संजय दत्त को लंग कैंसर होने की खबर से फिल्म इंडस्ट्री और उनके फैन्स मायूस हैं। सूत्रों की मानें तो संजय तीसरी स्टेज के कैंसर से जूझ रहे हैं। संजय के लिए यह दौर बेहद मुश्किल है लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब संजय अपनी लाइफ में किसी हेल्थ प्रॉब्लम का सामना कर रहे हैं। संजय ने अपनी जिंदगी में इससे भी बुरे दौर देखे हैं जिनमें से एक वो दौर था जब उन्हें ड्रग्स की लत लग गई थी।
कम उम्र में ही ड्रग्स ले डूबी
कुछ सालों पहले सिमी ग्रेवाल के चैट शो में संजय ने उस दौर को याद किया था जब उन्हें ड्रग्स की लत लग गई थी। उन्होंने कहा था कि उन्हें यह लत तब लगी थी जब वह कॉलेज में थे। उम्र 17-18 साल के बीच रही होगी। तब उनके लिए ड्रग्स ही सबकुछ थी। किसी ने उन्हें इसे एक बार ट्राय करने के लिए कहा और फिर इस लत ने उनकी जिंदगी के 9 साल बर्बाद कर दिए।
इसके बाद एक इंटरव्यू में संजय ने कहा था, ‘मैंने हर ड्रग्स का नशा किया लेकिन मुझे हेरोइन और कोकेन बहुत पसंद थीं। एक बार की बात है। मैंने एलएसडी (साइकेडेलिक ड्रग) का नशा किया हुआ था। पिताजी (सुनील दत्त) ने मुझे अपने ऑफिस बुलाया। मैंने वहां समय से पहुंच गया। वह मेरे सामने बैठे थे और मुझसे बात कर रहे थे लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कह रहे हैं। वह स्लो मोशन में बात कर रहे थे और मैं जी-जी कहने की कोशिश कर रहा था। अचानक मुझे लगा कि उनके सिर के ऊपर मोमबत्ती जल रही है। यह देख मैं डर गया और उन्हें बचाने के लिए कूदा कि कहीं उनका चेहरा ना जल जाए।
'यह देखकर पिताजी ने नौकर से कहा-इसको लेके जाओ, यह पागल हो गया है। आज जब मैं उस घटना के बारे में सोचता हूं तो लगता है पिताजी पर क्या बीती होगी।’
9 साल तक ली ड्रग्स
एक और इंटरव्यू में संजय ने एक और किस्सा सुनाते हुए कहा था, ‘ एक बार मैंने हेरोइन ली हुई थी और सोने चला गया। फिर भूख लगी तो उठा। सुबह का समय था। मैंने नौकर से कहा कि मुझे कुछ खाने को चाहिए।
वह मुझे देखकर रोने लगा और बोला-'आप दो दिन के बाद उठे हैं। पूरा घर जैसे मुझे देखकर पागल हो गया, सब मेरी चिंता करने लगे। मैंने अपने आपको शीशे में देखा। ड्रग्स से मेरा चेहरा सूज गया था और मुझे आभास हो गया था कि मैं मर जाऊंगा। मैं पिता जी पास गया और उनसे मदद मांगते हुए कहा-'मुझे बचा लो पापा।’
रिहेब सेंटर में रहे संजय
इसके बाद संजय ने कहा, ‘तीन हफ्तों तक मैं ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती रहा और फिर इलाज के लिए अमेरिका के एक रिहेब सेंटर चला गया। इलाज करवाकर दो साल बाद इंडिया लौटा। किसी को नहीं पता था कि मैं वापस आ रहा हूं। जब घर पहुंचा तो मेरे नौकर ने कहा कि आपसे कोई मिलना चाहता है। वह मेरा ड्रग पेडलर था।
उसने मुझसे कहा- ‘कुछ नया माल आया है, आप रख सकते हैं। यह वो समय था कि मुझे तय करना था कि मुझे क्या करना है। मुझे ड्रग्स लेनी है या ड्रग्स बेचने वाले को भगा देना है। मैंने उस व्यक्ति को भगा दिया।उस दिन मुझे लगा कि मैं ड्रग्स के खिलाफ अपनी जंग जीत चुका हूं।’
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hi wite for you