है। स्प्लिट पर्सनैलिटी का मयंक शर्मा सही से उपयोग नहीं कर पाए हैं। थ्रिलर में हर एक सीन ठोस तर्क की मांग करता है। यहां पर जैसे ही स्प्लिट पर्सनैलिटी का प्लॉट आता है, तर्क गायब हो जाता है। किरदारों के साथ वह अकस्मात होने वाली घटनाओं की बमबारी करने लगते हैं। वह बड़ा ही बचकाना सा लगने लगता है।

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Family, Past and Sin- The story of 'Breath: Into the Shadows' is riding on the shoulders of virtue

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