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38 साल पहले जुलाई के महीने में ही 62 दिन के लिए अस्पताल में भर्ती हुए थे अमिताभ, जीने की जिद के आगे मौत ने टेक दिए थे घुटने

कोरोना वायरस से संक्रमण के बाद महानायक अमिताभ बच्चन मुंबई के नानावटी हॉस्पिटल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं। उनकी हालत स्थिर है और ऑक्सीजल लेवल भी सामान्य बताया जा रहा है। इस बीच दुनियाभर में उनके चाहने वाले उनकी सलामती की दुआ कर रहे हैं। 38 साल पहले भी वह जुलाई का महीना ही था, जब बिग बी गंभीर रूप से घायल हुए थे और उन्हें 62 दिन अस्पताल में बिताने पड़े थे। तब जिंदगी जीने की उनकी जिद के आगे मौत ने भी घुटने टेक दिए थे।

डालते हैं उन 62 दिनों की कहानी पर एक नजर:-

24 जुलाई 1982 को हुआ था हादसा
अमिताभ के साथ ये हादसा 24 जुलाई, 1982 को बेंगलुरु में हुआ था। फिल्म 'कुली' ले एक फाइट सीन की शूटिंग चल रही थी। इसमें पुनीत इस्सर का घूंसा अमिताभ के मुंह पर लगना था, जिससे वे एक टेबल पर गिरते हैं।

मनमोहन देसाई के निर्देशन में बनी 'कुली' 2 दिसंबर 1983 को सिनेमाघरों में रिलीज किया गया था।

सीन के लिए बॉडी डबल के सहारे की बात कही गई थी, लेकिन अमिताभ इसे खुद करने पर जोर दिया। ताकि सीन रियल लगे। सबकुछ के मुताबिक हुआ और सीन पूरी तरह रियल लगा। लोगों ने तालियां बजाईं और अमिताभ भी मुस्कुराए। लेकिन तभी उनके पेट में हल्का दर्द शुरू हुआ। टेबल का एक कोना उनके पेट में बुरी तरह चुभ गया था।

सभी को लगा मामूली चोट है

सभी को ये चोट मामूली लग रही थी, क्योंकि खून की एक बूंद भी नहीं निकली थी। अमिताभ होटल में आराम करने चले गए, लेकिन दर्द कम नहीं हुआ। अगले दिन यानी 25 जुलाई को यह दर्द कम होने की बजाय बढ़ गया। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। एक्स-रे हुआ, लेकिन डॉक्टर्स को कुछ समझ नहीं आया और अमिताभ को नींद की गोली देकर सुला दिया गया।

खबर मिलते ही मां तेजी, पत्नी जया और भाई अजिताभ बेंगलुरु पहुंचे। वे उन्हें वो उन्हें मुंबई लाना चाहते थे, लेकिन डॉक्टर्स ने इजाजत नहीं दी। तीसरे दिन यानी 26 जुलाई को अमिताभ की स्थिति और बिगड़ गई।

इसी बीच वेलोर के जाने-माने सर्जन एचएस भट्ट किसी काम से हॉस्पिटल में आए हुए थे। जब यूनिट ने उनसे बहुत आग्रह किया तो वे अमिताभ का केस स्टडी करने के लिए तैयार हो गए। रिपोर्ट देखने के बाद उन्होंने कहा कि यदि आज दवाओं से अमिताभ की हालत नहीं सुधरी तो कल ऑपरेशन करना पड़ेगा।

फोटो 1982 में तब की है, जब अमिताभ मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में भर्ती। उस वक्त अभिषेक बच्चन 6 साल के थे।

पेट चीरने के बाद हैरान थे डॉक्टर

27 जुलाई, 1982 को डॉक्टर्स ने ऑपरेशन का फैसला लिया। उन्होंने पेट चीरकर देखा तो हैरान रह गए। अमिताभ के पेट की झिल्ली (जो पेट के अंगो को जोड़े रखती है और केमिकल्स से उन्हें बचाती है) फट चुकी थी। छोटी आंत भी फट गई थी। इस स्थिति में किसी भी इंसान का 3 से 4 घंटे जीवित रह पाना मुश्किल होता है। लेकिन अमिताभ 3 दिन तक इस कंडीशन से गुजरे।

डॉक्टर्स ने पेट की सफाई की, आंत सिली। उस वक्त अमिताभ को पहले से ही कई बीमारियां (अस्थमा, पीलिया के कारण एक किडनी भी खराब हो चुकी थी, डायबिटीज) थीं। ऐसे में वे इतने दिन इस प्रॉब्लम से कैसे लड़े ये किसी आश्चर्य से कम नहीं था।

शरीर में फैल गया था जहर, खून भी हो गया था पतला

28 जुलाई यानी ऑपरेशन के एक दिन बाद अमिताभ को निमोनिया भी हो गया। उनके शरीर में जहर फैलता जा रहा था, खून पतला हो रहा था। ब्लड डेंसिटी को सुधारने के लिए बेंगलुरु में सेल्स मौजूद नहीं थे, जिन्हें मुंबई से मंगवाया गया।

खून में सेल्स मिलाने के बाद अमिताभ की स्थिति 4 दिनों में पहली बार कुछ सुधरी थी, लेकिन अगले ही दिन फिर उनकी हालत खराब हो गई और जैसे-तैसे उन्हें संभाला गया। मीटिंग कर डॉक्टर्स ने तय किया कि अमिताभ को मुंबई ले जाना ही सही होगा, वहां बेहतर इलाज की सुविधा थी।

फाइनली, एयरबस के जरिए अमिताभ को मुंबई ले जाना तय हुआ। स्टेचर पर लेटे अमिताभ को क्रेन की मदद से एयरबस में शिफ्ट किया गया। एयरबस 31 जुलाई की सुबह करीब 5 बजे मुंबई पहुंची। बिग बी को ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल की दूसरी मंजिल पर स्पेशल विजिलेंस वॉर्ड में रखा गया। 1 अगस्त की सुबह तक उनकी हालत में काफी सुधार था।

अमिताभ बच्चन की सलामती के लिए देशभर में दुआ और प्रार्थनाओं का दौर चला था।

फिर डॉक्टर्स ने पहली बार कहा, दवा नहीं दुआ की जरूरत

2 अगस्त को अचानक अमिताभ की कंडीशन फिर बिगड़ गई। शरीर में लगातार जहर फैल रहा था। डॉक्टर्स के मुताबिक, दोबारा ऑपरेशन करना जरूरी हो गया था। 3 घंटे तक ऑपरेशन चला और डॉक्टर्स ने पहली बार कहा कि अमिताभ की हालत नाजुक है। उन्हें दवाओं के साथ दुआओं की भी जरूरत है।

अमिताभ की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी। डॉक्टर्स ने इसके लिए कृत्रिम नली लगाई। अगले कुछ दिनों तक अमिताभ की सेहत में कई उतार-चढ़ाव हुए। कभी उन्हें 101 डिग्री बुखार आया तो कभी आंतों पर पस पड़ गया।

200 लोगों का खून अमिताभ को चढ़ाया गया था

हर आम-खास व्यक्ति उन्हें खून देने के तैयार था। पुनीत इस्सर की पत्नी, शम्मी कपूर की बेटी और परवीन बाबी सहित 200 लोगों का खून अमिताभ को चढ़ाया गया था। डॉक्टर्स ने यह तक कह दिया था कि अब तो कोई चमत्कार ही इन्हें बचा सकता है।

इसी के साथ देशभर में अपने चहेते स्टार के लिए लोगों ने प्रार्थनाएं करनी शुरू कर दीं। तमाम मंदिरों और धार्मिक स्थलों में लोग अमिताभ की सलामती की दुआ मांगने के लिए उमड़ पड़े। जया खुद जब प्रार्थना करने सिद्धि विनायक मंदिर गई तो देखकर हैरान रह गईं कि वहां पहले से ही हजारों लोग अमिताभ की सलामती की दुआ मांग रहे हैं, जिन्हें काबू में करने के लिए भारी मात्रा में पुलिसबल तैनात था। देशभर में कई जगह हवन हुए। यहां तक कि साउथ की एक एक्ट्रेस ने उज्जैन में अमिताभ की सलामती के लिए महामृत्युंजय जाप तक करवाया था।

तीन दिन बाद हालत में सुधार होना शुरू हुआ

2 अगस्त को हुए ऑपरेशन के तीन दिन बाद, बच्चन पहली बार फिजियोथेरेपिक मसाज, वॉकमैन पर हल्के जैज सुनने और परिवार के सदस्यों के लिए नोट लिखने के लिए बैठने में सक्षम हुए। 8 अगस्त को सोनिया गांधी दिल्ली से मुंबई उन्हें देखने पहुंचीं। बिग बी को खाने में तरल भोजन दिया गया।

सोनिया गांधी और इंदिरा गांधी अमिताभ को देखने दिल्ली से मुंबई पहुंची थीं।

अनुमान लगाया गया कि उनकी आंतों ने काम करना शुरू कर दिया है। हालांकि, डॉक्टर्स ने कहा कि उन्हें पूरी तरह खतरे से बाहर घोषित करने में अभी एक पखवाड़े का वक्त और लगेगा। हालांकि, ठीक होने के बाद करीब डेढ़ महीने तक बिग बी डॉक्टर्स की निगरानी में अस्पताल में ही रहे।

24 सितंबर को मिली थी अस्पताल से छुट्टी, कहा था- खत्म हुई मौत से लड़ाई

24 सितंबर को आखिरकार अमिताभ को ब्रीच कैंडी अस्पताल से छुट्टी मिल गई। लोगों की बेकाबू भीड़ उनका इंतजार कर रही थी। ठीक होने पर अपने प्रशंसकों का धन्यवाद देते हुए अमिताभ ने कहा था, "जिंदगी और मौत के बीच यह एक भयावह अग्नि परीक्षा थी। दो महीने का अस्पताल प्रवास और मौत से लड़ाई खत्म हो चुकी है। अब मैं मौत पर विजय पाकर अपने घर लौट रहा हूं।"

घर लौटे अमिताभ का उनकी मां तेजी बच्चन ने तिलक लगाकर वेलकम किया था।

घर पहुंचकर उन्होंने हाथ हिलाकर अपने शुभचिंतकों का शुक्रिया अदा किया। इस वास्तविक सीन को ही फिल्म 'कुली' के अंतिम सीन के तौर पर इस्तेमाल किया गया था।

डॉक्टर्स ने कर दिया था मृत घोषित

एक इंटरव्यू में उस दौरान की स्थिति का खुलासा करते हुए अमिताभ ने कहा था- डॉक्टर्स ने मुझे मेडिकली मृत घोषित कर दिया था। जया आईसीयू रूम के बाहर खड़ी सब देख रही थीं। डॉक्टर ने कोशिश बंद कर दी थी, तभी जया चिल्लाई मैंने अभी उनके पैर के अंगूठे हिलते देखे हैं, प्लीज कोशिश करते रहिए। डॉक्टर्स ने मेरे पैर की मालिश करनी शुरू की और मेरे अंदर फिर जान आ गई।

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