पिता जगदीप को याद कर जावेद ने लिखा- यही तो है 70 साल की असली कमाई, आपका नाम सूरमा भोपाली ऐसेई नईं था 8 जुलाई को कॉमेडियन और सूरमा भोपाली के नाम से मशहूर जगदीप का निधन हो गया था। जगदीप के निधन के 6 दिन बाद जावेद जाफरी ने एक लम्बा नोट लिखते हुए पिता को याद किया है। साथ ही उन सभी को शुक्रिया कहा है जो उनके दुख में शामिल रहे। जावेद ने अपने दिल की बात ट्विटर के जरिए शेयर की है। जावेद ने लिखा- उन सभी को दिल से शुक्रिया जो मेरे पिता के जाने के बाद प्यार, सराहना और दुख बांटने मेरे दर्द में शामिल हुए। इतना प्यार, इतनी इज्जत, इतनी दुआएं ...??? यही तो है 70 सालों की असली कमाई। जावेद ने अपनी पोस्ट में आगे अपने पिता के संघर्ष को बयां किया है। जावेद लिखते हैं-10 साल की उम्र से लेकर 81 साल की उम्र तक वे फिल्मों में ही जीते थे। एक पिता जिन्होंने मुझे सकारात्मकता और प्रेरणा की हजारों कहानियों के साथ जीवन के मूल्य समझाए। गरीबी की वजह बताई। समर्पण का महत्व बताया और कला की कुशलता सिखाई। हमेशा मुस्कुराते हुए। हर किसी को जोश से भर देने वाले, और मुझे याद दिलाते हुए कि सच्ची सफलता का अनुमान लगाया जाता है कि क्या है बनिस्बत इसके कि आपके पास क्या था। आपके बारे में क्या जानते हैं, बजाए इसके कि आपको कौन जानता है। क्या इंसान थे, क्या सफर रहा उनका।आखिर में, मैं उनकी कही वही बात कहना चाहूंगा जो उनकी मां कहती थीं- वो मंजिल क्या, जो आसानी से तय हो, वो राही क्या जो थक कर बैठ जाए। मगर जिंदगी कभी-कभी थक कर बैठने पर मजबूर कर देती है। हौसला बुलंद होता है पर जिस्म साथ नहीं देता। उस इंसान के लिए जिसे मैं पापा कहता था। उनके लिए जिनके कई अवतारों से शब्द जाने जाते हैं। सलाम। आपका नाम सूरमा भोपाली ऐसेई नईं था। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Remembering his father Jagdeep, Jaaved Jaaferi wrote an emotional note on twitter https://ift.tt/3gYy3Vj

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8 जुलाई को कॉमेडियन और सूरमा भोपाली के नाम से मशहूर जगदीप का निधन हो गया था। जगदीप के निधन के 6 दिन बाद जावेद जाफरी ने एक लम्बा नोट लिखते हुए पिता को याद किया है। साथ ही उन सभी को शुक्रिया कहा है जो उनके दुख में शामिल रहे। जावेद ने अपने दिल की बात ट्विटर के जरिए शेयर की है। जावेद ने लिखा- उन सभी को दिल से शुक्रिया जो मेरे पिता के जाने के बाद प्यार, सराहना और दुख बांटने मेरे दर्द में शामिल हुए। इतना प्यार, इतनी इज्जत, इतनी दुआएं ...??? यही तो है 70 सालों की असली कमाई।

जावेद ने अपनी पोस्ट में आगे अपने पिता के संघर्ष को बयां किया है। जावेद लिखते हैं-10 साल की उम्र से लेकर 81 साल की उम्र तक वे फिल्मों में ही जीते थे। एक पिता जिन्होंने मुझे सकारात्मकता और प्रेरणा की हजारों कहानियों के साथ जीवन के मूल्य समझाए। गरीबी की वजह बताई। समर्पण का महत्व बताया और कला की कुशलता सिखाई। हमेशा मुस्कुराते हुए। हर किसी को जोश से भर देने वाले, और मुझे याद दिलाते हुए कि सच्ची सफलता का अनुमान लगाया जाता है कि क्या है बनिस्बत इसके कि आपके पास क्या था। आपके बारे में क्या जानते हैं, बजाए इसके कि आपको कौन जानता है।

क्या इंसान थे, क्या सफर रहा उनका।आखिर में, मैं उनकी कही वही बात कहना चाहूंगा जो उनकी मां कहती थीं- वो मंजिल क्या, जो आसानी से तय हो, वो राही क्या जो थक कर बैठ जाए। मगर जिंदगी कभी-कभी थक कर बैठने पर मजबूर कर देती है। हौसला बुलंद होता है पर जिस्म साथ नहीं देता। उस इंसान के लिए जिसे मैं पापा कहता था। उनके लिए जिनके कई अवतारों से शब्द जाने जाते हैं। सलाम। आपका नाम सूरमा भोपाली ऐसेई नईं था।



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