जब एक इनकार ने खोल दिए थे शैलेंद्र के लिए राज कपूर से दोस्ती के रास्ते, जिगरी यारों का एक किस्सा है मशहूर अगस्त का पहला संडे दुनियाभर में 'फ्रेंडशिप डे' के रूप में मनाया जाता है। इस बार फ्रेंडशिप डे 2 अगस्त को है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं बॉलीवुड के दो जिगरी दोस्तों के बारे में, जिनकी दोस्ती अटूट रही। यह दोस्ती की कहानी बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर और गीतकार शैलेंद्र की है जिनकी दोस्ती बेजोड़ थी। यूं शुरू हुआ दोस्ती का सफर 40 के दशक की बात है। दोनों की मुलाकात एक इवेंट पर हुई थी जहां शैलेंद्र कविता सुना रहे थे। राजकपूर को शैलेंद्र की विभाजन पर सुनाई गई कविता 'जलता है पंजाब' बेहद पसंद आई। उन्होंने शैलेंद्र से मिलकर इस कविता को खरीदने की बात कही क्योंकि वह इसे फिल्म 'आग'(1948) में इस्तेमाल करना चाहते थे। साथ ही उन्होंने शैलेंद्र को फिल्म 'आग' के लिए गाने लिखने का ऑफर दिया। शैलेंद्र ने अपनी कविता बेचने से इनकार कर दिया और फिल्म का ऑफर भी ठुकरा दिया। इसके बाद राज कपूर जब 'बरसात' (1949) बना रहे थे तो परिस्थितियां कुछ ऐसी बदलीं कि आर्थिक परेशानियां झेल रहे शैलेंद्र को राज कपूर के पास काम मांगने जाना पड़ा और उन्होंने उनके साथ में काम करने की इच्छा जताई। राज कपूर खुशी-खुशी मान गए और यहीं से दोनों की दोस्ती का सफर शुरू हुआ। 21 फिल्मों में साथ काम किया शैलेंद्र ने फिल्म बरसात के लिए दो गाने 'बरसात में' और 'पतली कमर है' लिखे जिसके लिए उन्हें 500 का मेहनताना दिया गया। इसके बाद राज कपूर-शैलेंद्र ने 21 फिल्मों में साथ काम किया जिनमें 'मेरा नाम जोकर', 'तीसरी कसम', 'सपनों का 'सौदागर', 'संगम', 'अनाड़ी' और 'जिस देश में गंगा बहती है' शामिल थीं। शैलेंद्र का लिखा गाना सुन रो पड़े थे राज कपूर बात उस दौर की है जब फिल्म अनाड़ी (1959) का गाना 'सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी...' रिकॉर्ड किया जा रहा था। यह गाना राज कपूर के पसंदीदा शैलेंद्र ने ही लिखा था। उस दिन वो रिकॉर्डिंग पर स्टूडियो नहीं पहुंचे थे। राज कपूर को यह गाना बेहद पसंद आया और वह गाने की कॉपी अपने घर ले गए ताकि सुकून से इसे रात को सुन सकें। वह कई घंटों तक लगातार इस गाने को सुनते रहे लेकिन जब उनसे रहा नहीं गया तो वह रात दो बजे शैलेंद्र से मिलने उनके घर पहुंच गए। वहां राज कपूर शैलेंद्र को गले लगाकर रो पड़े और कहने लगे-क्या गाना बना दिया शैलेंद्र, मेरे आंसू नहीं थम रहे। 14 दिसंबर से है दोनों का अहम कनेक्शन 14 दिसंबर 1966 को जब राज कपूर का जन्मदिन मनाया जा रहा था तो शैलेंद्र खराब सेहत के चलते अस्पताल में भर्ती हो गए थे। उन्हें सिंगर मुकेश ने कॉल करके जानकारी दी कि शैलेंद्र की हालत बिगड़ती जा रही है। मुकेश उन्हें रियल टाइम जानकारी दे रहे थे कि अभी शैलेंद्र कोमा में हैं, अभी ऑक्सीजन सपोर्ट दिया गया है, ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया और फिर वो खबर आई जिसने राज कपूर का दिल तोड़ दिया। उनके जन्मदिन के दिन ही 43 साल के शैलेंद्र दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए। शैलेंद्र की मौत से टूट गए थे राज कपूर इसके बाद फिल्मफेयर मैगजीन में अपने दोस्त शैलेंद्र की असमय मौत से दुखी राजकपूर ने एक ओपन लैटर लिखा था और कहा था, ‘ऐसा लगता है कि जैसे मेरी आत्मा का एक हिस्सा चला गया। यह सही नहीं हुआ। मैं रो रहा हूं और चीख रहा हूं कि मेरी बगिया के सबसे खूबसूरत गुलाब को कोई तोड़ ले गया। वह बेहतरीन इंसान और मेरी जिंदगी का अभिन्न अंग थे जो अब नहीं हैं। मैं केवल शोक मना सकता हूं और उनकी यादों में खो सकता हूं।’ Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today राज कपूर के साथ बाएं से हसरत जयपुरी, शंकर-जयकिशन और शैलेंद्र (दाएं) https://ift.tt/31cDWYr

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अगस्त का पहला संडे दुनियाभर में 'फ्रेंडशिप डे' के रूप में मनाया जाता है। इस बार फ्रेंडशिप डे 2 अगस्त को है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं बॉलीवुड के दो जिगरी दोस्तों के बारे में, जिनकी दोस्ती अटूट रही। यह दोस्ती की कहानी बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर और गीतकार शैलेंद्र की है जिनकी दोस्ती बेजोड़ थी।

यूं शुरू हुआ दोस्ती का सफर

40 के दशक की बात है। दोनों की मुलाकात एक इवेंट पर हुई थी जहां शैलेंद्र कविता सुना रहे थे। राजकपूर को शैलेंद्र की विभाजन पर सुनाई गई कविता 'जलता है पंजाब' बेहद पसंद आई।

उन्होंने शैलेंद्र से मिलकर इस कविता को खरीदने की बात कही क्योंकि वह इसे फिल्म 'आग'(1948) में इस्तेमाल करना चाहते थे। साथ ही उन्होंने शैलेंद्र को फिल्म 'आग' के लिए गाने लिखने का ऑफर दिया।

शैलेंद्र ने अपनी कविता बेचने से इनकार कर दिया और फिल्म का ऑफर भी ठुकरा दिया। इसके बाद राज कपूर जब 'बरसात' (1949) बना रहे थे तो परिस्थितियां कुछ ऐसी बदलीं कि आर्थिक परेशानियां झेल रहे शैलेंद्र को राज कपूर के पास काम मांगने जाना पड़ा और उन्होंने उनके साथ में काम करने की इच्छा जताई। राज कपूर खुशी-खुशी मान गए और यहीं से दोनों की दोस्ती का सफर शुरू हुआ।

21 फिल्मों में साथ काम किया

शैलेंद्र ने फिल्म बरसात के लिए दो गाने 'बरसात में' और 'पतली कमर है' लिखे जिसके लिए उन्हें 500 का मेहनताना दिया गया। इसके बाद राज कपूर-शैलेंद्र ने 21 फिल्मों में साथ काम किया जिनमें 'मेरा नाम जोकर', 'तीसरी कसम', 'सपनों का 'सौदागर', 'संगम', 'अनाड़ी' और 'जिस देश में गंगा बहती है' शामिल थीं।

शैलेंद्र का लिखा गाना सुन रो पड़े थे राज कपूर

बात उस दौर की है जब फिल्म अनाड़ी (1959) का गाना 'सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी...' रिकॉर्ड किया जा रहा था। यह गाना राज कपूर के पसंदीदा शैलेंद्र ने ही लिखा था। उस दिन वो रिकॉर्डिंग पर स्टूडियो नहीं पहुंचे थे।

राज कपूर को यह गाना बेहद पसंद आया और वह गाने की कॉपी अपने घर ले गए ताकि सुकून से इसे रात को सुन सकें। वह कई घंटों तक लगातार इस गाने को सुनते रहे लेकिन जब उनसे रहा नहीं गया तो वह रात दो बजे शैलेंद्र से मिलने उनके घर पहुंच गए। वहां राज कपूर शैलेंद्र को गले लगाकर रो पड़े और कहने लगे-क्या गाना बना दिया शैलेंद्र, मेरे आंसू नहीं थम रहे।

14 दिसंबर से है दोनों का अहम कनेक्शन

14 दिसंबर 1966 को जब राज कपूर का जन्मदिन मनाया जा रहा था तो शैलेंद्र खराब सेहत के चलते अस्पताल में भर्ती हो गए थे। उन्हें सिंगर मुकेश ने कॉल करके जानकारी दी कि शैलेंद्र की हालत बिगड़ती जा रही है। मुकेश उन्हें रियल टाइम जानकारी दे रहे थे कि अभी शैलेंद्र कोमा में हैं, अभी ऑक्सीजन सपोर्ट दिया गया है, ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया और फिर वो खबर आई जिसने राज कपूर का दिल तोड़ दिया। उनके जन्मदिन के दिन ही 43 साल के शैलेंद्र दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए।

शैलेंद्र की मौत से टूट गए थे राज कपूर

इसके बाद फिल्मफेयर मैगजीन में अपने दोस्त शैलेंद्र की असमय मौत से दुखी राजकपूर ने एक ओपन लैटर लिखा था और कहा था, ‘ऐसा लगता है कि जैसे मेरी आत्मा का एक हिस्सा चला गया। यह सही नहीं हुआ। मैं रो रहा हूं और चीख रहा हूं कि मेरी बगिया के सबसे खूबसूरत गुलाब को कोई तोड़ ले गया। वह बेहतरीन इंसान और मेरी जिंदगी का अभिन्न अंग थे जो अब नहीं हैं। मैं केवल शोक मना सकता हूं और उनकी यादों में खो सकता हूं।’



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राज कपूर के साथ बाएं से हसरत जयपुरी, शंकर-जयकिशन और शैलेंद्र (दाएं)


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