शीरीं फरहाद का मशहूर गाना 'गुजरा हुआ जमाना आता नहीं दोबारा' बनाने वाले एस मोहिंदर सरना का निधन, लता जी ने दी श्रद्धांजलि बीते जमाने के मशहूर संगीतकार एस. मोहिंदर का 95 साल की उम्र में मुंबई में निधन हो गया। मोहिंदर को 1956 में आई फिल्म शीरीं फरहाद के म्यूजिक के लिए जाना जाता है। उनके निधन की खबर पर लता मंगेशकर ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी। आजादी से पहले लाहौर रेडियो से अपने करियर की शुरुआत करने वाले मोहिंदर उस दौर के इकलौते संगीतकार थे, लेकिन अब वे भी दुनिया छोड़ गए। मोहिंदर की बतौर म्यूजिक डायरेक्टर आखिरी फिल्म 1981 में आई फिल्म दहेज थी। 1969 में उन्हें फिल्म ‘नानक नाम जहाज़ है’ में म्यूजिक डायरेक्शन के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी मिला था। 40 साल पहले वे अपने भाइयों के साथ अमरीका जाकर बस गए। सुरैया ने बुलाया था मुंबई मोहिंदर सिंह सरना का जन्म आजादी से पहले वाले भारत में हुआ था। वे पंजाब के मोंटगोमरी जिले के सिल्लियांवाला गांव में 8 सितम्बर 1925 को एक सिख परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता सुजान सिंह बख्शी पुलिस में सबइंस्पेक्टर थे। उनके पिता बांसुरी बहुत अच्छी बजाते थे। लाहौर रेडियो स्टेशन में काम करने के दौरान उनकी मुलाकात सुरैया से हुई थी। सुरैया ने ही उन्हें मुंबई बुलाया था। मधुबाला ने किया था मोहिंदर को प्रपोज मोहिंदर की जिंदगी से जुड़ा यह किस्सा बेहद मशहूर रहा है। एक बार उन्हें मधुबाला से शादी के लिए प्रपोज किया था लेकिन मोहिंदर ने इसे ठुकरा दिया था। फिल्म शीरीं फरहाद में एस.मोहिंदर के काम करने के अंदाज से मधुबाला बेहद इम्प्रेस हुई थीं। हालांकि मोहिंदर शादीशुदा थे इसलिए उन्होंने मधुबाला को न कह दिया। बाद में मधुबाला ने उनकी पत्नी के गुजारे और उनके बच्चों की पढाई-लिखाई के लिए हर महीने आर्थिक सहायता के रूप में भारी-भरकम रकम देने की पेशकश भी की थी। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today noted Hindi and Punjabi film music director and composer S. Mohinder passed away, lata mangeshkar paid tribute https://ift.tt/3lRF2Tj

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बीते जमाने के मशहूर संगीतकार एस. मोहिंदर का 95 साल की उम्र में मुंबई में निधन हो गया। मोहिंदर को 1956 में आई फिल्म शीरीं फरहाद के म्यूजिक के लिए जाना जाता है। उनके निधन की खबर पर लता मंगेशकर ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी। आजादी से पहले लाहौर रेडियो से अपने करियर की शुरुआत करने वाले मोहिंदर उस दौर के इकलौते संगीतकार थे, लेकिन अब वे भी दुनिया छोड़ गए।

मोहिंदर की बतौर म्यूजिक डायरेक्टर आखिरी फिल्म 1981 में आई फिल्म दहेज थी। 1969 में उन्हें फिल्म ‘नानक नाम जहाज़ है’ में म्यूजिक डायरेक्शन के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी मिला था। 40 साल पहले वे अपने भाइयों के साथ अमरीका जाकर बस गए।

सुरैया ने बुलाया था मुंबई

मोहिंदर सिंह सरना का जन्म आजादी से पहले वाले भारत में हुआ था। वे पंजाब के मोंटगोमरी जिले के सिल्लियांवाला गांव में 8 सितम्बर 1925 को एक सिख परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता सुजान सिंह बख्शी पुलिस में सबइंस्पेक्टर थे। उनके पिता बांसुरी बहुत अच्छी बजाते थे। लाहौर रेडियो स्टेशन में काम करने के दौरान उनकी मुलाकात सुरैया से हुई थी। सुरैया ने ही उन्हें मुंबई बुलाया था।

मधुबाला ने किया था मोहिंदर को प्रपोज

मोहिंदर की जिंदगी से जुड़ा यह किस्सा बेहद मशहूर रहा है। एक बार उन्हें मधुबाला से शादी के लिए प्रपोज किया था लेकिन मोहिंदर ने इसे ठुकरा दिया था। फिल्म शीरीं फरहाद में एस.मोहिंदर के काम करने के अंदाज से मधुबाला बेहद इम्प्रेस हुई थीं। हालांकि मोहिंदर शादीशुदा थे इसलिए उन्होंने मधुबाला को न कह दिया।

बाद में मधुबाला ने उनकी पत्नी के गुजारे और उनके बच्चों की पढाई-लिखाई के लिए हर महीने आर्थिक सहायता के रूप में भारी-भरकम रकम देने की पेशकश भी की थी।



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