बचपन से ही पैसे इकट्ठे करके लंगर लगाते थे सोनू सूद, मां- बाप से मिली मदद करने की सीख का ताउम्र करते रहेंगे पालन लॉकडाउन के फेज में अपनी मददगार प्रवृत्ति से सोनू सूद में लोग ‘मसीहा’ ढूंढने लगे हैं।आज सोनू 47 साल के हो रहे हैं। इस खास मौके पर उन्‍होंने दैनिक भास्‍कर से अपनी मुहिम, जन्मदिन और बचपन से जुड़ी खास बातचीत शेयर की हैं। लॉकडाउन के दौरान सबसे मुश्किल मदद कौन सी थी? हर रोज ही चुनौती रही है। खासकर तब, जब इतने सारे लोगों की आपसे अपेक्षाएं रहती हैं। भगवान की कृपा से सब अच्‍छा ही रहा है अब तक। 177 लेडीज को भेजना सबसे मुश्किल था। वह इसलिए कि ट्रैवलिंग का इश्‍यू था। प्राइवेट गाड़ियां करवाईं थी हम लोगों ने। फ्लाइट्स के लिए एयरपोर्ट खुलवाना बड़ा मुश्किल था। कोचीन और भुवनेश्‍वर का एयरपोर्ट खुलवाया था हम लोगों ने, जब हमने 177 लेडीज को रेस्‍क्यू किया था। फिर अभी जो किर्गीस्‍तान से 1500 मेडिकल स्‍टूडेंट्स को निकाला है, वह बड़ा मुश्किल था। जितने इंटरनेशनल इवेक्‍यूएशंस हैं, वो बड़े चैलेंजिंग रहे हैं। अभी फिलीपींस, मॉस्‍को, उज्‍बेकिस्‍तान और रशिया से भी लोग अप्रोच कर रहे हैं आने के लिए। कम उम्र में अकेले या दोस्तों के साथ मिलकर किसी की मदद की हो? मैं लंगर बहुत लगाता रहा हूं आज तक। पैसे इकट्ठे कर मीठे जल के छबीले लगाते थे। वो चीज शुरू से ही थी। पेरेंट्स से ही सीखा था। मदर-फादर सब यही कहते रहे थे कि मदद करते रहो। जो भी हाथ आगे फैलाए उसकी तो यकीनन मदद करो। यह बचपन से करने की वजह से आज यहां तक आदतें बरकरार हैं। मुझे लगता है भगवान ने यह शक्ति प्रदान की है। मैं चाहता हूं कि वह आगे भी ऐसा ही जोश मुझमें भरता रहे और मैं यूं ही मदद करता रहूं। कॉलेज या बचपन में जन्मदिन कैसे मनाते थे मेरे ख्‍याल से मैं कॉलेज में जरा चुपचाप सा रहने वाला शख्‍स था। वह इसलिए‍ कि उसी कॉलेज में मेरी मां प्रोफेसर थीं तो और ज्‍यादा डिसीप्लिन से चलता था। मेरी मदर जरूर कहा करती थीं कि उन स्‍टूडेंट्स की जरूर हेल्‍प किया करो, जो फीसेज अफोर्ड नहीं कर सकते। अगर वो किसी तरह का काम करना चाहते हैं तो उनकी जरूर हेल्‍प करो। आज मेरे पेरेंट्स तो नहीं रहे, मगर मैं हमेशा इस चीज की गुहार लगाता रहा हूं कि मुझे गर्व है कि उन्‍होंने जो सीख दी, उनकी वजह से मैं यहां तक पहुंच पाया। वाइफ सोनाली और बेटे ईशान अयान कैसे सरप्राइस देते रहे हैं? हैंडमेड कार्ड बनाते रहे हैं। उन पर बड़ी अच्‍छी अच्‍छी मेमरीज लिखेंगे। उनका कोलाज बनाते रहे हैं। मेरी वाइफ केक बहुत अच्‍छा बनाती हैं। ये छोटी-छोटी चीजें मेरा दिन बना देती हैं। इस बार भी वही है। घर पर ही रहूंगा। फैमिली के साथ ही टाइम बिताने का प्‍लान है। उम्‍मीद है कि इस बार भी बड़ा मजेदार दिन गुजरने वाला है। जॉब देने के लिए अपने एप्प में और क्या आप ऐड करने वाले हैं? देखिए मैं सबसे टच में हूं। जितने बड़े-बड़े कॉरपोरेट्स हैं, उन सबके। उन्‍हें बड़ी तादाद में लोग चाहिए। हमारे पास बहुत लोग हैं, जिन्‍हें काम की तलाश है। जितने भी प्रवासी भाई हैं, उन सबको ब्‍लू कॉलर्ड जॉब, ह्वाइट कॉलर्ड जॉब मुहैया कराने हैं। उन्‍हें उनके मतलब के जॉब दिलवाने हैं। इस बर्थडे पर क्‍या रेजॉल्‍यूशन ले रहे हैं सोनू? यही कि जो मुहिम मैंने छेड़ी है, वह आगे भी यूं ही चलती रहे। जरूरतमंदों के लिए कुछ न कुछ करता रहूं। यही इस मुहिम का आइडिया है। मैं आगे ऐसा करता ही रहूंगा। इन चार महीनों में इम्‍यून सिस्‍टम बेहतर रखने के लिए क्‍या कुछ करते रहे हैं? मैंने शुरू से ही बहुत ध्‍यान रखा है अपने शरीर का। एक्‍सरसाइज रेगुलर करता रहा हूं। ऐसा नहीं है कि इन तीन चार महीनों में ही कुछ एडिशनल किया है। जो आज तक मैंने खुद को संभाला है, उन्‍हीं ने मेरी मदद की है आज तक। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today happy birthday sonu sood: From childhood, Sonu used to collect money and anchor it https://ift.tt/3geTst8

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लॉकडाउन के फेज में अपनी मददगार प्रवृत्ति से सोनू सूद में लोग ‘मसीहा’ ढूंढने लगे हैं।आज सोनू 47 साल के हो रहे हैं। इस खास मौके पर उन्‍होंने दैनिक भास्‍कर से अपनी मुहिम, जन्मदिन और बचपन से जुड़ी खास बातचीत शेयर की हैं।

लॉकडाउन के दौरान सबसे मुश्किल मदद कौन सी थी?

हर रोज ही चुनौती रही है। खासकर तब, जब इतने सारे लोगों की आपसे अपेक्षाएं रहती हैं। भगवान की कृपा से सब अच्‍छा ही रहा है अब तक। 177 लेडीज को भेजना सबसे मुश्किल था। वह इसलिए कि ट्रैवलिंग का इश्‍यू था। प्राइवेट गाड़ियां करवाईं थी हम लोगों ने। फ्लाइट्स के लिए एयरपोर्ट खुलवाना बड़ा मुश्किल था। कोचीन और भुवनेश्‍वर का एयरपोर्ट खुलवाया था हम लोगों ने, जब हमने 177 लेडीज को रेस्‍क्यू किया था। फिर अभी जो किर्गीस्‍तान से 1500 मेडिकल स्‍टूडेंट्स को निकाला है, वह बड़ा मुश्किल था। जितने इंटरनेशनल इवेक्‍यूएशंस हैं, वो बड़े चैलेंजिंग रहे हैं। अभी फिलीपींस, मॉस्‍को, उज्‍बेकिस्‍तान और रशिया से भी लोग अप्रोच कर रहे हैं आने के लिए।

कम उम्र में अकेले या दोस्तों के साथ मिलकर किसी की मदद की हो?

मैं लंगर बहुत लगाता रहा हूं आज तक। पैसे इकट्ठे कर मीठे जल के छबीले लगाते थे। वो चीज शुरू से ही थी। पेरेंट्स से ही सीखा था। मदर-फादर सब यही कहते रहे थे कि मदद करते रहो। जो भी हाथ आगे फैलाए उसकी तो यकीनन मदद करो। यह बचपन से करने की वजह से आज यहां तक आदतें बरकरार हैं। मुझे लगता है भगवान ने यह शक्ति प्रदान की है। मैं चाहता हूं कि वह आगे भी ऐसा ही जोश मुझमें भरता रहे और मैं यूं ही मदद करता रहूं।

कॉलेज या बचपन में जन्मदिन कैसे मनाते थे

मेरे ख्‍याल से मैं कॉलेज में जरा चुपचाप सा रहने वाला शख्‍स था। वह इसलिए‍ कि उसी कॉलेज में मेरी मां प्रोफेसर थीं तो और ज्‍यादा डिसीप्लिन से चलता था। मेरी मदर जरूर कहा करती थीं कि उन स्‍टूडेंट्स की जरूर हेल्‍प किया करो, जो फीसेज अफोर्ड नहीं कर सकते। अगर वो किसी तरह का काम करना चाहते हैं तो उनकी जरूर हेल्‍प करो। आज मेरे पेरेंट्स तो नहीं रहे, मगर मैं हमेशा इस चीज की गुहार लगाता रहा हूं कि मुझे गर्व है कि उन्‍होंने जो सीख दी, उनकी वजह से मैं यहां तक पहुंच पाया।

वाइफ सोनाली और बेटे ईशान अयान कैसे सरप्राइस देते रहे हैं?

हैंडमेड कार्ड बनाते रहे हैं। उन पर बड़ी अच्‍छी अच्‍छी मेमरीज लिखेंगे। उनका कोलाज बनाते रहे हैं। मेरी वाइफ केक बहुत अच्‍छा बनाती हैं। ये छोटी-छोटी चीजें मेरा दिन बना देती हैं। इस बार भी वही है। घर पर ही रहूंगा। फैमिली के साथ ही टाइम बिताने का प्‍लान है। उम्‍मीद है कि इस बार भी बड़ा मजेदार दिन गुजरने वाला है।

जॉब देने के लिए अपने एप्प में और क्या आप ऐड करने वाले हैं?

देखिए मैं सबसे टच में हूं। जितने बड़े-बड़े कॉरपोरेट्स हैं, उन सबके। उन्‍हें बड़ी तादाद में लोग चाहिए। हमारे पास बहुत लोग हैं, जिन्‍हें काम की तलाश है। जितने भी प्रवासी भाई हैं, उन सबको ब्‍लू कॉलर्ड जॉब, ह्वाइट कॉलर्ड जॉब मुहैया कराने हैं। उन्‍हें उनके मतलब के जॉब दिलवाने हैं।

इस बर्थडे पर क्‍या रेजॉल्‍यूशन ले रहे हैं सोनू?

यही कि जो मुहिम मैंने छेड़ी है, वह आगे भी यूं ही चलती रहे। जरूरतमंदों के लिए कुछ न कुछ करता रहूं। यही इस मुहिम का आइडिया है। मैं आगे ऐसा करता ही रहूंगा।

इन चार महीनों में इम्‍यून सिस्‍टम बेहतर रखने के लिए क्‍या कुछ करते रहे हैं?

मैंने शुरू से ही बहुत ध्‍यान रखा है अपने शरीर का। एक्‍सरसाइज रेगुलर करता रहा हूं। ऐसा नहीं है कि इन तीन चार महीनों में ही कुछ एडिशनल किया है। जो आज तक मैंने खुद को संभाला है, उन्‍हीं ने मेरी मदद की है आज तक।



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