फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे संजय दत्त अपनी बीमारी और इलाज से ज्यादा अपने जुड़वां बच्चों इकरा और शाहरान को लेकर चिंतित हैं। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि जब संजय दत्त को पता चला कि उन्हें चौथी स्टेज का कैंसर है तो वे पूरी तरह हिल गए। हालांकि, बाद में उन्होंने इसे स्वीकार किया और यह सोचने लगे कि इस बीमारी से कैसे उबरा जाए। उन्हें सबसे ज्यादा चिंता अपने ट्विन्स की हो रही है, जो अभी सिर्फ 10 साल के हैं।
फादर्स डे पर बच्चों से किया था उनकी ताकत बनने का वादा
एक आम पिता की तरह संजय दत्त भी अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। दो महीने पहले फादर्स डे (21 जून) के मौके पर उन्होंने बड़ी बेटी त्रिशाला और दोनों ट्विन्स शाहरान और इकरा को लेकर अपनी भावनाएं जाहिर की थीं। संजू ने लिखा था, "पिता होना एक महान अहसास है। मेरे पिता मेरी ताकत थे और मैं आप सबके लिए भी ऐसा ही बनने का वादा करता हूं। लव यू शाहरान, इकरा और त्रिशाला।"
त्रिशाला संजय दत्त की पहली पत्नी ऋचा शर्मा की बेटी हैं। तब त्रिशाला 8 साल की थीं, जब उनकी मां की मौत कैंसर से हो गई थी। शाहरान और इकरा संजू की तीसरी पत्नी मान्यता के बच्चे हैं। उनकी दूसरी पत्नी रिया पिल्लई थीं, जिनसे उनका रिश्ता तलाक पर खत्म हुआ था। रिया से उनकी कोई संतान नहीं है।
संजय दत्त का ट्रीटमेंट मुंबई में शुरू हुआ
जब से संजय दत्त के कैंसर की खबर मीडिया में आई, तब से यह चर्चा भी शुरू हुई कि उन्होंने इलाज के लिए यूएस या सिंगापुर जाने की इजाजत मांगी है। हालांकि, ताजा रिपोर्ट्स की मानें तो वे अपने कीमोथेरेपी सेशन मुंबई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल में लेंगे।
शनिवार को दत्त कंसलटेशन के लिए कोकिलाबेन हॉस्पिटल पहुंचे थे। रविवार को उन्हें लीलावती हॉस्पिटल के बाहर देखा गया, जहां वे तब तक कार में ही बैठे रहे, जब तक कि डॉक्टर नहीं आ गए। इसके बाद उन्होंने अपनी बहन प्रिया दत्त के साथ सीनियर पल्मोनोलोजिस्ट डॉ. जमील पारकर से मुलाकात की और काफी देर तक उनसे बात करते रहे। इसके बाद शाम करीब 5 बजे वहां से घर के लिए रवाना हो गए।
दोस्त कमली ने बढ़ाया हौसला
संजय दत्त के दोस्त कमली यानी परेश घेलानी ने उनका हौसला बढ़ाया है। रविवार को परेश ने अपनी पोस्ट में लिखा था- भाई संजू, कल्पना करना मुश्किल है कि कुछ दिन पहले ही हम इस बारे में बात कर रहे थे कि हम आगे की लाइफ कैसे एंजॉय करेंगे। हम बात कर रहे थे कि कैसे हम अब तक साथ चले, दौड़े, टहले, रेंगे और जीवन की यात्रा का आनंद लेते रहे हैं। हम वहीं हैं, जहां हमें होना है। मुझे अब भी विश्वास है कि दुआएं हमारे साथ हैं। मैं यह भी जानता हूं कि आगे की यात्रा उतनी ही खूबसूरत और उतनी ही रंगीन होने वाली है, जितनी यह अब तक रही है। ईश्वर हम पर हमेशा ही दयालु रहा है। नकुपेन्दा काका (लव यू मेरे भाई)।
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hi wite for you