वी. शांताराम की बेटी मधुरा ने कहा था- शादी करूंगी तो पंडित जसराज से, वरना नहीं; तब शांताराम ने पूछा था- कितना कमा लेते हो? लोकप्रिय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का निधन हो गया है। 90 साल की उम्र में उन्होंने न्यूजर्सी, अमेरिका में अंतिम सांस ली। जसराज ने बॉलीवुड के लिए पहला और इकलौता रोमांटिक गीत 78 साल की उम्र में गाया था। फिल्म थी '1920' और गीत था 'वादा तुमसे है वादा'। इस फिल्म के निर्देशक विक्रम भट्ट थे, जबकि गाने का म्यूजिक अदनान सामी ने दिया था। हालांकि, उनका हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से बहुत गहरा नाता रहा है। वे अपने जमाने के दिग्गज फिल्ममेकर वी. शांताराम के दामाद थे। कैसे शांताराम के दामाद बने पंडित जसराज वी. शांताराम की बेटी मधुरा का जन्म 1937 में हुआ था। उनके पिता वी. शांताराम स्वयं बड़े कलाकार थे और उनकी कला उनकी फिल्मों में स्पष्ट झलकती थी। शास्त्रीय गायन और नृत्यों का सफल प्रयोग उन्होंने अपनी सभी फिल्मों में किया। अपने सभी बच्चों को उन्होंने उनके बचपन में ही कला के प्रति कुछ न कुछ सम्मान पैदा करने का प्रयास किया। मधुरा ने साल 1952 से ही गाना सीखना शुरू कर दिया। गुरु विपिन सिंह से मणिपुरी और भरतनाट्यम सीखने के बाद 'झनक-झनक पायल बाजे' बनने के समय गोपीकिशन जी से कथक की भी शिक्षा मधुरा जी ने ली। 1960 में मधुरा और पंडित जसराज के बीच पत्र-व्यवहार शुरू। पंडित जसराज की भतीजी योगाई बताती हैं कि उनकी ओर से पत्र लिखती तो वे थीं, लेकिन उन पर हस्ताक्षर 'चाचाजी' यानी पंडित जसराज करते थे। वैसे ये पत्र छोटे और औपचारिक होते थे कि मैं अमुक तारीख को आने वाला हूं या फिर आपका रियाज कैसा चल रहा है। मधुरा ने कहा था-'एक बार मैंने जसराज जी को भी अपना गाना सुनाया था जो उन्हें अच्छा लगा।' शांताराम जी को भी जसराज जी अच्छे लगे। धीरे-धीरे वे समझ गए थे कि मधुरा का रुझान उनकी ओर है। उस समय शांताराम की फिल्म 'स्त्री' पूरी होने वाली थी। उन्होंने सोचा कि पहले 'स्त्री' रिलीज हो जाए, उसके बाद इस मामले को देखेंगे। मधुरा अपनी छोटी बहिन चारुशीला के साथ 'स्त्री' के रिलीज के लिए कोलकाता गई थीं। एक बार जब शांताराम ने जसराज से उनकी कमाई के विषय में पूछा तो पता चला कि 200-300 रुपए महीना कमा लेते हैं। उन दिनों 200-300 रुपए भी बहुत होते थे, फिर हजारों तो बहुत बड़ी रकम थी। मधुरा बताती हैं, मैंने पापा से कह दिया कि मैं शादी करूंगी तो इन्हीं से वरना नहीं करूंगी।' वी. शांताराम बहुत बड़े निर्माता-निर्देशक थे। उन्हें लगा कि लड़का पंजाबी है। उस समय हरियाणा पंजाब का हिस्सा था। कितनी कमाई है। उन्होंने मणिराम (जसराज के चाचा) से पूछा कि जसराज कितना कमा लेते हैं तो वहां से भी यही उत्तर मिला 200-300 रुपए महीना। तो अगला प्रश्न आया आय बढ़ेगी? उत्तर मिला कि कम भी हो सकती है। बस शांताराम जी को यह उत्तर ईमानदार लगा। और उन्होंने मधुरा के साथ पंडित जसराज की सगाई कर दी। यह 1962 की बात है। 19 मार्च, 1962 को मधुरा शांताराम, मधुरा जसराज बन गयीं। वी. शांताराम की बेटी की शादी जिस धूमधाम से होनी चाहिए थी, उसी धूमधाम से हुई। शांताराम के पास एक हाथी था। 'नवरंग' फिल्म में एक गाना-'अरे जा रे अरे नटखट' उस हाथी पर फिल्माया गया था। मधुरा-जसराज के विवाह पर मेहमानों का स्वागत करने के लिए सज-धज कर वह हाथी खड़ा था। वी. शांताराम के लिए बॉलीवुड में पहला गीत गाया पंडित जसराज ने बॉलीवुड के लिए पहला गीत ''वंदना करो' 1966 में आई फिल्म 'लड़की शहयाद्री की' में गाया था, जो कि एक भजन था। इस फिल्म को वी. शांताराम ने निर्देशित किया था। जबकि संगीत वसंत देसाई ने दिया था। इसके अलावा 1973 में आई फिल्म 'बीरबल माय ब्रदर' के लिए वे भीमसेन जोशी के साथ एक जुगलबंदी में शामिल हुए थे। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today शादी के दौरान पंडित जसराज और मधुरा शांताराम अन्य फैमिली मेंबर्स के साथ। https://ift.tt/3axbogB

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लोकप्रिय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का निधन हो गया है। 90 साल की उम्र में उन्होंने न्यूजर्सी, अमेरिका में अंतिम सांस ली। जसराज ने बॉलीवुड के लिए पहला और इकलौता रोमांटिक गीत 78 साल की उम्र में गाया था। फिल्म थी '1920' और गीत था 'वादा तुमसे है वादा'। इस फिल्म के निर्देशक विक्रम भट्ट थे, जबकि गाने का म्यूजिक अदनान सामी ने दिया था। हालांकि, उनका हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से बहुत गहरा नाता रहा है। वे अपने जमाने के दिग्गज फिल्ममेकर वी. शांताराम के दामाद थे।

कैसे शांताराम के दामाद बने पंडित जसराज

  • वी. शांताराम की बेटी मधुरा का जन्म 1937 में हुआ था। उनके पिता वी. शांताराम स्वयं बड़े कलाकार थे और उनकी कला उनकी फिल्मों में स्पष्ट झलकती थी। शास्त्रीय गायन और नृत्यों का सफल प्रयोग उन्होंने अपनी सभी फिल्मों में किया। अपने सभी बच्चों को उन्होंने उनके बचपन में ही कला के प्रति कुछ न कुछ सम्मान पैदा करने का प्रयास किया।
  • मधुरा ने साल 1952 से ही गाना सीखना शुरू कर दिया। गुरु विपिन सिंह से मणिपुरी और भरतनाट्यम सीखने के बाद 'झनक-झनक पायल बाजे' बनने के समय गोपीकिशन जी से कथक की भी शिक्षा मधुरा जी ने ली। 1960 में मधुरा और पंडित जसराज के बीच पत्र-व्यवहार शुरू। पंडित जसराज की भतीजी योगाई बताती हैं कि उनकी ओर से पत्र लिखती तो वे थीं, लेकिन उन पर हस्ताक्षर 'चाचाजी' यानी पंडित जसराज करते थे।
  • वैसे ये पत्र छोटे और औपचारिक होते थे कि मैं अमुक तारीख को आने वाला हूं या फिर आपका रियाज कैसा चल रहा है। मधुरा ने कहा था-'एक बार मैंने जसराज जी को भी अपना गाना सुनाया था जो उन्हें अच्छा लगा।' शांताराम जी को भी जसराज जी अच्छे लगे। धीरे-धीरे वे समझ गए थे कि मधुरा का रुझान उनकी ओर है।
  • उस समय शांताराम की फिल्म 'स्त्री' पूरी होने वाली थी। उन्होंने सोचा कि पहले 'स्त्री' रिलीज हो जाए, उसके बाद इस मामले को देखेंगे। मधुरा अपनी छोटी बहिन चारुशीला के साथ 'स्त्री' के रिलीज के लिए कोलकाता गई थीं।
  • एक बार जब शांताराम ने जसराज से उनकी कमाई के विषय में पूछा तो पता चला कि 200-300 रुपए महीना कमा लेते हैं। उन दिनों 200-300 रुपए भी बहुत होते थे, फिर हजारों तो बहुत बड़ी रकम थी। मधुरा बताती हैं, मैंने पापा से कह दिया कि मैं शादी करूंगी तो इन्हीं से वरना नहीं करूंगी।'
  • वी. शांताराम बहुत बड़े निर्माता-निर्देशक थे। उन्हें लगा कि लड़का पंजाबी है। उस समय हरियाणा पंजाब का हिस्सा था। कितनी कमाई है। उन्होंने मणिराम (जसराज के चाचा) से पूछा कि जसराज कितना कमा लेते हैं तो वहां से भी यही उत्तर मिला 200-300 रुपए महीना। तो अगला प्रश्न आया आय बढ़ेगी? उत्तर मिला कि कम भी हो सकती है। बस शांताराम जी को यह उत्तर ईमानदार लगा। और उन्होंने मधुरा के साथ पंडित जसराज की सगाई कर दी। यह 1962 की बात है।
  • 19 मार्च, 1962 को मधुरा शांताराम, मधुरा जसराज बन गयीं। वी. शांताराम की बेटी की शादी जिस धूमधाम से होनी चाहिए थी, उसी धूमधाम से हुई। शांताराम के पास एक हाथी था। 'नवरंग' फिल्म में एक गाना-'अरे जा रे अरे नटखट' उस हाथी पर फिल्माया गया था। मधुरा-जसराज के विवाह पर मेहमानों का स्वागत करने के लिए सज-धज कर वह हाथी खड़ा था।

वी. शांताराम के लिए बॉलीवुड में पहला गीत गाया

पंडित जसराज ने बॉलीवुड के लिए पहला गीत ''वंदना करो' 1966 में आई फिल्म 'लड़की शहयाद्री की' में गाया था, जो कि एक भजन था। इस फिल्म को वी. शांताराम ने निर्देशित किया था। जबकि संगीत वसंत देसाई ने दिया था। इसके अलावा 1973 में आई फिल्म 'बीरबल माय ब्रदर' के लिए वे भीमसेन जोशी के साथ एक जुगलबंदी में शामिल हुए थे।



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शादी के दौरान पंडित जसराज और मधुरा शांताराम अन्य फैमिली मेंबर्स के साथ।


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