नसीरुद्दीन शाह बोले- अधिकांश पारंपरिक मुस्लिम परिवारों में डांस सीखना आज भी बुरा माना जाता है नसीरुद्दीन शाह की अगली फिल्म 'मी रकसम' का प्रीमियर 21 अगस्त को ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर होगा। बाप-बेटी के रिश्ते के प्रति समर्पित यह फिल्म शबाना आजमी और बाबा आजमी के पिता कैफी आजमी को श्रद्धांजलि बताई जा रही है। 'मी रकसम' का मतलब 'आई डांस' होता है। मुस्लिम परिवारों में डांस से जुड़ी पाबंदी पर नसीर ने कहा है- 'मैं कह सकता हूं कि अधिकांश पारंपरिक मुस्लिम परिवारों में डांस सीखना आज भी निषेध है। जो बच्चे डांस करना चाहते हैं, उन्हें मेरी सलाह है कि लगातार प्रयास करें और हार न मानें।' आगे उन्होंने कहा, 'माता-पिता की आपत्तियों को हमेशा दूर किया जा सकता है और जब डांस सीखने के अविश्वसनीय मेहनत की शुरुआत होती है तो वैसे भी वे एक छोटी बात की तरह प्रतीत होंगे। उन्हें यह पता होना चाहिए कि एक औसत दर्जे का डांसर होने के लिए भी आपको कमर तोड़ अभ्यास की जरूरत पड़ती है।' बता दें कि बाबा आजमी के निर्देशन में बनने वाली ये पहली फिल्म है। जो कि प्यार, विश्वास और समाज के खिलाफ एक सपने को जीने पर आधारित है। फिल्म की कहानी एक पिता और उसकी युवा बेटी द्वारा साझा किए गए रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Nasiruddin Shah says Learning dance is still considered bad in most traditional Muslim families https://ift.tt/318xfb9

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नसीरुद्दीन शाह की अगली फिल्म 'मी रकसम' का प्रीमियर 21 अगस्त को ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर होगा। बाप-बेटी के रिश्ते के प्रति समर्पित यह फिल्म शबाना आजमी और बाबा आजमी के पिता कैफी आजमी को श्रद्धांजलि बताई जा रही है। 'मी रकसम' का मतलब 'आई डांस' होता है।

मुस्लिम परिवारों में डांस से जुड़ी पाबंदी पर नसीर ने कहा है- 'मैं कह सकता हूं कि अधिकांश पारंपरिक मुस्लिम परिवारों में डांस सीखना आज भी निषेध है। जो बच्चे डांस करना चाहते हैं, उन्हें मेरी सलाह है कि लगातार प्रयास करें और हार न मानें।'

आगे उन्होंने कहा, 'माता-पिता की आपत्तियों को हमेशा दूर किया जा सकता है और जब डांस सीखने के अविश्वसनीय मेहनत की शुरुआत होती है तो वैसे भी वे एक छोटी बात की तरह प्रतीत होंगे। उन्हें यह पता होना चाहिए कि एक औसत दर्जे का डांसर होने के लिए भी आपको कमर तोड़ अभ्यास की जरूरत पड़ती है।'

बता दें कि बाबा आजमी के निर्देशन में बनने वाली ये पहली फिल्म है। जो कि प्यार, विश्वास और समाज के खिलाफ एक सपने को जीने पर आधारित है। फिल्म की कहानी एक पिता और उसकी युवा बेटी द्वारा साझा किए गए रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है।



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