मुकेश तिवारी ने इस बार 6 बच्चों को पढ़ाने का संकल्प लिया, बोले- उन्हें इस बात का एहसास भी नहीं होने दूंगा

अभिनेता मुकेश तिवारी सोमवार को 50 साल के हो गए। उनका जन्म 24 अगस्त 1959 को मध्यप्रदेश के सागर में हुआ था। इस मौके को उन्होंने बेहद अलग ढंग से सेलिब्रेट करते हुए इस साल 6 बच्चों को पढ़ाने का संकल्प लिया है। बर्थडे से इतर उन्होंने लॉकडाउन, नेपोटिज्म आदि विषयों पर दैनिक भास्कर के साथ खास बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश...

सवाल- सबसे पहले तो यह बताइए कि लॉकडाउन में यह 5 महीने का वक्त कैसे बीता?

मुकेश तिवारी- 'अभी भी लॉकडाउन बीत ही रहा है। इस दौरान मैंने राज कपूर की फिल्मों सहित कई पुरानी फिल्में देखी। दिनचर्या में बड़ा परिवर्तन आया है। सुबह 5:30 बजे उठ जाता हूं। उसके बाद 10 किलोमीटर वॉक करने के साथ व्यायाम करता हूं। सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि इस दौरान मेरे अंदर बहुत ज्यादा धैर्य आ गया है, जबकि पहले छोटी-छोटी बातों से चिढ़ जाता था।'

'लॉक डाउन में मेरे हाथ से एक मलयालम फिल्म चली गई। 2 महीना पहले उसकी शूटिंग शुरू होने वाली थी, लेकिन पता चला कि वहां जाने के बाद 14 दिन क्वारैंटाइन रहना पड़ेगा। फिल्ममेकर जल्द शूट करना चाहते थे, क्योंकि बारिश में उनका सेट खराब हो रहा था। उनसे बात हुई तो मैंने कहा आप किसी और को ले लीजिए, क्योंकि एक्टर से ज्यादा सिनेमा महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने अच्छा-खासा साइनिंग अमाउंट दिया था। वैसे साइनिंग अमाउंट वापस करने की परंपरा तो नहीं है, लेकिन जब उनका साइनिंग अमाउंट वापस किया, तो वे बड़े खुश हुए। हालांकि महत्वपूर्ण रोल छूट गया, उसका दुख रहा।'

सवाल- आपने लगभग 28 वर्ष की उम्र में बॉलीवुड में एंट्री की। क्या आपको लगता है कि कम उम्र में शुरुआत करते तो और आगे जाते?

मुकेश तिवारी-'निश्चित तौर पर आगे जाने की संभावना रहती है। लेकिन मैं जिस दौर में आया, वह बदलता हुआ दौर था। मैं विलेन के तौर पर 'चाइना गेट' में आया। लेकिन धीरे-धीरे विलेन लुप्त होने शुरू हो गए थे। रोमांटिक और पारिवारिक फिल्में बनने लगी थीं। एक स्वतंत्र निर्माता की भूमिका समाप्त हो रही थी। लेकिन लकी रहा कि खांचे में बढ़ने की परंपरा समाप्त हो रही थी और मुझे पॉजिटिव-नेगेटिव और कॉमेडी अलग-अलग रोल मिलने लगे थे। यात्रा जारी है। संभावनाएं आगे भी हैं। रुचि, रुझान, प्रयत्न और प्रयास 20 साल पहले की तरह जारी है।'

सवाल- एक अभिनेता को आखिरी वक्त तक लगता है कि उसके हुनर का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाया। आपको क्या लगता है?

मुकेश तिवारी-'मुझे लगता है कि अभी तो मैंने टच ही किया है। अभी तो बहुत काम करना बाकी है। मैं हर दिन अपनी तैयारी करता हूं, क्योंकि मेरी प्रिपरेशन कमजोर नहीं होनी चाहिए। अगले दिन कौन-सा अवसर मिलेगा कह नहीं सकते। बहुत लोग मिलने के बाद तैयारी करते हैं। वर्षों के अनुभव ने मुझे सिखाया है कि एक सैनिक की तरह तैयार रहना चाहिए। लेकिन इस बात को कुंठा के तौर पर नहीं देखता हूं। मुझे लगता है कि रोल को ईमानदारी के साथ निभाना ही महत्वपूर्ण है। मुझे साउथ की फिल्मों ने भी बहुत सहारा दिया है। यहां संभावनाओं का खेल है। जिस दिन संभावना खत्म हो गई उस दिन समझ जाइए कि आपका पैकअप हो गया।'

सवाल- आपने कभी साल भर में 4 फिल्में कीं तो कभी 4 साल में एक फिल्म दी। आखिर ऐसे उतार-चढ़ाव के दौर को कैसे डील किया?

मुकेश तिवारी-'इस लाइन में आया था, तब यह मानकर आया था कि यह धैर्य और संयम की लाइन है। निश्चित तौर पर यह चकाचौंध की लाइन है, पर उससे प्रभावित होकर नहीं आया था। मेरा मानना है कि अगर अभिनेता में संयम नहीं है तो उसे इस लाइन में नहीं आना चाहिए। दूसरी बात मैं आलोचनात्मक रवैया रखता ही नहीं हूं। हर समय सकारात्मक रवैया अपनाता हूं। ऐसा नहीं है कि महीने के 30 दिन शूटिंग करेंगे, तभी अभिनेता हूं। महीने में 4 दिन अच्छा काम करके भी संतुष्ट रहता हूं। अपना श्रेष्ठ देना मेरा लक्ष्य है।'

सवाल- बॉलीवुड में नेपोटिज्म की बातें आजकल जोर-शोर से उठ रही हैं। इन बातों से कितना इत्तेफाक रखते हैं?

मुकेश तिवारी-'मैं मानता हूं कि यह आज की बनी व्यवस्था नहीं है। यह पिछले 30-40 वर्षों की बनी व्यवस्था है। यह अचानक नहीं हुआ है। हमारी इंडस्ट्री में माना जाता है कि संबंधों के आधार पर ही काम मिलता है और टैलेंट बाद में आता है। मुझे इस बात को स्वीकार करने में कोई कष्ट नहीं है।'
'यहां कोई सरकारी नियम नहीं है। यह तो इंडिविजुअल आर्ट है, इंडिविजुअल ग्रोथ है। उसकी अपनी चुनौतियां भी हैं। किसको लेना है, किसको नहीं लेना है, उसके अपने विकल्प और अपनी च्वॉइस है। लेकिन नए टैलेंट को प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए। उसे अछूत की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए।'
'जब से बॉलीवुड में कॉर्पोरेट वर्ल्ड आया है, तब से संबंधों का समाप्तिकरण हुआ है। अब इसमें मानवीय संबंधों और इमोशन की कोई वैल्यू नहीं रह गई है। कॉर्पोरेट वर्ल्ड में इमोशन का होना, मतलब बेवकूफ समझा जाता है। जबकि हम जिस कला के क्षेत्र में हैं, उसमें बिना भावनाओं के काम हो ही नहीं सकता।'
'बात ये है कि निर्णायक लोग कौन हैं। यहां निर्णायक वे लोग हैं, जो कॉर्पोरेट वर्ल्ड में बिजनेस मैनेजमेंट कोर्स करके आए हैं। उन्हें सिनेमा से कोई सरोकार नहीं है। उन्हें फाइनेंस करके दो पैसे कमाने हैं। गहराई में जाकर देखें तो इस पूरी व्यवस्था में बहुत अंतर आया है। मानवीयता का क्षय हुआ है। मैं कहूंगा कि युवा वर्ग के टैलेंट को सम्मानित करना चाहिए और उन्हें उचित अवसर दिया जाना चाहिए।'

सवाल- आज के माहौल में स्टार किड्स के पोस्टर, टेलर्स और फिल्मों को लाइक से ज्यादा डिसलाइक मिल रहे हैं। क्या कहेंगे?
मुकेश तिवारी- 'मैं कहूंगा कि लोग जब आपको पसंद करते थे, हाथोंहाथ लेते थे, तब बड़े खुश होते थे। उसे अपनी सफलता मानते थे कि हमारे टैलेंट की वजह से इतने लाइक मिले हैं। अगर आज सोशल मीडिया में वही लोग पसंद नहीं कर रहे हैं तो उसे गुस्से के साथ देख रहे हैं। ऐसा दो तरफा व्यवहार नहीं चलेगा। आज जब डिसलाइक मिल रहा है तो उसे अपनी विफलता मानना पड़ेगा। उस आक्रोश को भी उतने ही सम्मान से देखा जाना चाहिए।'

सवाल- सागर की गलियों से निकलकर बॉलीवुड में एक मकाम बनाया। वहां की कौन-सी चीज मिस करते हैं?
मुकेश तिवारी-'आज भी वहां की पान की दुकान को मिस करता हूं। पहले भी पान की दुकान पर बैठता था और आज भी जब जाता हूं तो पान की दुकान पर ही बैठता हूं। हालांकि मैं पान नहीं खाता हूं। लेकिन वहां के लोगों से मिलना-जुलना होता है।'

सवाल- बर्थडे पर सबसे ज्यादा खुशी किस बात की होती है?
मुकेश तिवारी-'सच कहूं तो मुंबई में रहकर अब बर्थडे पर इतनी खुशी नहीं होती है, क्योंकि मां को और परिवार को मिस करता हूं।'

सवाल- बर्थडे सुनते ही सबसे पहले मन में क्या बात आती है?
मुकेश तिवारी-'मां के हाथ का बना आटे का हलवा। जब बचपन और युवावस्था में घर पर होता था, तब नींद खुलती थी तो उसी आटे के हलवे की खुशबू आती थी। वही आटे का हलवा प्रसाद में चढ़ता था। आज भी वही मां के हाथ से बने आटे के हलवे के खुशबू को मिस करता हूं।'

सवाल- क्या बर्थडे पर संकल्प भी लेते हैं?
मुकेश तिवारी-'जी हां, संकल्प लेता हूं। पहले स्मोकिंग करता था, दो साल पहले बर्थडे पर स्मोकिंग छोड़ दी थी। पिछले बर्थडे पर ही संकल्प लिया था कि 2 बच्चों की फीस भरूंगा, तो बिल्डिंग में काम करने वाले के दो बच्चों की फीस भरकर उन्हें पढ़ा रहा हूं। इस बर्थडे पर संकल्प लिया है कि जब सागर जाऊंगा तो ऐसे जरूरतमंद 6 बच्चों की ग्यारहवीं तक की फीस अपने पास से जमा करूंगा। हां, इस बात का उन्हें एहसास नहीं होने दूंगा कि उन्हें मैं पढ़ा रहा हूं।'

सवाल- 51वें बर्थडे को कैसे सेलिब्रेट किया?
मुकेश तिवारी-'ऐसे माहौल में सेलिब्रेशन तो नहीं कर पाया। इस बार गणपति विराजमान है तो सुबह उनका आशीर्वाद लेकर दिन की शुरुआत की थी। शिर्डी के साईं बाबा पर मेरी गहन आस्था है। उन्हें फूल चढ़ाकर अगरबत्ती लगा कर आशीर्वाद लिया। अब खुद को और ज्यादा जिम्मेदार महसूस करने लगा हूं।'

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मुकेश तिवारी ने इस बर्थडे पर 6 बच्चों की ग्यारहवीं तक की फीस अपने पास से जमा कराने का संकल्प लिया है।

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YRF के 50 साल पूरे होने को भव्य तरीके से सेलिब्रेट करेंगे आदित्य चोपड़ा, भारत की 22 भाषाओं में रिलीज करेंगे कंपनी का नया 'लोगो'

यशराज फिल्म्स के 50 साल पूरे होने पर आदित्य चोपड़ा इसे बड़े पैमाने पर सेलिब्रेट करने की तैयारी कर चुके हैं। 27 सितंबर को स्वर्गीय यश चोपड़ा की 88वीं जयंती पर वे ‘YRF प्रोजेक्ट 50’ का ब्ल्यूप्रिंट सामने रखेंगे। इसके साथ ही आदि अपने प्रोडक्शन हाउस के नए लोगो का अनावरण भी करेंगे।

ट्रेड पंडितों ने बताया, YRF एक विरासत वाली कंपनी है, जिसका पुराना इतिहास है। उनकी लायब्रेरी में मौजूद प्रतिष्ठित फिल्मों की संख्या काफी ज्यादा है। कंपनी ने भारत को कई सुपरस्टार दिए हैं। सुनने में यह भी आ रहा है कि नए 'लोगो' को भारत की सभी आधिकारिक भाषाओं में रिलीज किया जा सकता है।

इस ग्रैंड लोगो को लॉन्च करने के पीछे की वजह भी बताते हुए सूत्र ने बताया, 'YRF बीते 50 सालों से अखिल भारतीय स्तर पर दर्शकों का मनोरंजन करता आया है। उनकी बनाई फिल्मों ने भाषा की सीमाएं पार करते हुए समूचे देश को एंटरटेन किया है। इसी वजह से हम भारत की सभी 22 आधिकारिक भाषाओं में लोगो रिलीज किए जाने की चर्चा दबी जुबान से सुन रहे हैं। अगर इसमें सच्चाई है तो यह हर राज्य में YRF की फिल्में पसंद करने वाले दर्शकों का शुक्रिया अदा करने का एक बेहतरीन संकेत होगा।'

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Aditya Chopra to celebrate YRF 50 years in a grand way, to release India's new 'logo' in 22 official languages of India

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रांची में अभिनेता का इलाज करने वाले डॉक्टर अहमद बोले- पहली बार में सुसाइड कर लेने की बात पर यकीन करना असंभव सा लगता है

झारखंड के रांची शहर में इन दिनों कोविड-19 पेशेंट का इलाज कर रहे क्रिटिकल केअर स्पेशलिस्ट डॉ. रजी अहमद कभी सुशांत सिंह राजपूत का भी इलाज कर चुके हैं। ये बात साल 2016 की है, जब सुशांत वहां फिल्म 'एमएस धोनी' की शूटिंग के लिए पहुंचे थे।

डॉ. रजी ने जब से सुशांत के सुसाइड करने की खबर सुनी है, तब से यह बात उनके गले नहीं उतर रही है। दैनिक भास्कर के साथ खास बातचीत में उन्होंने सुशांत से जुड़ी अपनी यादें ताजा कीं।

सवाल- डॉ. साहब सबसे पहले अपना परिचय दीजिए?

डॉ अहमद- 'मेरा पूरा नाम डॉ. रजी अहमद है और मैं क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट हूं। रांची, झारखंड में रहता हूं। एक डायलिसिस यूनिट भी है, उसे भी देखता हूं।'

सवाल- सुशांत सिंह राजपूत से मुलाकात कब और कैसे हुई?

डॉ अहमद- 'साल 2016 में 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' फिल्म की शूटिंग मेकॉन ग्राउंड के आसपास के एरिया में चल रही थी। वे काफी दिन यहां पर रहे, पर बहुत लोगों को पता नहीं था कि यहां पर शूटिंग चल रही है। एक दिन अर्ली मॉर्निंग मुझे फोन आया कि मुझे सुशांत को देखने जाना है। मैं थोड़ा कंफ्यूज हो गया कि सुशांत कौन है? मैं अपने किसी पेशेंट के बारे में सोच रहा था। फिर मुझे ध्यान आया कि यहां पर 'एमएस धोनी' की शूटिंग चल रही है और सुशांत को देखने की बात कह रहे हैं।'

सवाल- वो किसका फोन आया था?

डॉ अहमद- 'उन्हें देखने जाने के लिए फिल्म की यूनिट का फोन आया था। घर से जाते वक्त रास्ते में सोच रहा था कि इतने बड़े स्टार हैं, पता नहीं टैंट्रम शो करेंगे, ठीक से मिलेंगे कि नहीं मिलेंगे, देखने देंगे या नहीं। लेकिन जब सुशांत से मिला तो मेरा सारा शक दूर हो गया। वे बहुत डाउन टू अर्थ और बड़े हंबल थे। अच्छे से चेक भी करने दिया। पूछ भी रहे थे कि कैसे दवा खानी है।'

सवाल- उस समय उन्हें क्या तकलीफ हुई थी?

डॉ अहमद- 'उनको बेसिकली अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन हुआ था। सिंपल लैंग्वेज में कहें तो फ्रूट का माइल्ड चेस्ट इंफेक्शन और थोड़ा गले में इंफेक्शन था। सर्दी का समय था तो उन्हें हो गया था। मैंने उन्हें देखा और मेडिसिन दी। थोड़ा फॉलो किया, जिसके लिए दो-तीन बार उनसे मिला। इलाज के बाद तो उन्होंने आराम से शूट किया था। फिर उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई।'

सवाल- उनसे कितनी बार और कहां पर मिले थे?

डॉ अहमद- 'दो बार सेट पर मिला था, जबकि एक बार होटल रैडिसन ब्लू, रांची में देखने गया था। जहां पर वे ठहरे हुए थे। उनसे मुलाकात हुई, तब वे नेट प्रैक्टिस कर रहे थे। उन्हें सलाह के तौर पर बताया कि कुछ समय रेस्ट कीजिए। जब दवा वगैरह देकर सब कुछ उन्हें समझा दिया, तो उन्होंने बड़ी पोलाइटली मुझसे पूछा कि डॉक्टर साहब कितनी फीस हुई?'

'तो मैंने उनसे कहा कि मुझे फीस नहीं चाहिए... आप सिर्फ एक फोटोग्राफ मेरे साथ खिंचवा लीजिए, वही मेरी फीस होगी। उन्होंने बड़ी खुशी-खुशी मेरे साथ फोटो खिंचवाए। वो फोटो आज भी मेरे पास है। फोटो देखकर विश्वास नहीं होता कि यह आदमी आज हमारे बीच में नहीं है।'

सवाल- उनसे और क्या बातें हुई थी?

डॉ अहमद- 'उस समय उनको रांची स्थित पलामो फोर्ट के इतिहास के बारे में मोटा-मोटा बताया था। उस समय मैं 'द सीक्रेट ऑफ द पलामो फोर्ट' बुक लिख रहा था, जो अब प्रकाशित हो चुकी है। उस समय मैंने उनसे पूछा था कि अगर रांची, झारखंड पर और अच्छी स्टोरी मिले तो क्या उस पर एक्ट करना चाहेंगे? उन्होंने कहा था कि अगर अच्छी स्टोरी मिलेगी तो क्यों नहीं प्ले करेंगे।'

डॉ रजी अहमद की किताब

सवाल- आप सुशांत का इलाज कर चुके हैं। उनकी मौत की खबर कब और किससे सुनी?

डॉ अहमद- 'मैं हॉस्पिटल में ही था, चूंकि घर पर सबको पता था कि उनका ट्रीटमेंट कर चुका हूं तो जब कभी वे टीवी पर दिखाई देते थे तो घरवाले कहते थे कि देखो तुम्हारा फ्रेंड आ गया। फिलहाल घर से मम्मी का फोन आया था कि सुशांत सिंह के बारे में इस तरह से टीवी पर दिखा रहे हैं। यह खबर सुनकर मुझे लगा कि यह जोक है। उसके बाद भाई का भी मैसेज आया। तब मैंने ऑनलाइन चेक किया तो पोर्टल की न्यूज़ में पढ़ा, तब पता चला कि यह खबर सही है।'

सवाल- आपको क्या लगता है क्या वे सचमुच डिप्रेशन जैसी किसी समस्या से जूझ रहे होंगे?

डॉ अहमद- 'हां, 2016 में उनसे जो दो-तीन मुलाकाते हुई थीं, उस आधार पर कह सकता हूं कि ऐसा बिल्कुल नहीं था कि उन्हें इस तरह की प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। जितना देखा था, उस बिना पर कह सकता हूं कि वे हर चीज पर बहुत ध्यान देते थे। हर आदमी को बड़े अच्छे से ट्रीट करते थे। अब सुनने में आ रहा है कि उन्हें बाइपोलर डिसऑर्डर था, उसकी दवा चल रही थी। अगर यह किसी को होता है तो उसका मन काम में नहीं लगता है या बहुत ओवर एक्टिविटी हो जाता है। लेकिन उस समय उनमें इस तरह की कोई चीज देखने को मिली नहीं।

आगे उन्होंने कहा, 'यह बात मानना बहुत ज्यादा मुश्किल लगता है कि उन्हें इस तरह की कोई प्रॉब्लम थी। अगर इस तरह की कोई प्रॉब्लम थी तो उसका एक प्रॉपर रिकॉर्ड होना चाहिए। ऐसे केस में उनकी फैमिली को मालूम होना चाहिए था, क्योंकि इसमें जो दवा वगैरह देते हैं तो उससे ज्यादा नींद आने लगती है। अगर कोई दवा खाता है तो फैमिली को मालूम होना चाहिए कि इसकी क्या वजह है। अब पता नहीं कि यह बात उनकी फैमिली को पता थी कि नहीं।'

अबतक भरोसा नहीं हो पा रहा है

डॉ अहमद- 'आजकल उनके बारे में हर दिन एक नई चीज सुनने-पढ़ने को मिल रही है। बातों को लेकर बहुत कन्फ्यूजन हो गया है। लेकिन पहली बार में सुसाइड कर लेने की बात को मानना इम्पॉसिबल लगता है। उन्होंने सुसाइड कर लिया, आज तक इस बात पर भरोसा नहीं हो पा रहा है।'

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साल 2016 में रांची में डॉक्टर रजी अहमद के साथ सुशांत सिंह राजपूत।

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जल्द से जल्द फिल्मों की शूटिंग शुरू करने को तैयार प्रोड्यूसर्स, मगर सिनेमाघर मालिकों की चिंताएं फिलहाल नहीं होने वाली कम

सरकार ने अनलॉक के मौजूदा हालातों में फिल्‍मों और सीरियलों की शूटिंग करने की सशर्त इजाजत दे दी है। जिसके बाद सेट पर सामाजिक दूरी के निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा। साथ ही इसके लिए एक संचालन प्रक्रिया यानी एसओपी भी जारी की गई है। सरकार के इस फैसले से प्रोड्यूसर्स में खुशी है।

प्रोड्यूसर्स एसओपी के नियमों को अपने लिए फ्रेंडली बता रहे हैं। हालांकि सिनेमाघर वालों का कहना है‍ कि मौजूदा परिस्थितियों में भी अक्‍टूबर से पहले उनका काम शुरू नहीं हो सकेगा, क्योंकि हाल फिलहाल सिनेमाघर खुलने की कोई उम्मीद नहीं है।

कई फिल्मों की शूटिंग फिर से शुरू होगी

प्रोड्यूसर्स की सबसे बड़ी संस्‍था इम्‍पा के प्रमुख टीपी अग्रवाल ने बताया, 'सरकार ने मेकर्स को शूटिंग करने के लिए लचीले प्रावधान किए हैं। सुरक्षा के उपाय बरतने पर फोकस है। निर्माताओं पर अतिरिक्‍त खर्च के बोझ नहीं हैं। जैसा कि विभिन्‍न सिने वर्कर्स एसोसिएशनों ने अपने नियमों के जरिए निर्माताओं पर लाद दिया था। सिर्फ हमारे ही एसोसिएशन से 50 से 60 छोटे-बड़े प्रोजेक्‍ट की फिल्‍में अधर में लटकी हुईं थीं। वो सब फिर से शूट हो सकेंगी।'

60 प्लस एक्टर्स वाली बात अच्छी है

'शादी में जरूर आना' फेम निर्माता विनोद बच्‍चन ने भी एसओपी को प्रोड्यूसर्स फ्रेंडली बताया है। वो कहते हैं, 'खासकर 60 प्‍लस एक्‍टरों को खास ख्‍याल रखने की जो बात है, वह बड़ी अच्‍छी है। इसके लिए केंद्र सरकार का शुक्रिया अदा करता हूं।'

'लॉकडाउन और एसओपी पर स्थिति स्‍पष्‍ट न होने के चलते दर्जनों मेकर्स की फिल्‍में अटकी पड़ी थीं। मैं भी अब अपनी एक फिल्‍म 21 जनवरी से शुरू करने वाला हूं। पेंडेमिक को देखते हुए वो काम होगा। फिलहाल हम उसकी कास्टिंग पर काम कर रहे हैं। बाकी जो मेरी फिल्‍म शूट हो चुकी है, ‘गिन्‍नी वेड्स सन्‍नी’, वो नेटफ्ल‍ि‍क्‍स पर रिलीज हो रही है। उसकी रिलीज डेट जल्‍द अनाउंस हो जाएगी।'

व्यवहारिक लग रही है गाइडलाइन

तनुज गर्ग ने बताया, 'गाइडलाइन्‍स व्‍यवहारिक लग रही है। बड़े और छोटे बाकी सारे प्रोड्यूसर्स को शूट करने में आसानी होगी। अब हम नवंबर से तापसी पन्‍नू और ताहिर राज भसीन के साथ ‘लूप लपेटा’ शुरू करेंगे। शूट हो जाने पर हम रि‍लीज डेट भी अनाउंस करेंगे।'

शैलेष आर सिंह ने कहा, 'हमारा अगला प्रोजेक्‍ट तो विकास दुबे पर बेस्‍ड फिल्‍म है। उस पर हम उनकी फैमिली से राइट्स ले चुके हैं। गाइडलाइन्‍स के बाद अब इसे शुरू करना आसान होगा।'

कुछ फिल्में तुरंत शुरू हो सकती हैं

ट्रेड पंडितों ने बताया, 'सरकारी दिशानिर्देश आ चुके हैं। ऐसे में मीडियम और स्‍मॉल बजट की फिल्‍में तो तुरंत शुरू हो जाएंगी। बड़े बजट की फिल्‍मों में पृथ्‍वीराज चौहान, गंगूबाई, पठान के भी शुरू होने के चांसेज हैं। वे सब स्‍टूडियो में इंडोर में शुरू होंगी। बाकी बड़े सितारे भी शूटिंग के लिए कमर कस सकते हैं, क्‍योंकि अक्‍टूबर से वैक्‍सीन मिलना शुरू हो सकती है।

'इनफैक्‍ट पुणे के सीरम इंस्‍टीट्यूट को ड्रग्‍स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीजीसीआई से अनुमति मिल गई है। उस कंपनी ने भारत में ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्‍ट्राजेनेका द्वारा विकसित की गई वैक्‍सीन के मानव ट्रायल के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल की अनुमति मांगी थी। जाहिर है, अक्‍टूबर बाद से शूटिंग में और तेजी आएगी।'

सिनेमाघर वालों की चिंता बरकरार

फिल्‍म निर्माताओं और ट्रेड पंडितों की बातों से मल्‍टीप्‍लेक्‍स एसोसिएशन ऑफ इंडिया भी इत्‍तेफाक रखता है। उसके सेक्रेटरी ड्यानदास चपहल्‍कर कहते हैं, 'सरकार ने शूटिंग की इजाजत तो दे दी है। पर सिनेमाघरों का उसमें जिक्र नहीं है। उसकी वजह है कि जब तक फुल फ्लेज्‍ड वैक्‍सीन नहीं आती, तब तक लोग सिनेमाघरों में नहीं आएंगे।'

सिर्फ भरोसे पर सिनेमाघर नहीं खोल सकते

आगे उन्होंने कहा, 'हम भी इस वक्‍त तो सिनेमाघर खोलने के स्थिति में नहीं हैं। वो इसलिए कि जो फिल्‍में बनकर तैयार हैं, उनके निर्माता भी हमें अश्‍योरेंस नहीं दे रहे कि वो हमें नई फिल्‍में देंगे ही। उनकी ओर से यही कहा जा रहा कि आप पहले सिनेमाज ओपन करो, फिर हम कुछ बताएंगे। इस अश्‍योरेंस पर हम कैसे सिनेमाज ओपन कर सकते हैं।'

'फिलहाल हम एक अक्‍टूबर का ही वेट कर रहे हैं। तब तक भारत में वैक्‍सीन सप्‍लाई शुरू होने के पूरे चांसेज हैं। बल्‍क‍ि सितंबर से ही वैक्‍सीन मिलनी शुरू हो जाएंगी। जैसा सीरम इंस्‍टीट्यूट वालों का दावा है। साथ ही उसे डीसीजीआई से परमिशन मिल ही गई है। अच्‍छी चीज यह है कि फिल्‍मों की शूटिंग शुरू होने से नए कंटेंट की कमी नहीं रहेगी। साथ ही ओटीटी पर पहले जाने से फिल्‍मकारों को वैसा बेनिफिट नहीं हुआ है, जैसा सिनेमाघरों के विंडों पर होता था।'

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प्रतीकात्मक फोटो।

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‘Yes, God, Yes’ Could Make ‘Stranger Things’ Actress a Star
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सुशांत के विसरा के बचे हुए 20% हिस्से के जरिए सीबीआई को मिलेगा सुराग, इसके 80% हिस्से का इस्तेमाल मुंबई पुलिस कर चुकी है

सुशांत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और फॉरेन्सिक जांच रिपोर्ट सीबीआई के पास आ चुकी है। इसके बाद टीम से जुड़े फॉरेन्सिक एक्सपर्ट अब सुशांत के बचे हुए विसरा से सच का पता लगाने की कोशिश करेगी। फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के सूत्रों ने खुलासा किया कि सुशांत के डीएनए, उनके खून और अन्य अंगों से लिए गए नमूनों में से करीब 80 फीसदी का इस्तेमाल मुंबई पुलिस कर चुकी है। सीबीआई यह काम बाकी बचे हुए 20 प्रतिशत विसरा से करेगी।

फंदा लगाने की तीन थ्योरीज से करनी होगी जांच

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एसआईटी को सुशांत की मौत की जांच तीन थ्योरीज के आधार पर करनी होगी। इनमें मुंबई पुलिस की रिपोर्ट्स के आधार पर बताई गई कुर्ते/गाउन से फंदा लगाने की बात भी शामिल है। सोशल मीडिया पर वायरल फोटोज और वीडियो आधार पर यह कहा जा रहा है कि उनके कमरे में बाथरोब बेल्ट भी थी। उधर, सुशांत के एक्स रूममेट अंकित आचार्य का दावा था कि सुशांत को उनके डॉग फज की बेल्ट से गला घोंट कर मारा गया।

पीएम रिपोर्ट में शामिल थे ये सारे फैक्ट्स

सुशांत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कुल 7 पन्नों की है। इस रिपोर्ट के आधार पर एक्सपर्ट का कहना है कि उनके गले पर फंदे का निशान बना हुआ है। गर्दन के पीछे यह निशान नहीं था जबकि गर्दन की दाहिनी तरफ यह निशान ज्यादा गहरा था।

सुशांत की पीएम रिपोर्ट में गर्दन की मोटाई 49.5 सेंटीमीटर दर्ज की गई है। लेकिन, उसी गर्दन पर बने फांसी के फंदे के निशान यानी लिगेचर मार्क्स की लेंथ 33 सेंटीमीटर लिखी गई है।

चौंकाने वाली बात यह है कि सुशांत की गर्दन का आकार और फंदे की वजह से गर्दन पर बने निशान का आकार अलग-अलग है। इन दोनों के आकार में करीब 16.5 सेंटीमीटर का अंतर है।

टीम के पास बाकी बचे ये सुबूत भी हैं

विसरा के सैम्पल्स के अलावा कलिना लैब ने टीम को सुशांत के कमरे से मिली दवाओं और सिगरेट बड्स भी सौंप दी हैं। गौरतलब है कि सीबीआई टीम 22 अगस्त को सुशांत की मौत मामले से जुड़े बाकी सुबूतों को लेने के लिए मुंबई के कूपर अस्पताल पहुंची थी। जहां पोस्टमार्टम किया गया था। फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स को विसरा या पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किसी गड़बड़ी की आशंका थी, जिसके बाद सीबीआई ने टेस्ट के लिए बाकी बचे सभी सुबूतों को मंगाया है।

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सुशांत मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है। टीम ने सुशांत के दोस्त सिद्धार्थ पिठानी, हेल्पर दीपेश और कुक नीरज से भी पूछताछ की है। रिया से भी जल्द सवालात होंगे। - फाइल फोटो

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समुद्र किनारे बने इस रिजॉर्ट में सीबीआई तलाश रही सुशांत की लाइफ से जुड़े राज, यहां 5-8 हजार रुपए है एक दिन का किराया; अंदर से ऐसा आता है नजर

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में आज सीबीआई की टीम फिर एक बार वाटर स्टोन रिजॉर्ट में जांच करने के लिए पहुंची थी। आज टीम ने रिजॉर्ट के मैंनेजर और स्टाफ से पूछताछ की है। इससे पहले भी टीम ने यहां रविवार को जांच की थी। मुंबई के अंधेरी में स्थिति यह वही रिजॉर्ट है, जहां पर सुशांत के 2 महीने तक इलाज होने की बात कही जा रही है। इस स्थान का इस्तेमाल सुशांत के काउंसलिंग करने के लिए भी किया गया था। यहीं पर स्पिरिचुअल(आध्यात्मिक गुरु) हीलर मोहन सदाशिव जोशी को भी बुलाया गया था। सुशांत के बैंक स्टेटमेंट से इस बात का पता भी चला है कि सुशांत यहां रुके थे।

मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पीछे स्थित है यह फाइव स्तर रिसॉर्ट।

रिजॉर्ट के मैनेजर से सीबीआई ने पूछे ये सवाल

रिजॉर्ट में सुशांत कब आए थे और कितने दिनों तक वहां रुके थे?

इस रिजॉर्ट में वह किसके साथ थे और यहां रहने के दौरान क्या कोई बाहर से भी आता था?

इस रिजॉर्ट में ठहरने का भुगतान चेक, कैश या कार्ड से किया गया था?

क्या रिया ने कभी सुशांत के बाद इस जगह का दौरा किया?

सीबीआई ने सुशांत के यहां रहने के दौरान के सीसीटीवी फुटेज भी अपने कब्जे में लिए हैं।

जांच एजेंसी कर्मचारियों से यह जानना चाहती है कि क्या उन्होंने अभिनेता के यहां रहते हुए उनकी मानसिक हालत एवं व्यवहार में कोई असामान्य बदलाव नजर आया था या नहीं?

यहां एक खूबसूरत स्वीमिंग पूल है।

यहां आध्यात्मिक गुरु से दो बार मिले थे सुशांत
ठाणे बेस्ड आध्यात्मिक गुरु मोहन सदाशिव जोशी की मानें तो 2019 में रिया चक्रवर्ती ने उन्हें बताया था कि सुशांत डिप्रेशन में थे। इसके बाद दो दिन लगातार उनकी अभिनेता से मुलाकात हुई थी। खास बात यह है कि खुद सुशांत से उनकी ज्यादा बात नहीं हुई थी। टाइम्स नाउ से बातचीत में मोहन सदाशिव जोशी ने बताया कि वे सुशांत से उनके वाटर-स्टोन रिसॉर्ट में दो बार मिले थे। बकौल जोशी, "22 और 23 नवंबर को मैं उनसे मिला था। 22 नवंबर को मैंने उन्हें ब्लेसिंग दी थी। फिर 23 नवंबर को मुझे रिया का फोन आया और बोली कि सुशांत बहुत अच्छे हैं। उसी रोज मैं उनसे दोबारा मिला। हम तीनों (सुशांत, रिया और जोशी) ने साथ में लंच भी किया था।"

यहां के कमरों से सीधे सी व्यू का नजार लिया जा सकता है।

रिया ने गूगल पर सर्च कर बुलाया था

जब जोशी से पूछा गया कि उन्हें रिया ने ही बुलाया था या किसी और तरीके से वे उन तक पहुंचे थे? इसके जवाब में वे कहते हैं, "रिया ने मुझे बुलाया था। मैं अपना विज्ञापन नहीं करता। डिप्रेशन के शिकार लोग मुझे गूगल पर सर्च करते हैं और फिर मुझसे संपर्क करते हैं। रिया ने मुझसे कहा कि सुशांत डिप्रेशन में हैं।" जोशी के मुताबिक, सुशांत से मुलाकात के बाद उन्होंने उन्हें डिप्रेशन में पाया था। उन्होंने उनका इलाज किया और अगले दिन उन्हें बताया गया कि वे 90 फीसदी ठीक हो गए हैं।

यहां स्कूबा डाइविंग का भी आनंद लिया जा सकता है।

कैसे हील कर करते हैं मोहन जोशी?

जोशी के मुताबिक, वे अपने हाथ के जरिए पीड़ित इंसान के अंदर एनर्जी भेजते हैं। उन्होंने बताया, "मेरे हाथ गरम रहते हैं। यह ऊर्जा इंसान के शरीर के अंदर जाती है। यही एनर्जी उन्हें ठीक करती है। मैं नहीं करता हूं।" जोशी ने आगे बताया कि वे अपने इस काम के लिए किसी तरह की फीस नहीं लेते हैं। लेकिन कोई अपनी मर्जी से कुछ देना चाहे तो वे उसे स्वीकार कर लेते हैं। इसके लिए वे किसी तरह की पूजा भी नहीं करते, उनके मुताबिक, वे नास्तिक हैं।

बांद्रा पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया था

जोशी की मानें तो बांद्रा पुलिस ने फोन कर उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था। लेकिन वे नहीं जा सके। वे कहते हैं, "मैंने उन्हें कहा कि मैं 70 साल का हूं और मेरी एंजियोग्राफी हुई है। मैं इतनी दूर नहीं आ सकता। मैंने जो कुछ भी किया, वह रिकॉर्ड में हैं। मैं आपको भेज सकता हूं।"

यहां एक सी व्यू रेस्टोरेंट भी है।

रिसॉर्ट में क्या है खास?
यह 5 स्टार रिसॉर्ट मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के ठीक पीछे स्थित है। इस रिजार्ट में एक दिन का किराया तकरीबन 5 हजार रुपए से लेकर 8 हजार रुपए तक है। रिजॉर्ट में एक स्पा, एक टेनिस लॉन भी है। इसके अलावा यहां पर्सनल ट्रेनर के साथ जिम, मेडिटेशन सेंटर और योग सेंटर भी है। माना जा रहा है कि शायद यही वजह है कि यह सुशांत यहां इतने ज्यादा समय तक रुके थे।

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समुद्र किनारे स्थित इस रिसॉर्ट में सुशांत के दो महीने रहने की बात सामने आ रही है। इनसेट में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत।

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सुशांत के पिता के वकील विकास सिंह ने कहा-अगर सुशांत तीन साइकेट्रिस्ट से इलाज करवा रहे थे तो रिया के पिता उन्हें अलग से क्यों दवा दे रहे थे?

सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में उनके पिता केके सिंह के वकील विकास सिंह ने एक बार फिर रिया चक्रवर्ती के पिता पर आरोप लगाए हैं। विकास सिंह ने कहा कि जब सुशांत तीन डॉक्टर्स को कंसल्ट कर रहे थे, तब रिया के पिता उन्हें क्यों और किस हैसियत से अपनी दवा दे रहे थे? बता दें कि सुशांत के एक दोस्त ने खुलासा किया था कि सुशांत के लिए दवाएं रिया चक्रवर्ती के पिता लाया करते थे।

रिया के पिता एक स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं थे
विकास सिंह ने सोमवार को कहा, "निश्चित तौर पर कुछ गड़बड़ है। रिया के पिता अपने परिवार में भी किसी को दवाइयां नहीं देते थे। रिया के पिता एक मिलिट्री डॉक्टर थे और स्पेशलाइज्ड नहीं थे। जिस तरह रिया ने कहा था कि उन्होंने 3 साइकेट्रिस्ट से सलाह ली थी तो आखिर रिया के पिता ने सुशांत को दवाइयां कैसे दीं?"

खाने में क्या मिलाती थी रिया इसकी जांच होनी चाहिए
विकास सिंह ने आगे कहा कि रिया सुशांत के साथ लिव-इन में रहती थीं। ऐसे में रिया के घर से भी खाना आया करता था। सवाल है कि उस खाने में क्या मिलाया जाता था। शुरू में सुशांत के परिवार की तरफ से आगे नहीं आने से जुडे़ सवाल पर विकास सिंह ने कहा कि परिवार को बाद में यह डाउट हुआ कि यह मामला मर्डर का है। लेकिन, जब तक सीबीआई जांच पूरी नहीं कर लेती तब तक हम ज्यादा नहीं बोल सकते हैं।

होमवर्क पूरा होने के बाद रिया से पूछताछ करेगी सीबीआई
उन्होंने यह भी कहा कि सुशांत की मौत को 2 महीने से ज्यादा का समय हो गया। सीबीआई इस मामले में काफी देरी से आई है। मुझे लगता है कि सीबीआई अपने हिसाब से सारी तहकीकात करके रिया को बुलाएगी। उसके बाद अगर उनकी तरफ से जवाब ठीक नहीं आते हैं, तो गिरफ्तार भी करे।

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सुशांत के पित ने इस केस में विकास सिंह को अपना वकील नियुक्त किया है।

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सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पूछा- 'हत्या' के दिन दुबई का ड्रग डीलर अयाश खान सुशांत से क्यों मिला था?' रिया चक्रवर्ती पर भी बोला हमला

सुशांत सिंह राजपूत डेथ केस की जांच सीबीआई कर रही है। लेकिन इस दौरान नए-नए दावे भी लगातार सामने आ रहे हैं। सुशांत केस में दुबई कनेक्शन का दावा कर चुके भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अब फिर नया दावा किया है। उनकी मानें तो जिस दिन सुशांत की मौत हुई, उस दिन दुबई का ड्रग डीलर अयाश खान अभिनेता से मिला था। स्वामी ने ट्वीट में सुनंदा पुष्कर और श्रीदेवी की मौत का जिक्र भी किया है।

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपने ट्वीट में लिखा है, "जिस तरह सुनंदा पुष्कर मामले में एम्स के डॉक्टर्स को उनके पेट में असली जहर मिला था। वैसा श्रीदेवी या सुशांत केस में नहीं किया गया। सुशांत केस में उनकी हत्या वाले दिन दुबई के ड्रग डीलर अयाश खान ने उनसे मुलाकात की थी? आखिर क्यों?"

रिया चक्रवर्ती पर भी बोला हमला

स्वामी ने एक अन्य ट्वीट में रिया चक्रवर्ती पर भी हमला बोला है। उन्होंने लिखा है, "अगर रिया चक्रवर्ती ऐसे सबूत देती हैं, जिनका महेश भट्ट से हुई बातचीत से विरोधाभास हुआ तो सच्चाई तक पहुंचने के लिए उन्हें गिरफ्तार कर हिरासत में पूछताछ करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं होगा।" रिपोर्ट्स के मुताबिक, महेश भट्ट ने रिया को सुशांत से अलग होने की सलाह दी थी।

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पिछले सप्ताह उठाया था दुबई कनेक्शन का सवाल

पिछले सप्ताह एक ट्वीट में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सुशांत केस के तार दुबई से जोड़े थे। उन्होंने लिखा था, "यूएई और इजराइल के डिप्लोमेटिक रिलेशनशिप के चलते दुबई में बैठे भारतीय दादा संकट में हैं। इसी तरह 3 खान (सलमान, आमिर और शाहरुख) बाहुबली भी। सीबीआई को सुशांत, श्रीदेवी और सुनंदा पुष्कर मामले में मोसाद (Mossad) और शिन बेत (Shin Bet) की मदद लेनी चाहिए।"

मोसाद और शिन बेत क्रमशः इजरायल की सिक्युरिटी और इंटेलिजेंस एजेंसी हैं। बात श्रीदेवी और सुनंदा पुष्कर की मौत की करें तो श्रीदेवी 24 फरवरी 2018 को दुबई के एक होटल के बाथटब में मृत मिली थीं। वहीं, सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी 2014 को दिल्ली के एक होटल में मृत पाई गई थीं।

मौत को बॉलीवुड का 'वॉटरगेट' और 'वॉटर लू' बता चुके स्वामी

इससे पहले 16 अगस्त को सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सुशांत की मौत के मामले को बॉलीवुड का 'वॉटरगेट' और 'वॉटर लू' करार दिया था। उन्होंने मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा था, "सुशांत सिंह राजपूत की हत्या बॉलीवुड, मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार के लिए वाटर लू और वाटरगेट है। अपना सीट बेल्ट बांध लीजिए, क्योंकि जबतक दोषी को सजा नहीं मिल जाती, तब तक हम अपनी कोशिश नहीं छोड़ेंगे।"

वाटरगेट घोटाला अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से जुड़ा था। यह घटना 70 के दशक की है। रिचर्ड निक्सन पर जासूसी कराने का आरोप लगा था। अमेरिका के अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने इस घटना को उजागर किया था, जिसके बाद निक्सन को इस्तीफा देना पड़ा था।

स्वामी सीबीआई जांच की मांग करने वालों में शामिल थे

सुब्रह्मण्यम स्वामी सुशांत के फैमिली मेंबर्स और फैन्स के साथ उन लोगों में शामिल थे, जो लगातार मामले की जांच सीबीआई से कराने पर जोर दे रहे थे। उन्होंने वकील ईशकरण सिंह भंडारी को तथ्यों की जांच में भी लगाया था। जब बिहार सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की, तब स्वामी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई दी थी। इसके बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में जांच सीबीआई को सौंपी, तब स्वामी ने खुशी जाहिर करते हुए लिखा था, "सीबीआई जय हो।"

सुशांत केस से जुडी ये खबरें भी पढ़ सकते हैं...

1. रिया-सुशांत की कॉमन दोस्त का खुलासा:रिया ने भूत-प्रेत की कहानियां सुनाकर सुशांत के दिमाग में सुपर नैचुरल पावर भरा था, अभिनेता के फाइनेंस और करियर पर भी कर लिया था कंट्रोल

2. कहानी सुशांत की मौत से 6 दिन पहले की:हाउस कीपर नीरज का खुलासा- 8 जून की रात रिया मैम बहुत गुस्से में थीं, उन्होंने बैग पैक करवाया और बिना डिनर किए अपने भाई के साथ चली गईं

3. रिया चक्रवर्ती-महेश भट्ट की वॉट्सऐप चैट वायरल:सुशांत का घर छोड़ने के बाद रिया ने किया था महेश भट्ट को मैसेज, जवाब में भट्ट ने कहा था- पीछे मुड़कर मत देखना

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सुब्रह्मण्यम स्वामी सुशांत सिंह राजपूत डेथ केस के तार दुबई से जुड़े होने का दावा पहले भी कर चुके हैं।

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मौत के बाद भी कई दिनों तक एक्टिव था सुशांत की पूर्व मैनेजर का फोन, सफाई में पुलिस ने कहा- हम डाटा कलेक्ट कर रहे थे

सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में लगातार हो रहे नए खुलासों के बीच उनकी पूर्व मैनेजर दिशा सालियान के केस में भी सोमवार को एक नया खुलासा हुआ। दिशा की कॉल डिटेल्स से पता चला है कि उनका फोन उनकी मौत के कई दिनों बाद तक एक्टिव था। इस मामले में पुलिस ने कहा है कि कुछ डाटा निकालने के लिए उन्होंने दिशा का फोन ऑन किया था।

अंग्रेजी न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ ने दिशा के मोबाइल की कॉल डाटा रिपोर्ट के आधार पर इस बात का खुलासा किया है कि दिशा की मौत के बाद भी उनके मोबाइल का इस्तेमाल किया गया था। इस दौरान 8 जून को उनके देहांत के बाद उसे 9, 10, 15 और 17 तारीख को उनका फोन एक्टिव हुआ था और इस दौरान उसमें इंटरनेट का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही ये भी बताया जा रहा है कि उससे कई कॉल्स भी किए गए।

पुलिस बोली- डाटा कलेक्शन के लिए फोन ऑन किया था

इस मामले में पुलिस ने सफाई देते हुए इसे प्रोटोकॉल का हिस्सा बताया है। पुलिस के मुताबिक डाटा कलेक्शन के लिए फोन को ऑन करना ही पड़ता है। इस दौरान कई मैसेजेस और फोन भी आए लेकिन उनका जवाब नहीं दिया गया और उन्हें जांच के लिए नोट कर लिया गया।

पुलिस ने दी सफाई, लेकिन सीडीआर और कुछ कह रहा

साथ ही पुलिस का ये भी कहना है कि फोन ऑन होने के बाद इंटरनेट अपने आप यूज होने लगता है। हालांकि पुलिस के दावे से उलट दिशा का सीडीआर बता रहा है कि 8 तारीख के बाद दिशा के फोन में जितना इंटरनेट यूज हुआ, वो दिशा के सामान्य इस्तेमाल से कहीं ज्यादा था।

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मौत के बाद जांच के लिए भेजना था फोन

दिशा का शव मिलने के बाद मुंबई पुलिस को उनका फोन जब्त करते हुए उसे फोरेंसिक जांच के लिए भेजना चाहिए था। लेकिन इस मामले में कई दिनों तक ऐसा नहीं हुआ और कई दिनों बाद उसे फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया। अबतक उसकी जांच रिपोर्ट भी नहीं आई है।

पुलिस ने बयान जारी कर दी थी सफाई

इससे कुछ दिन पहले कई मीडिया रिपोर्ट्स में दिशा का शव न्यूड मिलने और पोस्टमार्टम कराने में जानबूझकर देरी किए जाने का दावा किया गया था। जिसके बाद 9 अगस्त को मुंबई पुलिस ने बयान जारी करते हुए कहा था, 'दिशा सालियान की बॉडी न्यूड मिलने को लेकर चल रहीं सभी रिपोर्ट्स झूठी हैं। इस घटना के बाद पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची थी और शव का पंचनामा किया था। उसके माता-पिता भी मौके पर थे।'

पुलिस ने बताया 'दिशा ने आखिरी कॉल अपनी दोस्त अंकिता को किया था, जिसका बयान दर्ज किया जा चुका है। अब तक 20-25 लोगों के बयान लिए जा चुके हैं।'

8 जून को हुई थी दिशा की मौत

बता दें कि दिशा सालियान की मौत 8 जून को मुंबई के मलाड इलाके में स्थित एक बिल्डिंग की 14वीं मंजिल से गिरकर हुई थी। उनके पास कोई सुसाइड लेटर बरामद नहीं हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने इसे आत्महत्या बताया था। वहीं इसके ठीक हफ्तेभर बाद यानी 14 जून को सुशांत की मौत भी हो गई थी। जिसके बाद से ही लोग इन दोनों की मौत के बीच कनेक्शन होने का आशंका जाहिर कर रहे हैं।

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शादीशुदा होते हुए भी कैसे शुरू हुआ था परवीन बाबी से अफेयर, फिल्ममेकर महेश भट्ट ने खुद बताई कहानी

फिल्ममेकर महेश भट्ट एक बार फिर विवादों में फंस गए हैं। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में रिया चक्रवर्ती के साथ उनकी बातचीत के कुछ स्क्रीनशॉट सामने आए हैं। यह स्क्रीनशॉट 8 जून के हैं जब रिया ने सुशांत का घर छोड़ दिया था। रिया ने भट्ट को इस बात की जानकारी मैसेज करके दी थी जिसके बाद महेश भट्ट ने उन्हें पीछे ना मुड़कर देखने की सलाह दी थी।

इससे पहले भी खबरें थीं कि महेश भट्ट ही वो शख्स हैं जिन्होंने रिया से कहा था कि वो सुशांत से दूरी बना लें। रिया ने ऐसा ही किया और 8 जून को सुशांत से दूर हो गईं जिसके बाद 14 जून को रहस्यमयी हालत में सुशांत की मौत हो गई।

वैसे, ये पहला मौका नहीं है जब महेश भट्ट विवादों में फंसे हों। विवाद उनकी जिंदगी का हिस्सा रहे हैं। खासकर बॉलीवुड एक्ट्रेस परवीन बाबी से उनका रिश्ता भी कम विवादित नहीं था। करिश्मा उपाध्याय ने एक्ट्रेस पर एक किताब 'परवीन बाबी' लिखी है जो जल्द ही रिलीज होने वाली है। इस किताब में महेश भट्ट ने परवीन के साथ अपने रिश्ते पर खुलकर बात की है।

यूं जिंदगी में आईं परवीन

महेश भट्ट ने इस किताब में बताया है कि परवीन बाबी उनके दोस्त कबीर बेदी की गर्लफ्रेंड हुआ करती थीं। दोनों का रिश्ता ठीक नहीं चल रहा था तब परवीन अपने करियर पर फोकस करने के लिए लंदन चली गई थीं। वहां से वापस आने पर परवीन ने उन्हें बातचीत करने के लिए घर बुलाया गया था।

महेश भट्ट से पहले कबीर बेदी के साथ लिव इन में थीं परवीन।

यहीं से परवीन से उनके रिश्ते की शुरुआत हुई थी। महेश भट्ट ने इस मुलाकात का जिक्र करते हुए किताब में कहा है, 'उस शाम दो दोस्तों की बातें गहराती गईं और फिर खामोशी में सुकून मिलने लगा। हमारे बीच का आकर्षण दिल छू लेने वाला था।'

महेश और परवीन का रिश्ता तकरीबन दो साल चला था। दोनों लिव इन में रहा करते थे। महेश भट्ट अपनी पहली पत्नी लोरिएन (किरण भट्ट) और बेटी पूजा भट्ट को छोड़कर परवीन के पास गए थे। उन्हें इस बात का अपराध बोध था। यही वजह है कि परवीन को छोड़कर महेश भट्ट ने वापस बीवी और बेटी के पास लौटने की ठान ली।

महेश भट्ट ने किताब में किस्सा सुनाते हुए कहा, 'जब मैंने यह फैसला किया और घर से निकलने लगा तो परवीन मुझे सी-ऑफ तक करने नहीं आईं। घर के दरवाजे तक पहुंचने पर उन्होंने मेरा नाम पुकारा। जब मैं बेडरूम के दरवाजे तक पहुंचा तो परवीन बेड पर लेटकर मेरा इंतजार कर रही थीं। कमरे में खामोशी थी और उस समय शब्दों की जरूरत ही नहीं थी।'

सिजोफ्रेनिया से पीड़ित थीं परवीन

महेश भट्ट ने किताब में परवीन की मानसिक बीमारी को लेकर बात की है। उन्होंने कहा, एक बार परवीन कमरे की फ्लोर पर कोने में चिपककर लेटी हुई थीं। उन्होंने अपनी फिल्म का ही एक कॉस्टयूम पहना हुआ था। हाथ में चाकू पकड़ी हुई थीं जिसे वह अक्सर ब्रेकफास्ट बनाते वक्त उपयोग करती थीं। जब मैं उनकी तरफ बढ़ा तो परवीन बोलीं-वो लोग मुझे मार देंगे और उन्होंने अमिताभ बच्चन का नाम लिया और कहा-जानते हैं आप नादान इंसान हैं। वो लोग मेरे ऊपर झूमर गिरा देंगे।

ये पहला वाक्या था जिससे महेश बुरी तरह हिल गए। उन्होंने परवीन का ये रूप पहले कभी नहीं देखा था। फिर अक्सर ही परवीन ऐसी हरकतें करने लगीं। डॉक्टरों को दिखाने के कुछ दिन बाद पता चला कि उन्हें सिजोफ्रेनिया नाम की मानसिक बीमारी है। तमाम इलाज के बावजूद परवीन की ये बीमारी ठीक होने का नाम नहीं ले रही थी।

उनके दिल में ये डर बैठ गया था कि कोई उन्हें मारना चाहता है। कुछ समय बाद तो परवीन को लगने लगा था कि उनकी कार में बम रखा है, वो एसी की आवाज तक से डर जाती थीं। परवीन की ऐसी स्थिति देखकर उन्हें कमरे में ही बंद रखा जाने लगा। महेश ने अमेरिका तक में उनका इलाज करवाया, लेकिन वो ठीक नहीं हुईं। इससे परेशान होकर महेश ने परवीन को छोड़ दिया और पहली पत्नी किरण के पास वापस लौट आए।

परवीन ने अपनी जिंदगी के अंतिम दिन अकेले ही काटे और जनवरी 22, 2005 को मौत की आगोश में चली गईं। तब उनकी डेड बॉडी क्लैम करने के लिए महेश भट्ट ही आगे आए थे।

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Mahesh Bhatt Reveals The Story Of His Affair With Parveen Babi

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