मीजान जाफरी को हमेशा याद रहेंगे दादाजी जगदीप के कहे हुए आखिरी शब्द, तारीफ करते हुए कहा था- 'हैंडसम लग रहे हो' बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार जगदीप जी 8 जुलाई को दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। सूरमा भोपाली का बेहतरीन किरदार निभाने वाले जगदीप के गुजर जाने पर उनके पोते मीजान जाफरी ने एक इमोशनल नोट शेयर करते हुए उनसे की हुई आखिरी बात शेयर की है। इसी के साथ मीजान ने ये भी बताया कि आखिर उनका नाम सय्यैद इश्तियाक अहमद जाफरी से जगदीप कैसे हुआ। शुक्रवार को मीजान जाफरी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से दादा के साथ बचपन की तस्वीर शेयर की है। इस तस्वीर के साथ उन्होंने बताया कि जगदीप ने कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था जिसके बाद उन्होंने डायरेक्टर के आसिफ, मेहबूब खान, बिमल रॉय और गुरू दत्त को अपना पिता माना। उन्होंने 70 साल के फिल्मी करियर में 400 फिल्में की हैं। इश्तियाक जाफरी से कैसे बन जगदीप मीजान ने अपनी पोस्ट में लिखा, 'मैंने एक दिन उनसे पूछा कि आखिर उनका नाम जगदीप कैसे हुआ तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि वो लोगों की जिंदगी में रोशनी लाना चाहते थे (जग- दुनिया, दीप-रोशनी)। उन्होंने कभी किसी की जिंदगी में दखल नहीं दिया और हमेशा हैप्पी गो लक्की इंसान रहे। जब भी उनके घर में खाना हुआ करता था तो तो वो स्टोरी सुनाते थे। हर उम्र के लोग बच्चों की तरह उनकी कहानी सुना करते थे'। ऐसी थी दादाजी से आखिरी बातचीत आगे मीजान लिखते हैं, 'जो लोग ग्रेंडपैरेंट्स होने के बावजूद उनके साथ नहीं रहते, प्लीज उनके साथ थोड़ा समय बिताइए। मैंने अपने दादाजी से उनके निधन के दो दिन पहले बात की थी। मेरे पिता (जावेद जाफरी ) ने उन्हें फोन दिया था जब हम वीडियो कॉल में थे। उन्होंने मुझसे कहा- और बेटा कैसे हो, तुम बहुत हैंडसम लग रहे हो। ये आखिरी बात थी जो मेरे दादाजी ने कही। मुझे नहीं लगता कि मैं कभी उस तस्वीर को भूल पाऊंगा। इसके साथ ही मिजान ने लोगों से अपने ग्रेंडपैरेंट्स से बातचीत करते रहने की अपील की है'। सूरमा भोपाली की किरादर निभा चुके जगदीप जी का निधन 8 जुलाई को हुआ। उन्हें मुस्तफा बाजार मझगांव स्थित शिया कब्रिस्तान में दफ्नाया गया। उनके बेटे जावेद सुबह ही पार्थिव देह को लेकर कब्रिस्तान पहुंच चुके थे। हालांकि, करीब डेढ़ बजे तक परिवार को मीजान जाफरी के आने का इंतजार करना पड़ा, जो किसी काम के सिलसिले में मुंबई से बाहर थे। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Meezan Jaffery will always remember the last words of grandfather Jagdeep saying, praising him- 'Handsome Lag rahe Ho' https://ift.tt/3gR5lp0

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बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार जगदीप जी 8 जुलाई को दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। सूरमा भोपाली का बेहतरीन किरदार निभाने वाले जगदीप के गुजर जाने पर उनके पोते मीजान जाफरी ने एक इमोशनल नोट शेयर करते हुए उनसे की हुई आखिरी बात शेयर की है। इसी के साथ मीजान ने ये भी बताया कि आखिर उनका नाम सय्यैद इश्तियाक अहमद जाफरी से जगदीप कैसे हुआ।

शुक्रवार को मीजान जाफरी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से दादा के साथ बचपन की तस्वीर शेयर की है। इस तस्वीर के साथ उन्होंने बताया कि जगदीप ने कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था जिसके बाद उन्होंने डायरेक्टर के आसिफ, मेहबूब खान, बिमल रॉय और गुरू दत्त को अपना पिता माना। उन्होंने 70 साल के फिल्मी करियर में 400 फिल्में की हैं।

इश्तियाक जाफरी से कैसे बन जगदीप

मीजान ने अपनी पोस्ट में लिखा, 'मैंने एक दिन उनसे पूछा कि आखिर उनका नाम जगदीप कैसे हुआ तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि वो लोगों की जिंदगी में रोशनी लाना चाहते थे (जग- दुनिया, दीप-रोशनी)। उन्होंने कभी किसी की जिंदगी में दखल नहीं दिया और हमेशा हैप्पी गो लक्की इंसान रहे। जब भी उनके घर में खाना हुआ करता था तो तो वो स्टोरी सुनाते थे। हर उम्र के लोग बच्चों की तरह उनकी कहानी सुना करते थे'।

ऐसी थी दादाजी से आखिरी बातचीत

आगे मीजान लिखते हैं, 'जो लोग ग्रेंडपैरेंट्स होने के बावजूद उनके साथ नहीं रहते, प्लीज उनके साथ थोड़ा समय बिताइए। मैंने अपने दादाजी से उनके निधन के दो दिन पहले बात की थी। मेरे पिता (जावेद जाफरी ) ने उन्हें फोन दिया था जब हम वीडियो कॉल में थे। उन्होंने मुझसे कहा- और बेटा कैसे हो, तुम बहुत हैंडसम लग रहे हो। ये आखिरी बात थी जो मेरे दादाजी ने कही। मुझे नहीं लगता कि मैं कभी उस तस्वीर को भूल पाऊंगा। इसके साथ ही मिजान ने लोगों से अपने ग्रेंडपैरेंट्स से बातचीत करते रहने की अपील की है'।

सूरमा भोपाली की किरादर निभा चुके जगदीप जी का निधन 8 जुलाई को हुआ। उन्हें मुस्तफा बाजार मझगांव स्थित शिया कब्रिस्तान में दफ्नाया गया। उनके बेटे जावेद सुबह ही पार्थिव देह को लेकर कब्रिस्तान पहुंच चुके थे। हालांकि, करीब डेढ़ बजे तक परिवार को मीजान जाफरी के आने का इंतजार करना पड़ा, जो किसी काम के सिलसिले में मुंबई से बाहर थे।



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