लेखक चेतन भगत ने मंगलवार को एक के बाद एक 9 ट्वीट्स करते हुए सुशांत की आखिरी फिल्म 'दिल बेचारा' को लेकर फिल्म आलोचकों को ओवरस्मार्ट नहीं बनने की सलाह दी। साथ ही उन्होंने क्रिटिक्स से निष्पक्षता के साथ काम करने और बकवास नहीं लिखने की नसीहत भी दी।'दिल बेचारा' 24 जुलाई को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होगी।
अपने ट्वीट्स में चेतन ने अंग्रेजी बोलने वाले कुछ क्रिटिक्स को निशाने पर लेते हुए बताया कि ये लोग दिखते तो भारतीय हैं, लेकिन अंदर से अंग्रेज हैं और भारतीयों से इन्हें नफरत है। ये लोग अपने स्वनिर्मित और छोटे शहरों से आए लोगों से नफरत की नजर से देखते हैं। चेतन ने बड़े सितारों से ऐसे लोगों को संरक्षण नहीं देने की अपील भी की।
चेतन ने अपने ट्वीट्स में ये सब लिखा
पहला ट्वीटः 'अभिनेताओं के अलावा अन्य लोग भी एक फिल्म का हिस्सा होते हैं और उसे बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जिस तरह से उनके साथ व्यवहार किया जाता है वो भी मायने रखता है।'
दूसरा ट्वीटः 'एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री बहुत कठिन है जहां केवल अस्तित्व बचाना ही एक बड़ी जीत है। सबकी अपनी यात्रा होती है। लोगों को ग्रेड में रखने से केवल अनावश्यक चिंता और दबाव बढ़ता है। अगर आप ने खुद को बचा लिया? तो मेरे लिए आप एक स्टार हैं।'
##तीसरा ट्वीटः'इस हफ्ते सुशांत की आखिरी फिल्म रिलीज होगी। ऐसे में मैं अभी उन सभी घमंडी और खुद को उच्च समझने वाले क्रिटिक्स से कहना चाहूंगा कि समझदारी से लिखें। ज्यादा समझदारना बनें। बिल्कुल बकवास ना लिखें। निष्पक्ष और समझदार बनें। अपनी गंदी चालें चलने की कोशिश ना करें। आप कई लोगों का जीवन बर्बाद कर चुके हैं। अब रुक जाओ। हम देख रहे हैं।'
##चौथा ट्वीटः'उन मीडिया संस्थानों के लिए जो इन घमंडी क्रिटिक्स को नियुक्त करते हैं- ऐसे अभिजात्य लोगों को काम पर रखना गलत व्यापार रणनीति है, जो भारत को नहीं समझते और सोचते हैं कि वे भारतीयों से बेहतर हैं। ऐसे बाहर से भूरे दिखने वाले लेकिन अंदर से गोरे लोग सुनिश्चित करेंगे कि आपका संगठन दिवालिया हो जाए। कई पहले ही हो चुके हैं।'
##पांचवां ट्वीटः 'यहां एक ऐसा आलोचक भी है, जिसने मेरे करियर को बर्बाद करने की कोशिश की और हर उस चीज पर विष उगला, मैं जिससे जुड़ा था। उसने सुशांत को डुबोने की भी पूरी कोशिश की। उसे नफरत है a) खुद के दम पर आगे बढ़े लोगों से b) कम अंग्रेजीदां और ज्यादा देसी लोगों से c) छोटे शहरों के आत्मविश्वासी भारतीयों से। मैं सितारों से गुजारिश करता हूं कि वे उसे संरक्षण ना दें।'
##छठा ट्वीटः 'भारतीय ऐसे लोगों से प्रमाणित होने पसंद करते हैं, जो अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं। उनके लिए ये सबसे बड़ी प्रशंसा है। यहीं से कुछ क्रिटिक्स ने अपनी पहचान बनाई है। वे अच्छी अंग्रेजी बोलते थे, लेकिन दुष्ट लोग थे। वे बाहर से भूरे रंग के और अंदर से गोरे हैं, जिन्हें भारतीयों से नफरत है।'
सातवां ट्वीटः इस ट्वीट में उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में फिल्म की तारीफ लिखी।'मां कसम, मजा आ गया आपकी मस्त पिक्चर देख के' /'शुद्ध आकाश। आपकी शानदार फिल्म देखकर मुझे बहुत खुशी मिली।'
दोनों लाइनों का अर्थ लगभग एकसमान है। लेकिन अधिकांश भारतीय, यहां तक कि बड़े सितारे भी दूसरी वाली सुनना चाहते हैं। इसलिए ये दुष्ट आलोचक महत्वपूर्ण हो गए। अब इस परिपाटी को खत्म करो।
आठवां ट्वीटः 'प्रिय सितारों, आप दसियों शायद सैकड़ों करोड़ रुपए बनाते हैं। एक अरब लोगों का देश आपसे प्यार करता है। क्या इतना काफी नहीं है? क्या आपको सचमुच कपटी, अंग्रेजी बोलने वाले दुष्ट आलोचकों से मान्यता की जरूरत है, जिसने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को लेकर एक स्टार को मरने के लिए प्रेरित किया? उसे संरक्षण देना बंद करें, प्लीज।'
नौवां ट्वीटः 'रेडियो, यूट्यूब और ब्लॉग्ज पर कई बेहतरीन फिल्म क्रिटिक्स हैं, लेकिन उन्हें उतनी अहमियत नहीं दी जाती, जितनी कपटी, अंग्रेजी बोलने वालों को दी जाती है। 1947 में अंग्रेज हमें छोड़कर चले गए थे, सिर्फ आपकी जानकारी के लिए।'
चेतन भगत के लिखे नॉवेल्स पर हैलो, काय-पो-चे, टू स्टेट्स, हाफ गर्लफ्रेंड और थ्री इडियट्स जैसी फिल्में बन चुकी हैं।
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hi wite for you