शकुंतला देवी के गेटअप में आने के लिए विद्या ने बदलीं 60 से 65 कॉस्‍ट्यूम, डर्टी पिक्‍चर में किए थे 120 से 130 चेंजेस : निहारिका खान निहारिका खान लंबे अर्से से विद्या बालन के लिए डिजाइन करती रही हैं। ‘द डर्टी पिक्‍चर’ में सिल्‍क स्मिता से लेकर अब ‘शकुंतला देवी’ के लिए भी निहारिका ने ही कॉस्‍ट्यूम डिजाइन की हैं। दैनिक भास्‍कर से खास बातचीत में उन्‍होंने शकुंतला देवी के गेटअप को तैयार करने की प्रोसेस शेयर की है। कैसे तैयार किया विद्या के गेटअप हम दोनों ने दो बार साथ काम किया है। वह मुझ पर बहुत भरोसा करती हैं। ट्रस्‍ट फैक्‍टर के चलते मुझे भी अपने आप से काफी उम्‍मीदें रहती हैं। ज्‍यादा प्रयोग करती हूं कि पिछले काम से बेहतर रिजल्‍ट दूं। इस फिल्म के लिए भी बहुत रिसर्च की है। वह इसलिए कि मुझे शकुंतला देवी के किरदार का 40 सालों का सफर दिखाना था। फैशन के साथ ऐसा है कि वह 10 साल में बदलता है। रिसर्च करने के बाद विद्या को जहन में रखकर भी कॉस्‍ट्यूम डिजाइन किया है। डर्टी पिक्चर के बाद शकुंतला देवी में उन्हें आपने किस तरह से सजाया है? दोनों फिल्‍में बायोपिक थीं। लिहाजा उन दोनों हस्‍तियों का बारीकी से ऑब्‍जरवेशन किया। उनकी ड्रेसिंग सेंस में विद्या कैसे फिट होती हैं, वह महसूस करने के बाद विद्या को सजाया। थोड़ी बहुत सिनेमैटिक लिबर्टी भी लेनी पड़ती है। ऑडिएंस को विद्या उन कॉस्‍ट्यूम्‍स में पसंद आएंगी कि नहीं, वह भी ध्‍यान में रखना पड़ता है। कई बार बहुत ज्‍यादा रियलिज्‍म के करीब रहने पर ऑडिएंस को वह पसंद नहीं आता है। थोड़ा खूबसूरत रखने के लिए बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना पड़ता है ताकि पर्दे पर किरदार और खूबसूरत लगे।साथ ही हम अपनी मैच्‍योरिटी भी दिखाते हैं कि किरदार कैसा लगेगा। कितने तरह के कॉस्ट्यूम चेंज है इस बार? शकुंतला देवी के किरदार में ढलने के लिए विद्या के 60 से 65 कॉस्‍ट्यूम चेंजेज रहे फिल्‍म में। डर्टी पिक्‍चर में सिल्‍क स्मिता के लिए तो डबल थे। स्मिता सिल्क के लिए तकरीबन 120 से 130 कॉस्‍ट्यूम बदली गई थीं। विद्या बालन खुद साड़ियों की बहुत अच्छी जानकार हैं, उनकी तरफ से क्या इनपुट रहे? साडि़यों के मामले में विद्या बालन को मुझसे ज्‍यादा जानकारी है। हमलोगों ने यकीनन साठ से अस्‍सी के दशक के फैशन को देखा। साथ ही हर राज्य में साडि़यों को पहनने का तरीका अलग होता है। दर्जनों स्‍टेट में साड़ी पहनने के डिजाइन की स्‍टडी करने के बाद तय किया कि विद्या किस तरह से साड़ी पहनें ताकि पर्दे पर वह और खूबसूरत लगें। साड़ी के फॉल तक के बारे में विद्या ने मुझे बताया कि क्‍या बेहतर लगेगा। उनके पास भी साड़ी थीं, जो उनके कबर्ड से लेकर मैंने रिसर्च किए। कॉस्टयूम डिजाइनिंग में किन बातों में ज्यादा फोकस करती हैं? प्री प्रॉडक्‍शन के दौरान रिसर्च के लिए काफी वक्‍त मिल जाता है। क्‍वारंटीन जैसा मामला रहा तो एक साल भी मिल जाए। बहरहाल, मुझे लास्‍ट मिनट में कॉल किया गया। यहां मेरी तैयारी का टाइम बहुत कम था। काम बहुत था, समय कम था। तो बड़े कम टाइम में इस पर रिसर्च की। मैं दरअसल डीओपी के साथ काम करती हूं। बीच-बीच में डायरेक्टर से निर्देश मिलते रहते हैं। डीओपी फिल्‍म के पैलेट में कौन से कलर रख रहे हैं, उनके साथ मैच करती हूं। प्रोडक्‍शन डिजाइन ने बताया कि 70 के दशक में खास तौर पर चीजें डिजाइन होती थीं तो उसका ख्‍याल रखा। सान्या मल्होत्रा के लिए कॉस्टयूम के कांसेप्ट आपके क्या रहे? कॉस्‍ट्यूम डिजाइन एक पूरा प्रॉसेस है। मैं पूरी फिल्‍म के लिए कॉस्‍ट्यूम डिजाइन करती हूं। कैरेक्‍टर डेवेलपमेंट को ध्‍यान में रखती हूं। इकनॉमिक बैकग्राउंड से लेकर कैरेक्‍टर के जीवन में क्‍या उथल-पुथल चल रही है, तब पूरी फिल्‍म डिजाइन होती है। अमित साध भी उसमें आएंगे। 60 के दशक को 70 में रख दूं तो वह अजीब सा लगेगा। दूसरी चीज कि मां और बेटी के तौर पर विद्या और सान्‍या का किरदार बिल्‍कुल अलग है तो उनके डिजाइन अलग रखे गए। ## Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today for Shakuntala Devi's getup, Vidya changed 60 to 65 costumes, did 120 to 130 changes in Dirty Pictures: Niharika Khan https://ift.tt/39lVeGi

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निहारिका खान लंबे अर्से से विद्या बालन के लिए डिजाइन करती रही हैं। ‘द डर्टी पिक्‍चर’ में सिल्‍क स्मिता से लेकर अब ‘शकुंतला देवी’ के लिए भी निहारिका ने ही कॉस्‍ट्यूम डिजाइन की हैं। दैनिक भास्‍कर से खास बातचीत में उन्‍होंने शकुंतला देवी के गेटअप को तैयार करने की प्रोसेस शेयर की है।

कैसे तैयार किया विद्या के गेटअप

हम दोनों ने दो बार साथ काम किया है। वह मुझ पर बहुत भरोसा करती हैं। ट्रस्‍ट फैक्‍टर के चलते मुझे भी अपने आप से काफी उम्‍मीदें रहती हैं। ज्‍यादा प्रयोग करती हूं कि पिछले काम से बेहतर रिजल्‍ट दूं। इस फिल्म के लिए भी बहुत रिसर्च की है। वह इसलिए कि मुझे शकुंतला देवी के किरदार का 40 सालों का सफर दिखाना था। फैशन के साथ ऐसा है कि वह 10 साल में बदलता है। रिसर्च करने के बाद विद्या को जहन में रखकर भी कॉस्‍ट्यूम डिजाइन किया है।

डर्टी पिक्चर के बाद शकुंतला देवी में उन्हें आपने किस तरह से सजाया है?

दोनों फिल्‍में बायोपिक थीं। लिहाजा उन दोनों हस्‍तियों का बारीकी से ऑब्‍जरवेशन किया। उनकी ड्रेसिंग सेंस में विद्या कैसे फिट होती हैं, वह महसूस करने के बाद विद्या को सजाया। थोड़ी बहुत सिनेमैटिक लिबर्टी भी लेनी पड़ती है। ऑडिएंस को विद्या उन कॉस्‍ट्यूम्‍स में पसंद आएंगी कि नहीं, वह भी ध्‍यान में रखना पड़ता है। कई बार बहुत ज्‍यादा रियलिज्‍म के करीब रहने पर ऑडिएंस को वह पसंद नहीं आता है। थोड़ा खूबसूरत रखने के लिए बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना पड़ता है ताकि पर्दे पर किरदार और खूबसूरत लगे।साथ ही हम अपनी मैच्‍योरिटी भी दिखाते हैं कि किरदार कैसा लगेगा।

कितने तरह के कॉस्ट्यूम चेंज है इस बार?

शकुंतला देवी के किरदार में ढलने के लिए विद्या के 60 से 65 कॉस्‍ट्यूम चेंजेज रहे फिल्‍म में। डर्टी पिक्‍चर में सिल्‍क स्मिता के लिए तो डबल थे। स्मिता सिल्क के लिए तकरीबन 120 से 130 कॉस्‍ट्यूम बदली गई थीं।

विद्या बालन खुद साड़ियों की बहुत अच्छी जानकार हैं, उनकी तरफ से क्या इनपुट रहे?

साडि़यों के मामले में विद्या बालन को मुझसे ज्‍यादा जानकारी है। हमलोगों ने यकीनन साठ से अस्‍सी के दशक के फैशन को देखा। साथ ही हर राज्य में साडि़यों को पहनने का तरीका अलग होता है। दर्जनों स्‍टेट में साड़ी पहनने के डिजाइन की स्‍टडी करने के बाद तय किया कि विद्या किस तरह से साड़ी पहनें ताकि पर्दे पर वह और खूबसूरत लगें। साड़ी के फॉल तक के बारे में विद्या ने मुझे बताया कि क्‍या बेहतर लगेगा। उनके पास भी साड़ी थीं, जो उनके कबर्ड से लेकर मैंने रिसर्च किए।

कॉस्टयूम डिजाइनिंग में किन बातों में ज्यादा फोकस करती हैं?

प्री प्रॉडक्‍शन के दौरान रिसर्च के लिए काफी वक्‍त मिल जाता है। क्‍वारंटीन जैसा मामला रहा तो एक साल भी मिल जाए। बहरहाल, मुझे लास्‍ट मिनट में कॉल किया गया। यहां मेरी तैयारी का टाइम बहुत कम था। काम बहुत था, समय कम था। तो बड़े कम टाइम में इस पर रिसर्च की। मैं दरअसल डीओपी के साथ काम करती हूं। बीच-बीच में डायरेक्टर से निर्देश मिलते रहते हैं। डीओपी फिल्‍म के पैलेट में कौन से कलर रख रहे हैं, उनके साथ मैच करती हूं। प्रोडक्‍शन डिजाइन ने बताया कि 70 के दशक में खास तौर पर चीजें डिजाइन होती थीं तो उसका ख्‍याल रखा।

सान्या मल्होत्रा के लिए कॉस्टयूम के कांसेप्ट आपके क्या रहे?

कॉस्‍ट्यूम डिजाइन एक पूरा प्रॉसेस है। मैं पूरी फिल्‍म के लिए कॉस्‍ट्यूम डिजाइन करती हूं। कैरेक्‍टर डेवेलपमेंट को ध्‍यान में रखती हूं। इकनॉमिक बैकग्राउंड से लेकर कैरेक्‍टर के जीवन में क्‍या उथल-पुथल चल रही है, तब पूरी फिल्‍म डिजाइन होती है। अमित साध भी उसमें आएंगे। 60 के दशक को 70 में रख दूं तो वह अजीब सा लगेगा। दूसरी चीज कि मां और बेटी के तौर पर विद्या और सान्‍या का किरदार बिल्‍कुल अलग है तो उनके डिजाइन अलग रखे गए।

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