पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित दिग्गज सिंगर एसपी बालासुब्रमण्यम का निधन हो गया है। 74 साल के एसपी करीब 52 दिन से चेन्नई के एमजीएम हॉस्पिटल में भर्ती थे और कोविड-19 का इलाज करा रहे थे। बालासुब्रमण्यम एक्सीडेंटल सिंगर थे। उन्होंने 6 भाषाओं में 40 हजार से ज्यादा गाने गाए। लेकिन वे कभी सिंगर नहीं बनना चाहते थे। इस बात का खुलासा खुद बालासुब्रमण्यम ने एक इंटरव्यू में किया था।
सिंगर ने 2014 में 52वें सालाना बेंगलुरु गणेश उत्सव की लॉन्चिंग के दौरान कहा था- मेरा लक्ष्य सिंगर बनना नहीं था। यह सिर्फ एक एक्सीडेंट था। मैं बहुत अच्छा गाता था, मैं इस बात से सहमत हूं। लेकिन मैं इंजीनियर बनना चाहता था। एक फिल्मी इंसान कभी नहीं बनना चाहता था।" इस इवेंट में वे 1975 से लगातार परफॉर्म कर रहे थे।
2. ज्यादातर लोग एसपी के लिए अपना शेड्यूल री-अरेंज करते थे
एसपी न केवल बेहतरीन सिंगर थे, बल्कि वे कई एक्टर्स के लिए आवाज भी डब किया करते थे। खासकर कमल हासन की सभी तेलुगु फिल्मों को एसपी ने डब किया था। इतना ही नहीं, वे एक्टिंग भी करते थे।
बालासुब्रमण्यम ने बताया था- जब मुझे कोई किरदार ऑफर किया जाता है और अगर मैं फिजिकली उसमें फिट बैठ पाता हूं और वह किरदार मुझे पसंद आता है तो मैं उसे एक्सेप्ट कर लेता हूं। लेकिन उसके लिए डेट भी होना चाहिए। मेरा पहला प्यार संगीत है। उसके बाद मैं बाकी चीजों के लिए डेट चैक करता हूं। ज्यादातर लोग मेरे लिए अपना शेड्यूल री-अरेंज करते हैं।
3. कभी-कभी गाने के लिए 10 दिन तक प्रैक्टिस करते थे
बालासुब्रमण्यम को मानने में दिक्कत नहीं थी कि वे कुछ गाने नहीं गा सकते थे। उन्होंने कहा था- उन्हें (फिल्ममेकर्स) लगता था कि मैं वर्सेटाइल था और सबकुछ कर सकता था। जब कभी वे मुझे को कठिन कम्पोजीशन देते तो मैं उसे कई बार सुनता और कहता कि अगर आप चाहते हैं कि मैं यह गाना गाऊं, तो मुझे कई बार इसकी प्रैक्टिस करनी होगी।
कई बार मुझे एक सप्ताह या 10 दिन का समय इसकी प्रैक्टिस और इसे आत्मसात करने में लगता था। फिर जब मैं कम्फरटेबल हो जाता, तब उसे गाता था। जब कभी वे (फिल्ममेकर्स) कहते कि उनके पास समय नहीं है तो मैं उनसे कहता कि मुझे बाहर करिए, क्योंकि मैं इस गाने के साथ न्याय नहीं कर पाऊंगा।
4. लक्ष्मीकांत को पहली बार में पसंद नहीं आई थी आवाज
एसपी ने इंटरव्यू में बताया था कि जब वे पहली बार हिंदी फिल्म 'एक-दूजे के लिए' के गाने वाले थे। तब म्यूजिक डायरेक्टर लक्ष्मीकांत (लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जोड़ी फेम) उनकी आवाज से खुश नहीं थे। क्योंकि उन्होंने इसे पहले कभी नहीं सुना था।
लक्ष्मीकांत ने कहा था- 'यह मद्रासी लड़का मेरे कम्पोजीशन के साथ जस्टिस नहीं कर सकता।' बाद में डायरेक्टर के. बालाचंदर ने इस ओर ध्यान दिलाया कि फिल्म के अंत तक लीड कैरेक्टर अच्छी हिंदी नहीं बोल पाता है। इसलिए अगर उनके उच्चारण में कुछ गड़बड़ भी होती है तो वह किरदार पर फिट बैठ जाएगा।
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hi wite for you