हाथ में कमल का फूल लेकर राज्यपाल से मिलने गई कंगना, बोलीं- मैं कोई पॉलिटिशयन नहीं हूं, मेरा पॉलिटिक्स से लेना-देना नहीं

कंगना रनोट रविवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलने के लिए पहुंचीं। जहां से निकलने के बाद उनके हाथ में कमल के फूल नजर आए। कंगना के हाथ में कमल देखकर लोगों को लगा कि वे अब भाजपा की ओर से अगले किसी चुनाव में नजर आ सकती हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, उन्होंने इस बात का सिरे से खारिज कर दिया कि वे राजनीति में नहीं आने वाली हैं।

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Kangana went to meet the Governor Koshyari with lotus flowersbut she said - I am not a politician, I have nothing to do with politics

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भूमि ने बताई क्या है उनका सरनेम पेडणेकर होने की वजह, 400 साल पुराने कुल देवी के मंदिर के दर्शन करने गोवा के 'पेडणे गांव' पहुंचीं

फिल्म इंडस्ट्री में अभी बहुत कुछ नॉर्मल होना बाकी है। कई स्टार्स इन दिनों शूटिंग से दूर हैं। ऐसे में वे अपने परिवार के साथ समय बिता रहे हैं। भूमि पेडणेकर भी अपने परिवार के साथ कुलदेवी के मंदिर दर्शन करने पहुंचीं। भूमि का यह गांव 'पेडणे' गोवा में है। भूमि ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर कई फोटो और वीडियो शेयर किए और बताया कि इस मंदिर परिसर के पास ही उनका पुश्तैनी घर है।

मंदिर के पास है पुश्तैनी घर

फोटोज के साथ भूमि ने लिखा- हमारे गांव में तीर्थस्थल को पेडणे कहते हैं। यह तीर्थ स्थान तीन मंदिरों को मिलाकर बना है। मौलि देवी मंदिर, भगवती देवी मंदिर और रावल नाथ मंदिर। ये मंदिर 300 से 400 साल पुराने हैं। रावल नाथ मंदिर की किताबों में पेडणेकरों का जो सबसे पुराना जिक्र मिलता है, वह 1902 का है।

मंदिर कहानियों से भरा हुआ है। यहां पानी की औषधीय धाराएं हैं और स्वस्थ करने वाली और ऊर्जा देने वाली हैं। यहां पर जब भी आते हैं तो कुछ सीखने को मिलता है। सांस्कृतिक नजरिए से भरी-पूरी अपनी वंशावली के लिए मैं शुक्रगुजार हूं।

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Bhumi told what is the reason for his surname Pednekar

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एक्ट्रेस ने लिखा- बीजेपी को मेरा सपोर्ट करने की बजाय मेरा रेप और लिंचिंग करने में शिवसेना के गुंडों का साथ देना चाहिए

कंगना रनोट ने शिवसेना नेता संजय राउत के उस बयान पर पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी उन्हें सपोर्ट कर रही है। एक्ट्रेस ने अपने ट्वीट में लिखा है, "वाह! दुर्भाग्य से बीजेपी ड्रग्स और माफिया रैकेट का भंडाफोड़ करने वाली को सपोर्ट कर रही है। इसके बजाय उन्हें शिवसेना के गुंडों का मेरा चेहरा तोड़ने, रेप करने और मेरी लिंचिंग में साथ देना चाहिए था। नहीं संजय जी? उनकी हिम्मत कैसे हुई एक ऐसी महिला को सुरक्षा देने की, जो माफिया के खिलाफ खड़ी है।"

राउत ने कहा था- भाजपा को बिहार चुनाव जीतना है

संजय राउत ने शिवसेना के मुख्य पत्र सामना में लिखा था- यह कठिन समय है। महाराष्ट्र में सभी मराठाओं को एकजुट हो जाना चाहिए। कंगना रनोट को सपोर्ट और सुशांत सिंह राजपूत केस के लिए खड़े होकर वे (भाजपा) राजपूत और क्षत्रिय जाति के वोटों से बिहार चुनाव जीतना चाहते हैं। इस दौरान उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ रहा है कि महाराष्ट्र की बेइज्जती हो रही है।

'राज्य के अपमान से भाजपा को दुख नहीं हुआ'

बकौल राउत- राज्य को जिस तरह से अपमानित किया गया, उससे महाराष्ट्र बीजेपी के एक भी नेता को दुख नहीं हुआ। एक नटी (एक्ट्रेस) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का अपमान किया और राज्य की जनता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यह कैसी एकतरफा आजादी है? जब उस शहर में उनका अवैध निर्माण तोड़ा गया, जिसे वह पाकिस्तान कहती है तो वह टूटे हुए स्ट्रक्चर को राम मंदिर कहने लगी। जब अवैध निर्माण पर सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो वह रो रही है। यह किस तरह का खेल है?"

'मुंबई को पाकिस्तानी कहने वाली के साथ भाजपा'

राउत ने इसके आगे कहा था- दुर्भाग्य से यह कहना होगा कि मुंबई को पाकिस्तान और बाबर कहने वालों के पीछे महाराष्ट्र की भारतीय जनता पार्टी खड़ी हुई है। गौरतलब है कि जब बीएमसी ने कंगना के ऑफिस पर तोड़फोड़ की थी, तब भाजपा नेता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। उनका कहना था कि कंगना रनोट के बदले महाराष्ट्र सरकार को कोरोनावायरस से फाइट पर फोकस करना चाहिए।

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मुंबई की तुलना पाकिस्तान से करने के बाद से कंगना रनोट लगातार शिवसेना नेताओं के निशाने पर हैं।

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सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा करते हुए कहा, ऐसे कई सबूत सामने आ चुके जिनसे ये साबित किया जा सकता है कि ये साजिशन हत्या का मामला है

भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का दावा है कि सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की जांच कर रही तीनों प्रमुख एजेंसियों ने उन बड़े सबूतों को खोज लिया है, जिनसे अदालत में ये साबित किया जा सकता है कि सुशांत की हत्या हुई थी और इसे साजिश के तहत अंजाम दिया गया। ये बात उन्होंने सीबीआई, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) द्वारा अबतक की गई जांच के निष्कर्षों के आधार पर कही।

शनिवार को किए अपने दो ट्वीट में ना केवल उन्होंने इस बात पर भरोसा जताया कि सुशांत को न्याय मिल जाएगा, बल्कि ये भी कहा कि बॉलीवुड में चल रही सफाई प्रक्रिया के चलते वे सही भी साबित हो जाएंगे।

सीबीआई ले सकती है फैसला

अपने पहले ट्वीट में स्वामी ने लिखा, "सुशांत सिंह राजपूत के भक्त पूछते हैं कि SSR केस की सुनवाई कब शुरू होगी। मैं नहीं बता सकता, क्योंकि बॉडी नहीं होने की वजह से एम्स की टीम स्वतंत्र जांच नहीं कर सकती। इसलिए अस्पताल के रिकॉर्ड्स पर भरोसा करते हुए उसने बताया कि 'हत्या तो नहीं हुई है, लेकिन सीबीआई परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर फैसला ले सकती है।' इसलिए सीबीआई, ईडी, एनसीबी ने इतना जोश दिखाया।"

सुशांत को न्याय मिलेगा

अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'अब जब त्रिमूर्ति एजेंसियां बड़े सबूतों का खुलासा कर चुकी हैं, जिससे मुझे पूरा विश्वास है कि सीबीआई के लिए अदालत में ये साबित करना आसान हो जाएगा कि निश्चित रूप से ये साजिश के तहत की गई हत्या का मामला है। ना केवल सुशांत को न्याय मिलेगा, बल्कि वे बॉलीवुड में चल रही सफाई प्रक्रिया में वे सही भी साबित हो जाएंगे।'

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सलीके से सबूतों को नष्ट किया गया

3 सितंबर को किए एक ट्वीट में स्वामी ने दावा किया था कि सुशांत केस में सबूतों को व्यवस्थित तरीके से नष्ट किया गया है। उन्होंने लिखा था, 'सबूतों को सलीके से नष्ट किया गया था। इसलिए इस केस में बहुत सावधानी से रिकंस्ट्रक्शन करने की जरूरत होगी। अगले ही दिन सुशांत का अंतिम संस्कार कर दिया गया था, इसलिए कूपर अस्पताल की ऑटोप्सी रिपोर्ट का निर्धारण करना सबसे कठिन काम होगा। इसलिए सीबीआई द्वारा प्राप्त परिस्थिजन्य साक्ष्यों और स्वीकारोक्ति के जरिए इस अंतर को भरा जा सकता है।'

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ऑटोप्सी में भी देरी का आरोप लगाया था

इससे पहले 25 अगस्त को किए अपने ट्वीट में स्वामी ने सुशांत को जहर देने का आरोप लगाते हुए कहा था कि 'हत्यारों और उनकी पहुंच की शैतानी मानसिकता धीरे-धीरे सामने आ रही है। ऑटोप्सी को जानबूझकर जबरन लेट किया गया, ताकि सुशांत सिंह के पेट में जहर घुल जाए। जो लोग इसके जिम्मेदार हैं, उन पर नकेल कसने की जरूरत है।'

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सुशांत की मौत से जोड़ा था दुबई कनेक्शन

24 अगस्त को किए अपने ट्वीट में स्वामी ने सुशांत की मौत का दुबई कनेक्शन बताया था। उन्होंने ट्वीट कर लिखा था, 'जैसे एम्स के डाक्टर्स को सुनंदा पुष्कर के पेट में असली जहर मिला था। वैसा श्रीदेवी और सुशांत के केस में नहीं हुआ। सुशांत की मौत वाले दिन दुबई के ड्रग डीलर अयाश खान ने उनसे मुलाकात की थी? आखिर क्यों?'

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रिया और महेश भट्ट पर उठाया था सवाल

इससे पहले स्वामी ने एक अन्य ट्वीट करते हुए रिया चक्रवर्ती पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था, 'अगर रिया चक्रवर्ती ऐसे सबूत देना जारी रखती हैं जो महेश भट्ट से हुई उनकी बातचीत से विरोधाभासी हैं, तो सच्चाई तक पहुंचने के लिए सीबीआई के सामने उन्हें गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।'

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सुब्रमण्यम स्वामी के मुताबिक तीनों प्रमुख एजेंसियां ऐसे कई सबूतों का खुलासा कर चुकी हैं, जिनसे सुशांत की मौत को हत्या साबित किया जा सकता है।

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'खाली पीली' फिल्म के' बियॉन्से शरमा जाएगी' गाने के विवादों में आने के बाद मेकर्स ने लिरिक्स के बदले स्पेलिंग में किया बदलाव, ‘Beyonce’ को बना दिया 'Beyonse'

अनन्या पांडे और ईशान खट्टर स्टारर फिल्म खाली-पीली का पहला गाना बियॉन्से शरमा जाएगी रिलीज होते ही विवादों में घिर चुका है। गाने में पॉप सिंगर बियॉन्से का नाम और उनकी एक गोरी लड़की से तुलना होने पर इसे जमकर ट्रोल किया जा रहा है। इस गाने में बियॉन्से का नाम बिना इजाजत इस्तेमाल किया गया है। क्योंकि पॉप स्टार पहले ही अपना नाम ट्रेडमार्क करवा चुकी हैं ऐसे में मेकर्स को लीगल एक्शन का खतरा था। विवादों के बाद मेकर्स गाने की लिरिक्स में बदलाव करने वाले थे मगर उन्होंने महज स्पेलिंग बदलकर खुद को सुरक्षित कर लिया है।

इस गाने की मुख्य लाइन- 'हो तुझे देख के गोरिए, बियॉन्से शरमा जाएगी' के कारण हर कोई मेकर्स पर रंग भेद करने का आरोप लगा रहा है। पॉप सिंगर एक ब्लैक वुमन हैं और उनकी तुलना गोरिए (गोरी लड़की) से करना अपमानजनक माना जा रहा है। मामले को संजीदगी से लेते हुए मेकर्स ने खुद बियॉन्से की स्पेलिंग में बदलाव कर दिया है। गाने के टाइटल में अब ‘Beyonce’ की जगह Beyonse शब्द का इस्तेमाल हुआ है साथ ही इसका थंबनेल भी बदल चुका है।

डायरेक्टर मकबूल खान ने मांगी माफी

खाली-पीली डायरेक्टर मकबूल खान ने विवादों पर सफाई देते हुए कहा है कि गाना तैयार करते हुए उनके जहन में रंगभेद को बढ़ावा देना नहीं था। स्पॉटब्वॉय से बातचीत में उन्होंने बताया, 'भारतीय गानों में गोरिए शब्द का इस्तेमाल लड़की के लिए किया जाता है। इससे मेकर्स किसी भी तरह से रंगभेद को बढ़ावा नहीं देना चाहते थे। गाने में दिखाया गया है कि एक लड़का, लड़की को इम्प्रेस करने के लिए उसकी तारीफ करता है। लिरिक्स के मायने थे कि लड़की का डांस और उसकी परफॉर्मेंस बियॉन्से से तुलना करने लायक है। इस लिरिक्स के जरिए वो किसी भी तरह से बियॉन्से का अपमान नहीं करना चाहते थे। साथ ही डायरेक्टर मकबूल खान ने लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए माफी भी मांगी है।

खाली पीली फिल्म 2 अक्टूबर को जी प्लेक्स पर रिलीज होने को तैयार है। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से ही नेपोटिज्म का मुद्दा गर्म है ऐसे में गुंजन सक्सेना, सड़क 2 के बाद अब इस फिल्म के ट्रेलर और गाने को भी यूट्यूब पर लाइक्स से ज्यादा डिस्लाइक मिल रहे हैं।

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After the controversy of song 'Beyonce Sharma Jayegi' from 'Khaali peeli', the makers made a change in spelling instead of Lyrics, replaced 'Beyonce' to 'Beyonse'

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ट्वीट में दिखी कंगना रनोट की मायूसी, लिखा- अराजकता के बीच खुद को फंसा महसूस कर रही हूं, पहचान नहीं पा रही हूं कि मैं कहां हूं?

शिवसेना और महाराष्ट्र सरकार के विवाद के बीच कंगना रनोट ने एक ऐसा ट्वीट किया है, जिसमें उनकी मायूसी दिखाई दे रही है। उन्होंने लिखा है, "इस अराजकता के बीच कई बार ऐसा महसूस होता है कि मैं काफी प्रभावित हो रही हूं। मैं कहां हूं? मैं पहचान नहीं पा रही हूं। जिंदगी मेरे सामने चुनौतियां लाती है और मैं उनका सामना करने की कोशिश करती हूं। लेकिन चुनौतियां आती ही रहती हैं। मैं पूरी जान लगा देती हूं। लेकिन अराजकता मुझे दोबारा घेर लेती है।"

क्या ताजा विवादों की वजह से परेशान हैं कंगना

कंगना की इस पोस्ट के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि वे अपने ताजा विवादों की वजह से परेशान हैं। दरअसल, पिछले दिनों उन्होंने अपने एक बयान में मुंबई की तुलना पाकिस्तान से की थी। इसके बाद शिवसेना के इशारे पर बीएमसी ने उनके ऑफिस में तोड़फोड़ की थी। हालांकि, उन्होंने हर कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब दिया। लेकिन उनका ताजा ट्वीट इशारा कर रहा है कि वे अब खुद को उलझी हुई महसूस कर रही हैं।

उद्धव ठाकरे की तुलना रावण से की

कंगना ने इससे पहले एक अन्य ट्वीट किया था, जिसमें वे रानी लक्ष्मीबाई के रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज के सामने नजर आ रही हैं। इसके बैकग्राउंड में उद्धव ठाकरे को रावण के रूप में दिखाया गया है। कंगना ने कैप्शन में लिखा है, "कई तरह की मीम्स मिलीं। मेरे दोस्त विवेक अग्निहोत्री जी द्वारा भेजी गई इस मीम ने मुझे इमोशनल कर दिया।"

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कंगना रनोट के ऑफिस पर बीएमसी की कार्रवाई में उन्हें करीब 2 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

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#Plant4SSR कैम्पेन के लिए अंकिता लोखंडे ने रोपा पौधा, बहन श्वेता सिंह कीर्ति ने कमेंट में लुटाया प्यार

सुशांत सिंह राजपूत की एक्स गर्लफ्रैंड अंकिता लोखंडे ने उस सपने को पूरा करने में हिस्सा लिया, जिसमें वे 1000 पौधे लगाना चाहते थे। सुशांत की बहन श्वेता सिंह ने अपील की थी कि 13 सितंबर को उनके फैन्स से पौधे लगाएं। इसके बाद अंकिता ने पौधे लगाते हुए फोटो शेयर किया है। अंकिता की इन फोटोज पर कमेंट करते हुए श्वेता सिंह ने ढेर सारा प्यार लुटाया।

अंकिता ने कहा हम उसे ऐसे याद रखेंगे

किता ने फोटो शेयर करते हुए लिखा- हैची और मम्मा, हर चीज में मेरा पार्टनर। पौधे रोप रहे हैं। ये हमारा तरीका है, उसे उसके सपनों को पूरा करते हुए याद करने का। इन फोटो पर श्वेता सिंह ने कमेंट में हार्ट इमोजी शेयर पोस्ट की। यह सुशांत के 50 में से 11वें नंबर का सपना था, जिसे नाम दिया है #PLANT4SSR। इसके लिए 13 सितंबर को सुबह 8 बजे से लेकर रात 8 बजे तक पौधे लगाकर उन्हें सोशल मीडिया पर शेयर करना है, सुशांत के परिवार को टैग करते हुए।

सुशांत ने साल भर पहले लिखे 50 सपने

14 सितंबर 2019 को शेयर की एक पोस्ट में सुशांत ने अपने 50 सपनों की विश लिस्ट के बारे में बताया था। इसे शेयर करते हुए उन्होंने लिखा था- 'मेरे 50 सपने और गिनती जारी है...' इस दौरान उन्होंने अपना सबसे पहला सपना प्लेन उड़ाना सीखना बताया था, वहीं आखिरी सपने के तौर पर ट्रेन से यूरोप घूमने के बारे में लिखा था। इन्हीं में से 11वें नंबर का सपना हजार पौधे रोपना था।

इन खास सपनों को पूरे किए बिना चले गए सुशांत

प्लेन को उड़ाना सीखना

आयरनमैन ट्रायथलोन (स्विमिंग, साइक्लिंग और रनिंग) की ट्रेनिंग लेना

बाएं हाथ से क्रिकेट खेलना

मोर्स कोड (टेलीकम्युनिकेशन की भाषा) सीखना

स्पेस के बारे में सीखने में बच्चों की मदद करना

चार तालियों वाला पुशअप करना

एक हजार पेड़ लगाना

दिल्ली कॉलेज के होस्टल में एक शाम गुजारना

कैलाश पर्वत पर ध्यान लगाना

एक किताब लिखना

छह महीने में सिक्स पैक एब्स बनाना

जंगल में एक सप्ताह बिताना

वैदिक ज्योतिष को समझना

कम से कम 10 डांस फॉर्म सीखना

खेती करना सीखना

50 पसंदीदा गानों को गिटार पर सीखना

एक लैम्बोर्गिनी का मालिक बनना

स्वामी विवेकानंद पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाना

विएना के सेंट स्टीफेंस कैथेड्रल में जाना

कैपोइरा सीखना (अफ्रो-ब्राजीलियन मार्शल आर्ट)

ट्रेन के जरिए यूरोप की यात्रा करना

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Ankita Lokhande planted sapling to fulfil dream of sushsant singh rajput with #Plant4SSR

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सामने आया रकुलप्रीत सिंह का कुछ साल पुराना वीडियो, वायरल क्लिप में ड्रग्स को सिस्टम से बाहर निकाल फेंकने की बात करती दिखीं एक्ट्रेस

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में ड्रग एंगल सामने आने के बाद उनकी गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती जेल में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जहां उन्होंने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को ड्रग्स लेने वाले कई बॉलीवुड सेलेब्स के नाम बताए हैं। जिनमें एक्ट्रेस रकुलप्रीत सिंह का नाम भी शामिल है। इसी बीच रकुल का एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ड्रग्स को सिस्टम से बाहर निकाल फेंकना चाहिए।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा रकुल का ये वायरल वीडियो अगस्त 2017 का है जब उन्होंने टीवी9 को दिए इंटरव्यू में ड्रग्स लेने का विरोध किया था। इस इंटरव्यू के दौरान टॉलीवुड में ड्रग्स को लेकर चल रही जांच के मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर रकुल ने कहा था कि ये एक साधारण जांच है, जिसमें कॉलेज और स्कूल जाने वालों के अलावा कुछ फिल्म सेलेब्स की जांच हो रही है। आगे उन्होंने कहा था कि कोई भी शख्स ड्रग्स का समर्थन नहीं करेगा और ड्रग्स को लेकर जांच नियमित तौर पर होना चाहिए।

ड्रग्स के खिलाफ अभियान की एंबेसडर थीं रकुल

वीडियो में आगे रकुल ने कहा था कि ड्रग्स को सिस्टम से पूरी तरह बाहर निकाल दिया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा था कि ड्रग्स की जांच को खबरों की सुर्खियां बनाने से कहीं ज्यादा जरूरी है कि हम इससे कुछ सबक सीखें। खास बात ये है कि रकुलप्रीत को तेलंगाना राज्य सरकार के 'नो टू ड्रग्स' अभियान का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया गया था।

ड्रग रैकेट मामले में कई टॉलीवुड हस्तियों की जांच हुई थी

साल 2017 में हैदराबाद में एक ड्रग रैकेट के भंडाफोड़ के बाद पता चला था कि ड्रग पेडलर्स हैदराबाद के कई कॉलेजों और स्कूलों के छात्रों के अलावा टॉलीवुड हस्तियों और टेकीज को भी हाई-एंड ड्रग्स बेच रहे थे। जिसके बाद अधिकारियों ने कई टॉलीवुड सेलेब्स की जांच की थी। जिसमें रवि तेजा, डायरेक्टर पुरी जगन, एक्टर-प्रोड्यूसर चार्मी कौर, एक्टर सुब्बाराजू समेत कई स्टार्स शामिल थे। रकुल का ये इंटरव्यू उसी दौरान लिया गया था।

रकुल के इंटरव्यू की वायरल क्लिप

रिया ने लिया कई सेलेब्स का नाम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिया ने एनसीबी को रकुलप्रीत सिंह के अलावा एक्ट्रेस सारा अली खान, कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा, सुशांत की दोस्त रोहिणी अय्यर, फैशन डिजाइनर सिमोन खंबाटा के नाम भी बताए हैं। रकुल और रिया जिम पार्टनर रह चुकी हैं। इन्हें कई बार मुंबई में जिम में साथ आते-जाते हुए देखा गया है।

साउथ इंडस्ट्री में खूब कमाया नाम

रकुल ने 18 साल की उम्र में कॉलेज में रहने के दौरान ही मॉडलिंग शुरू कर दी थी। इसके बाद साल 2009 में उन्होंने कन्नड़ फिल्म गिल्ली से एक्टिंग डेब्यू किया। इसके बाद साउथ फिल्मों में करियर बनाने के लिए वे हैदराबाद शिफ्ट हो गई थीं। उन्होंने तेलुगू फिल्मों में 'केरतम' और तमिल फिल्मों में 'ठदाईयारा थाक्का' से डेब्यू किया। इसके बाद कई फिल्मों में काम करते हुए वे साउथ इंडस्ट्री का जाना-पहचाना नाम बन गईं।

फ्लॉप रही बॉलीवुड में शुरुआत

साउथ में नाम कमाने के बाद रकुल ने 2014 में बॉलीवुड में कदम रखा। फिल्म 'यारियां' उनकी डेब्यू फिल्म थी जो कि फ्लॉप साबित हुई। इसके चार साल बाद उन्हें 'अय्यारी' में देखा गया था। 2019 में उन्हें 'दे दे प्यार दे' और 'मरजावां' में देखा गया। इसके बाद इस साल उनकी फिल्म 'शिमला मिर्च' रिलीज हुई थी। जो कि बहुत बड़ी फ्लॉप साबित हुई थी।

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रकुलप्रीत सिंह और रिया चक्रवर्ती जिम पार्टनर रही हैं।

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शोविक का दावा- रिया ने सिर्फ एक बार दिए थे ड्रग्स के पैसे, बाकी सभी पेमेंट सुशांत के मैनेजर सैमुअल मिरांडा ने किए

रिया चक्रवर्ती के भाई शोविक की मानें तो ड्रग्स के पैसे उनकी बहन नहीं, बल्कि सुशांत सिंह राजपूत के हाउस मैनेजर सैमुअल मिरांडा देते थे। रिपोर्ट्स में यह दावा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर किया गया है।

रिया ने एक बार क्रेडिट कार्ड से पेमेंट किया था

अपने लंबे-चौड़े स्टेटमेंट में शोविक ने कहा कि उन्होंने रिया और सुशांत के लिए कई बार ड्रग्स खरीदा था। हालांकि, रिया ने सिर्फ एक बार ही अपने क्रेडिट कार्ड से इसका पेमेंट किया था। लेकिन आमतौर पर सुशांत ही अपने मैनेजर सैमुअल मिरांडा के जरिए ड्रग्स संबंधी सभी फाइनेंस मैनेज करते थे।

ड्रग्स के लिए पैसा न लिया, न दिया : शोविक

मुंबई मिरर ने एनसीबी को दिए शोविक के ऑफिशियल स्टेटमेंट का हवाला देते हुए लिखा है कि उन्होंने ड्रग्स के लिए कभी कोई पैसा नहीं दिया और न ही कभी पैसा लिया है। इससे पहले एक अन्य रिपोर्ट में एनसीबी को दिए शोविक के स्टेटमेंट के हवाले से यह दावा किया था कि उन्हें अपनी बहन से सुशांत के ड्रग्स लेने के बारे में पता चला था।

शोविक ने बताया था, "वॉट्सऐप चैट के जरिए रिया ने मुझे बताया कि सुशांत दिन में 4-5 बार मारिजुआना लेते हैं। इसके आधार पर मैंने उनसे कहा कि मैं उनके लिए पांच ग्राम बड्स अरेंज करा दूंगा। इसके बाद मैंने अपने दोस्त अब्दुल बासित परिहार से संपर्क किया और बड्स के बारे पूछा। फिर रिया और सैमुअल (क्योंकि वे उस वक्त सुशांत के हाउस मैनेजर थे) को इसके रेट्स के बारे में बताया।"

22 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में रिया-शोविक

रिया, शोविक, सैमुअल समेत 6 लोग 22 सितंबर के लिए न्यायिक हिरासत में हैं। शुक्रवार को उनकी जमानत याचिका सेशन कोर्ट से खारिज हुई। शनिवार को एनसीबी ने मुंबई और गोवा की करीब 7 लोकेशंस पर रेड की, जिसके बाद करमजीत सिंह आनंद और अंकुश अरनेजा नाम के ड्रग्स पैडलर को गिरफ्तार किया। दोनों पैडलर के पास से प्रतिबंधित ड्रग्स और पैसा बरामद किया गया है।

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रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शोविक चक्रवर्ती समेत 6 लोग 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं।

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संजय राउत ने कहा- अक्षय कुमार को करना चाहिए था मुंबई को पाकिस्तान कहने वालों का विरोध, क्या यह शहर सिर्फ पैसा कमाने के लिए है

कंगना के मुंबई को पाकिस्तान बताने वाले कमेंट का विरोध न करने पर शिवसेना नेता संजय राउत ने अब अक्षय कुमार पर निशाना साधा है। उन्होंने पार्टी के मुख्य पत्र सामना में कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए सवाल उठाया है कि क्या मुंबई सिर्फ पैसा कमाने के लिए है?

मुंबई के अपमान पर सब गर्दन झुका लेते हैं: राउत

राउत ने लिखा है कि जब कंगना ने मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से की, तब अक्षय कुमार जैसे एक्टर्स को सामने आकर कहना चाहिए था कि कंगना का मत पूरी फिल्म इंडस्ट्री का मत नहीं है। मुंबई ने उन्हें बहुत कुछ दिया है। सभी को दिया है। दुनियाभर के रईसों के घर मुंबई में हैं। लेकिन जब इस शहर को अपमानित किया जाता है तो सभी गर्दन झुकाकर बैठ जाते हैं।

उद्धव ठाकरे के लिए 'तू' कहने पर भी भड़के

बीएमसी द्वारा अपना ऑफिस तोड़े जाने के बाद कंगना रनोट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा था। उन्होंने ठाकरे के लिए तू-तड़ाक वाली भाषा का इस्तेमाल किया था। इसे लेकर राउत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने लिखा है कि एक नटी (एक्ट्रेस) मुंबई में बैठकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के लिए तू-तड़ाक वाली भाषा बोलती है। लेकिन प्रदेश की जनता कोई रिएक्शन नहीं देती है। ये कैसी एकतरफा आजादी है।

'पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक पर छाती पीटती है'

राउत ने सामना में आगे लिखा है- जब कंगना के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलता है तो वह ड्रामा करने लगती है। इसे राम मंदिर बताने लगती है। उसने अपना यह अवैध निर्माण उसी के द्वारा घोषित पाकिस्तान में किया था।

पहले मुंबई को पाकिस्तान कहती है और जब उसी पाकिस्तान में गैरकानूनी तरीके से हुए निर्माण पर सर्जिकल स्ट्राइक होती है तो छाती पीटने लगती है। आखिर यह कैसा खेल है? पूरी फिल्म इंडस्ट्री को न सही, कम से कम आधी इंडस्ट्री को तो मुंबई के अपमान के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए थी।

घर के भेदी बाहरी लोगों को मजबूत बना रहे

राउत के मुताबिक, मुंबई को बाहरी लोगों का ग्रहण लग गया है। लेकिन ऐसे लोगों को स्ट्रॉन्ग हमेशा की तरह घर के भेदी ही बना रहे हैं। मुंबई को पाकिस्तान कहा गया। फिर जब मुंबई का अपमान करने वाली नटी के अवैध निर्माण पर बीएमसी की कार्रवाई होती है तो वह इसे बाबर कहने लगती है। दुर्भाग्य से यह कहना होगा कि मुंबई को पाकिस्तान और बाबर कहने वालों के पीछे महाराष्ट्र की भारतीय जनता पार्टी खड़ी हुई है।

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संजय राउत ने शिवसेना सामना में लिखा है कि मुंबई ने फिल्म जगत को बहुत कुछ दिया है। कम से कम आधी फिल्म इंडस्ट्री को कंगना के बयान का विरोध करना चाहिए था।

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अपनी-अपनी किस्मत, अपनी-अपनी चाहत; कई बार अनुभव की कमी बेहतर निर्णय लेने से रोक देती है

राज कपूर ने कभी कहा था कि हर फिल्म की अपनी नियति होती है जो किसी अंत:करण से प्रेरणा लेती है। हालांकि कभी-कभी फिल्म बनाने वाला अतिउत्साह में अपने अंत:करण को किनारे पर रखकर कोई और राह पकड़ लेता है। इस प्रक्रिया में वह खुद अपनी नियति का निर्धारक बन जाता है। कभी वह नियति बना लेता है तो कभी बिगाड़ लेता है।

कश्मीर में ‘कभी-कभी’ फिल्म की शूटिंग के दौरान यश चोपड़ा ने अपने प्रथम सहायक रमेश तलवार को निर्देशक के तौर पर लॉन्च करने की सोची और उनसे अपनी पहली फिल्म की योजना बनाने को कहा। तलवार ने अपने किसी खास मित्र द्वारा सुनाई गई एक कहानी को फिल्म का विषय बनाने का निर्णय ले लिया। यह कहानी एक ऐसी ‘दूसरी महिला’ की थी जो अनजाने में ही एक युवा जोड़े की प्रेम कहानी के बीच में आ जाती है। वह महिला उस युवा पुरुष की तरफ इसलिए आकर्षित होती है क्योंकि उसमें उसके प्रेमी जैसी ही कई समानताएं नजर आती हैं जिसकी कार हादसे में मृत्यु हो चुकी होती है।

‘दूसरा आदमी’ जो सितंबर 1977 में रिलीज हुई थी, में दिल का दर्द भी है तो दिलों के टूटने की कहानी भी। फिल्म में ऋषि कपूर और नीतू सिंह की शादी हुई ही होती है कि वह ‘दूसरी महिला’ उनकी जिंदगी में आ जाती है।

शर्मिला को लेना चाहते थे रमेश तलवार

इस दूसरी महिला की भूमिका में तलवार, शर्मिला टैगोर को लेना चाहते थे। लेकिन जैसे ही राखी को इस रोल के बारे में पता चला, उन्होंने खुद को ही इस तरह से प्रस्तुत कर दिया कि निर्देशक तलवार उनसे प्रभावित हुए बगैर नहीं रहे। इस तरह फिल्म में राखी की एंट्री हुई। शशि कपूर को गेस्ट अपीयरेंस के लिए तैयार किया गया क्योंकि अपने भतीजे ऋषि कपूर के साथ समानता दिखाने के लिए उनके जैसे ही किसी अभिनेता की जरूरत थी।

फिल्म में कई मुद्दों को उठाया गया था

‘दूसरा आदमी’ मूवी ने कई सामाजिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों जैसे शादी, विवाहेत्तर संबंधों, वर्किंग वूमन, सिंगल वूमन, प्रोफेशनल एटीकेट्स, मानसिक स्वास्थ्य के कई मसलों जैसे उपेक्षा, अवसाद, अकेलापन आदि को स्पर्श किया। फिल्म की तारीफ तो खूब हुई, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर कोई विशेष कमाल नहीं दिखा पाई।

इसकी एक वजह तो फिल्म का बोल्ड विषय था। दूसरी वजह यह थी कि दर्शकों ने राखी को घर तोड़ने वाली महिला की भूमिका में स्वीकार नहीं किया जो एक साल पहले आई ‘तपस्या’ में ममतामयी मां के तौर पर खूब सराही गई थी। और यहीं मुझे राज कपूर का ‘अंत:करण का सिद्धांत’ याद आता है।

अगर रमेश तलवार, राखी की जगह शर्मिला टैगोर को रख लेते तो क्या नतीजा कुछ और निकलता? इसका जवाब संभवत: हां भी हो सकता है और ना भी, लेकिन अगर निर्देशक फिल्म का क्लाइमैक्स बदलने की निर्माता की सलाह पर ध्यान देते तो परिणाम निश्चित तौर पर अलग ही होता।

भावना सोमाया, जानी-मानी फिल्म लेखिका, समीक्षक और इतिहासकार

अनुभव की कमी बेहतर निर्णय पर भारी पड़ती है

कई बार अनुभव की कमी बेहतर निर्णय लेने से रोक देती है, जैसा कि इस फिल्म के साथ हुआ। लेकिन कई बार अनुभवहीनता भी बाधाओं को पार करने से नहीं रोकती, जैसा कि आयुष्मान खुराना का उदाहरण हमारे सामने है जिनका इसी 14 सितंबर को जन्मदिवस है। उनका करियर परीकथा जैसा प्रतीत होता है।

टेलीविजन शो ‘रोडीज’ में एंकर के तौर पर सामने आए तो गायकी की प्रतिभा के दम पर उन्हें ‘विक्की डोनर’ फिल्म में काम करने का मौका मिला। इसके बाद तो उनके खाते में एक के बाद एक ऐसी कई फिल्में जमा होती चली गईं जिन्होंने उन्हें आज के जमाने के ‘कॉमन मैन’ के तौर पर प्रतिष्ठित कर दिया।

बदल गया मध्यमवर्गीय समाज का चेहरा

70 के दशक के सिनेमा के मध्यमवर्गीय चेहरे अमोल पालेकर के विपरीत आयुष्मान का ‘आम आदमी’ जटिल है और अक्सर अप्रासंगिक भी। उनके चरित्रों में असुरक्षा की भावना व्याप्त है। इसलिए ‘दम लगा के हईशा’ में टूटे हुए आत्मसम्मान, ‘बरेली की बर्फी’ में बिखरे हुए आत्मविश्वास, ‘शुभ मंगल सावधान’ में नपुंसकता की भावना के साथ फ्रस्टेटेड नजर आते हैं, तो ‘बधाई हो’ में भ्रमित, ‘बाला’ में अलग-थलग और ‘गुलाबो सिताबो’ में गुस्सैल के तौर पर।

क्या आयुष्मान यह बात अच्छी तरह जानते थे कि उनके चरित्रों का दर्शकों पर क्या असर पड़ेगा? मुझे नहीं लगता क्योंकि किसी अभिनेता के एक छवि में ढलने तक वह अपनी सफलता के सफर का आधा रास्ता पार कर चुका होता है। अगर आयुष्मान अपनी रचनात्मक पसंदों और उनके असर के बारे में पहले से ही सोच-विचार कर लेते तो शायद वे भयभीत ही ज्यादा होते। आयुष्मान इतना सबकुछ इसलिए कर पाए क्योंकि वे बहाव के साथ खुद को बहा पाने में सफल हुए।

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Talking Point with Bhawna Somaaya : Sometimes lack of experience prevents better decision making, Their own luck, their own desire

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एनसीबी अधिकारी का दावा- रिया के खिलाफ ठोस सबूत और केस मजबूत, उन्हें 20 साल की जेल हो सकती है

सुशांत सिंह राजपूत डेथ केस से जुड़े ड्रग्स मामले में रिया चक्रवर्ती को 20 साल तक की सजा हो सकती है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एक अधिकारी ने दैनिक भास्कर को ऑफ द रिकॉर्ड दिए इंटरव्यू में यह बताया। अधिकारी के मुताबिक, उनके पास रिया के खिलाफ ठोस सबूत हैं और केस काफी स्ट्रॉन्ग बन चुका है। यही वजह है कि लोअर और सेशन कोर्ट से रिया को जमानत नहीं मिल सकी। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश :-

Q. रिया और शोविक ने बॉलीवुड के किन नामों का खुलासा किया है?
A. अभी उन नामों को रिवील नहीं कर सकते। क्योंकि जांच जारी है। पहले इसे किसी निष्कर्ष पर पहुंच जाने दीजिए। अभी उनका नाम उजागर करना उनकी अवमानना होगी।

Q. ड्रग्स की कितनी क्वांटिटी रिया ने कैरी की थी?
A. यह सिर्फ 59 ग्राम ड्रग्स की बात नहीं है, जिसके बारे में रिया ने बताया है। हमारी टीम ने अनुज केसवानी से कमर्शियल क्वांटिटी में ड्रग्स बरामद की है। हम इस लीड पर आगे बढ़ रहे हैं। हमारा केस मजबूत है। यही वजह है कि माननीय लोअर और सेशन कोर्ट से उनकी जमानत याचिका खारिज हुई है।

Q. पूरे मामले में रिया का डायरेक्ट इन्वॉल्वमेंट तो कहा ही जा सकता है?
A. इन्वॉल्वमेंट साजिश को लेकर है। चार्जेज उसी तौर पर लगे हैं। उससे रिलेटेड ऑर्डर भी सार्वजनिक हैं।

Q. लेकिन रिया बार-बार दावे कर रही हैं कि वो ड्रग्स नहीं लेती थीं। वे तो इसे सुशांत के कहने पर मंगवा रही थीं?
A. मैटर विचाराधीन है। इसलिए इस मसले पर कुछ भी कहना अभी सही नहीं होगा।

Q. सुशांत तो अब रहे नहीं, तो कैसे साबित करेंगे कि उन्‍होंने ड्रग्स कंज्यूम किया था?
A. यह साबित हो जाएगा। उसकी चिंता मत करें। वही तो हमारा जॉब है। तभी तो जांच प्रक्रिया पर हम कुछ भी नहीं कहना चाहते।

Q. क्‍या ड्रग्स मामले में कंगना का भी टेस्‍ट होगा?
A. वो हमें नहीं मालूम। हमारा फोकस इस केस (सीआर नं. 15) पर है। कंगना के बारे में हम कुछ नहीं कह सकते, क्‍योंकि उनका मामला हमारे केस से कनेक्टेड ही नहीं है।

Q. बीते सालों में आपके जो ऑपरेशन्स रहे हैं, उनमें बॉलीवुड से कौन से ए-लिस्‍टर्स के नाम आए थे? बड़ी मछलियों की धड़पकड़ हो पाएगी?
A. यह गलत हो रहा है कि सिर्फ एक सोसायटी का नाम लिया जा रहा है। हमारा मैंडेट इस सोशल प्रॉब्लम को ठीक करना है। महज एक सोसायटी के पीछे पड़ना नहीं। मुंबई में यह बुरी तरह फैला हुआ है। यह एक केस है, जिसे एनडीपीएस एक्ट के तहत सजा के दायरे में लाना है। हम सिर्फ कुछ लोगों को पकड़ने के पीछे नहीं लगे हैं। हम हर किसी को टार्गेट कर रहे हैं।

Q. क्‍या यह स्टेब्लिश हो चुका है कि रिया और शोविक ड्रग पैडलर्स के सतत संपर्क में थे?
A. इस वक्‍त क्‍या बोलूं। मैटर कोर्ट में है। सारे सबूत हमें कोर्ट में देने हैं। इसलिए जांच से जुड़ी कोई बात रिवील करना सही नहीं है।

Q. कोर्ट में सबूत कब प्रोड्यूस करेंगे?
A. अभी तो उनकी बेल रिजेक्ट हुई है। फिलहाल ट्रायल चलेगा। चार्जशीट फाइल करने के लिए एनसीबी के पास 180 दिनों का वक्‍त है। चूंकि कमर्शियल क्वांटिटी का मामला है। लिहाजा हम अपनी इनवेस्टीगेशन पूरी करेंगे। तब सबूत पेश करेंगे।

Q. लेमैन लैंग्वेज में कमर्शियल यूज को कैसे समझाएं?
A. एक होती है स्मॉल क्वांटिटी, दूसरी मिडिल और तीसरी कमर्शियल क्‍वांटिटी। कमर्शियल क्‍वांटिटी अगर साबित हो गई तो 20 साल की सजा हो सकती है। मिडिल क्वांटिटी है तो 10 और स्मॉल का मामला है तो 1 साल की सजा।

Q. रिया के मामले में बड़ी क्वांटिटी है?
A. जी हां। इसी केस में हमारे द्वारा गिरफ्तार किए गए उनके सप्लायर से हमें बड़ी क्वांटिटी मिली है।

Q. यह सप्लाई सुशांत की मौत तक होती रही है?
A. जिस पैडलर को हमने पकड़ा है, वह तो मेजर सप्लायर है ही। हम यह लिंक नहीं कर रहे है कि सप्लाई कब तक होती रही? हमने तो एक गैंग को बर्स्‍ट किया है।

Q. लेकिन रिया तो कुछ भी एक्सेप्ट नहीं कर रही हैं?
A. इस बारे में मैं कुछ नहीं बोल सकता। ऐसा करना कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट है।

Q. हालांकि शोविक ने तो बहुत जल्दी मान लिया था कि वो ड्रग्स लाया करते थे?
A. सच कहूं तो मीडिया में 90 फीसदी जानकारी गलत आ रही है। नामों को लेकर सिर्फ कयास लगाए जा रहे हैं। हमें हमारा काम करने दीजिए। चार्जशीट के टाइम पर सारे नाम सामने आ जाएंगे। अभी किसी का नाम लेने से जांच प्रभावित होगी।

Q. अगर लोकल पुलिस ने प्राइमरी लेवल पर ही सबूत टैंपर कर दिए हों तो जांच एजेंसियां गुनहगारों को कैसे पकड़ पाएंगी? सबूत टैंपर होने के चलते न तो आरुषि के हत्यारों का पता चल सका, न सुनंदा पुष्कर के?
A. हमें ऐसी कोई दिक्कत नहीं हुई। हमारा केस बहुत स्ट्रॉन्ग बन चुका है। हम साबित कर देंगे।

Q. क्‍या ड्रग्स की ज्यादा मात्रा लेने से मौत होती है?
A. इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता। यह कहना बहुत जेनेरिक होगा। हरएक का इलाज अलग होता है। हर किसी के लक्षण भी अलग होते हैं।

Q. मारिजुआना तो बड़ा क्राइम नहीं है न?
A. हम हर तरह के ड्रग्स को समान भाव से देख रहे हैं। कमर्शियल क्वांटिटी के थ्रेशहोल्ड अलग-अलग होते हैं।

Q. पांच या दस साल पहले भी क्या कभी इस तरह के केसेज में बॉलीवुड से किसी का नाम आया था?
A. वह मैं अभी नहीं बोल सकता। यह जांच का विषय है।

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रिया चक्रवर्ती को एनसीबी ने 9 सितंबर को अरेस्ट किया था। फिलहाल, वे भायखला जेल में बंद हैं।

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एक्सपर्ट बोले- बिहारी वोटर्स में कंगना रनोट को लेकर क्यूरोसिटी नहीं, भाजपा बोली- हम मंच नहीं देंगे

सुशांत सिंह राजपूत के लिए न्याय की मांग कर रहीं कंगना रनोट लगातार मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार के निशाने पर हैं। इस बीच ऐसी खबरें हैं कि बिहार चुनाव के मद्देनजर वहां होने वाली वर्चुअल रैलियों में कंगना को लाया जा सकता है। हालांकि, बिहार के पत्रकार, साहित्यकार और खुद बीजेपी के नेताओं का मानना है कि कंगना को चुनाव प्रचार में उतारने से कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने इसके पीछे की वजह दैनिक भास्कर के साथ साझा की।

बिहार में जातिगत समीकरण आज भी हावी

राष्‍ट्रीय पुरस्कार से सम्‍मानित फिल्‍म समीक्षक और साहित्यकार विनोद अनुपम वोटर्स की सोच को डिकोड करते हैं। वे कहते हैं, "सुशांत सिंह राजपूत के लिए कंगना रनोट की लड़ाई और भाजपा के साथ बढ़ते उनके संबंध देख बिहार के चुनाव में उनकी सक्रियता की उम्मीद जरूर बढ़ गई है। लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता कि बिहार के वोटर्स में इसे लेकर क्यूरोसिटी है। बल्कि यह कहना भी मुश्किल है कि सुशांत की मौत भी चुनावी मुद्दा रहेगी।"

कंगना सिर्फ जाति विशेष तक सीमित

अनुपम ने आगे कहा, "बिहार में हमेशा से ही चुनाव अलग धरातल, अलग मुद्दे पर होते रहे हैं। यहां सुनी सबकी जाती है, लेकिन अंतिम ध्रुवीकरण में जाति की भूमिका प्रबल हो जाती है। ऐसे में कंगना एक जाति विशेष को एकजुट करने के लिए भले बुलाई जा सकती हैं। लेकिन इस बात से सहमत नहीं हुआ जा सकता कि उनकी कोई बड़ी भूमिका होगी।"

सितारों के आने से कोई फर्क नहीं पड़ता

बकौल अनुपम, "बिहार के चुनाव में पहले भी सितारे आते रहे हैं। अजय देवगन से लेकर नगमा तक। लेकिन लोगों ने उन्हें बिल्कुल भी तवज्जो नहीं दी। 2015 के चुनावी प्रचार में अजय देवगन आए और चले गए। अगले दिन अखबारों में कायदे से खबर तक नहीं लग सकी थी। चर्चा में भी आए तो भगदड़ के चलते। बिहार भाजपा के नेताओं ने भी तव्वजो नहीं दी थी।"

अनुपम आगे कहते हैं, "बिहारी राजनेताओं के मुंह से मिमिक्री मंजूर करते हैं, लेकिन अभिनेताओं की परफॉरमेंस को वे भाव नहीं देते। प्रकाश झा तो विशेष राज्‍य की मांग को लेकर धरने पर भी बैठे थे, लेकिन उन्‍हें पार्टी से तव्वजो नहीं मिली थी।"

मिडिल क्‍लास आज भी निर्णायक नहीं

अनुपम के मुताबिक, "बिहार में मिडिल क्लास अभी भी चुनाव में निर्णायक नहीं है, जिन्हें कंगना या सुशांत से मतलब है। यहां निर्णायक जरूरतमंद वोटर हैं ,जिनका पहला सवाल होता है मिलेगा क्या? वैसे भी इस बार बिहार में चुनाव को लेकर वोटर्स में अजीब सी निरपेक्षता देखी जा रही है।

राजनीतिक दलों के लिए चुनाव बाध्यता है और वोटर्स को लग रहा वे निरर्थक ही खतरे में धकेले जा रहे हैं। ऐसे में दलों का सारा जोर बूथ प्रबंधन पर है। एक बात यह भी कि जब सारी रैलियां वर्चुअल हो रही हैं और कंगना पहले से ही हर दिन वर्चुअल दिखाई दे ही रही हैं। ऐसे में बिहार के वोटर्स उनकी प्रतीक्षा क्यों करेंगे?

पॉलिटिकल वैल्यू बनी रहना बड़ी बात

जाने-माने पत्रकार पुष्य मित्र भी विनोद अनुपम से इत्तफाक रखते हैं। वे कहते हैं, "टीवी मीडिया में छाए रहने से कंगना की पॉलिटिकल वैल्यू जरूर काफी बढ़ गई है। लेकिन यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि यह सब बिहार चुनाव के प्रचार अभियान तक बरकरार रहेगा। अमूमन ऐसा देखा गया है कि टीवी मीडिया द्वारा तैयार किए गए स्टार की मियाद बहुत कम रहती है।

ज्यादा खींचा जा चुका सुशांत का मुद्दा

पुष्य मित्र ने आगे कहा, "सुशांत के मुद्दे को उसकी उम्र से ज्यादा खींचा जा चुका है। अब ज्यादातर लोग ऊबने लगे हैं। यह मुद्दा अब जितने दिन खींचा जाएगा, लोगों में बिहार के असली और जमीनी मुद्दों जैसे बाढ़, बेरोजगारी, पलायन, स्वास्थ्य सुविधाएं आदि के प्रति तड़प बढ़ती चली जाएगी। मुमकिन है यह मुद्दा बैक फायर कर जाए। यह बात जरूर है कि गांव-गांव तक यह मुद्दा पहुंच गया है और पॉलिटिकल डिबेट में शामिल हो गया है। लेकिन बिहार में सरकार के प्रति लोगों में नाराजगी है। भाजपा समर्थक भी नाराज हैं। हालांकि, लोगों के सामने दूसरा विकल्प नजर नहीं आ रहा है।"

भाजपा कंगना को मंच प्रदान नहीं करेगी

बिहार भाजपा के प्रदेश महामंत्री देवेश कुमार ने कहा, "कंगना आती हैं तो उनका स्वागत है। यह लोकतंत्र है, लेकिन भाजपा उन्हें मंच प्रदान नहीं करेगी। हमारी पार्टी का अपना सिस्टम है। हम उन्‍हें क्‍यों लाएंगे? हमारे प्रधानमंत्री और बड़े नेता हमारे स्‍टार प्रचारक हैं। बिहार की जनता का मूड पीएम मोदी और नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार चाहती है।

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एक्सपर्ट का कहना है कि बिहार में मिडिल क्लास अभी भी चुनाव में निर्णायक नहीं है, जिन्हें कंगना या सुशांत से मतलब है।

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