टीवी शो 'इंडियाज बेस्ट डांसर' में इस वीकेंड गणेश उत्सव मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर मशहूर कलाकार सचिन पिलगांवकर और उनकी पत्नी सुप्रिया पिलगांवकर खास मेहमान के रूप में नजर आएंगे। इस मल्टी टैलेंटेड पति-पत्नी की जोड़ी ने सभी एक्ट्स का जमकर मजा लिया और अपने करियर और निजी जिंदगी को लेकर कुछ दिलचस्प खुलासे भी किए।
सचिन पिलगांवकर के बारे में ऐसा ही एक खुलासा शो में टीआरपी मामा जी के नाम से पहचाने जाने वाले परितोष त्रिपाठी ने किया। उन्होंने बताया कि सचिन ने फिल्म शोले (1975) में न सिर्फ काम किया था, बल्कि उन्होंने आंशिक रूप से इस फिल्म का निर्देशन भी किया था।
मैंने ऋषिकेश मुखर्जी से एडिटिंग सीखी
जब शो के लोगों ने इस बारे में जानना चाहा तो सचिन ने बताया, 'जब शोले बन रही थी, तब मैं 17 साल का था, लेकिन इस फिल्म पर काम तब से शुरू हो गया था, जब मैं सिर्फ 16 की उम्र में था। शोले की शूटिंग से पहले मैं अपने गुरुओं में से एक ऋषिकेश मुखर्जी से एडिटिंग सीख रहा था, जो उस समय के प्रसिद्ध एडिटर थे और हम सभी जानते हैं कि वे आगे चलकर एक मशहूर डायरेक्टर भी बने।'
रमेश सिप्पी ने पूछा क्या एडिंटिंग करोगे?
'शोले की शूटिंग के दौरान मैं रमेश सिप्पी सर की कुर्सी के पीछे बैठकर देखता था कि वो कैसे हर शॉट लेते हैं और फिर उसे काटकर एडिट करते हैं। इसी दौरान सिप्पी सर ने कुछ दिनों तक मुझे देखा और फिर मुझसे पूछा कि क्या मैं एडिटिंग करना चाहूंगा। तो मैंने उन्हें बताया कि मैंने दो साल तक ऋषिकेश सर से इसका प्रशिक्षण लिया है और उनके लिए काम भी किया है।
इस तरह मिला डायरेक्शन का मौका
आगे फिल्म के डायरेक्शन के बारे में बताते हुए सचिन ने कहा, 'रमेश सिप्पी ने मुझसे पूछा था कि क्या मैं उन दो प्रतिनिधियों में से एक बनना चाहूंगा, जिन पर वो इस फिल्म के एक एक्शन सीक्वेंस के लिए भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि वो उस हिस्से की शूटिंग के लिए मौजूद नहीं रह पा रहे थे और इसके लिए उन्हें दो प्रतिनिधियों की जरूरत थी।'
वो बोले- उम्र कोई मायने नहीं रखती
'उनकी बात सुनकर मैं बहुत खुश हो गया और मैंने कहा, 'मैं इतनी बड़ी जिम्मेदारी कैसे संभाल सकता हूं? मैं तो सिर्फ 17 साल का हूं।' इस पर उन्होंने कहा, 'उम्र कोई मायने नहीं रखती और मुझे इसमें कोई तर्क नजर नहीं आता। आप इस इंडस्ट्री में तब से हैं, जब आप साढ़े 4 साल के थे और मैं आपको 17 साल का नहीं, बल्कि 27 साल के एक प्रोफेशनल की तरह देखता हूं।'
अमजद खान थे उनके दूसरे प्रतिनिधि
सचिन के मुताबिक 'इस काम के लिए दूसरे प्रतिनिधि थे अमजद खान, जिन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में एक्टिंग, डायरेक्टिंग आदि के लिए अनेक अवॉर्ड्स जीते थे। वो बहुत टैलेंटेड थे और मैं उन्हें मंजू भाई कहकर बुलाता था।'
लकड़ी के लट्ठे वाला सीन मैंने शूट किया था
'इस फिल्म में एक दृश्य है, जहां संजीव कुमार के साथ धरम जी और अमित जी हाथों में हथकड़ी लगाए ट्रेन में जा रहे हैं। केवल इतना हिस्सा ही रमेश जी ने शूट किया था और बाकी का एक्शन सीक्वेंस अमजद और मैंने पूरा किया था।'
'मुझे याद है एक एक्शन दृश्य में मुझे लगा था कि एक साथ लकड़ी के लट्ठे लुढ़कते दिखेंगे तो यह पर्दे पर बहुत प्रभावशाली लगेगा। रमेश जी को यह सीक्वेंस बहुत अच्छा लगा और उन्होंने मेरी पीठ भी थपथपाई थी। वो वाकई बहुत बड़े दिल के इंसान हैं।'
ऋषिकेश मुखर्जी मुझे सचू बाबा कहते थे
सचिन ने कहा, 'मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि मुझे फिल्म आनंद (1971) के लिए ऋषि दा के साथ काम करने का मौका मिला। इस फिल्म के लिए मैंने नेगेटिव्स काटने का काम किया था। ऋषिकेश सर कहते थे, 'नेगेटिव्स सचू बाबा काटेगा।' वे मुझे सचू बाबा कहकर बुलाते थे।'
आगे उन्होंने बताया कि ऋषिकेश मुखर्जी, मीना कुमारी, बलराज साहनी, रमेश सिप्पी और गुरुदत्त जैसे दिग्गज कलाकार युवाओं को बहुत से अवसर देते थे और हमेशा उनका मार्गदर्शन करते थे।
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