पोर्ट में दावा- पैरानोया और बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी मेंटल कंडीशन से परेशान थे सुशांत, इलाज के लिए हफ्तेभर अस्पताल में भर्ती भी रहे सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड को लगभग एक महीना हो गया है। लेकिन अब तक यह वजह साफ नहीं हुई है कि आखिर उन्होंने यह घातक कदम क्यों उठाया? डिप्रेशन की बात पहले ही सामने आ चुकी है। अब एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि सुशांत दो बीमारियों पैरानोया और बाइपोलर डिसऑर्डर से परेशान थे। वे एक सप्ताह तक हिंदुजा हॉस्पिटल में भर्ती भी रहे थे। रिपोर्ट में यह दावा मुंबई पुलिस के एक ऑफिसर के हवाले से किया गया है। पेशेवर साजिश के कोई सबूत नहीं मिले एनबीटी ने एक पुलिस अधिकारी के हवाले से लिखा है कि सुशांत केस में इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि उनके खिलाफ कोई पेशेवर साजिश हुई है। यह भी साफ हो गया है कि पूरा मामला सुसाइड का है। इसके पीछे की वजह पर भी पुलिस पहुंच चुकी है। रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि सुशांत पैरानोया और बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे थे और इन बीमारियों का इलाज कराने के लिए देश में लॉकडाउन घोषित होने से पहले एक सप्ताह तक हिंदुजा हॉस्पिटल में भर्ती रहे थे। अकेलेपन की बात सामने आई पुलिस ऑफिसर के हवाले से इस रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया है कि सुशांत की मां डिप्रेशन से पीड़ित थीं। उनका लंबा इलाज चला था। जब उनकी मौत हुई, तब सुशांत 16 साल के थे। उनकी चार बहनें हैं, जिनकी शादी हो चुकी थी और पिता बिहार में ही रहते थे। कुछ गवाहों ने पूछताछ में बताया है कि बॉलीवुड में व्यस्तता होने के बावजूद सुशांत अकेलापन महसूस करते थे। पैरानोया में इंसान शक करने लगता है पुलिस अधिकारी के मुताबिक, पैरानोया ऐसी बीमारी है, जिसमें इंसान दूसरों पर शक करने लगता है। उसे लगने लगता है कि सभी उससे नफरत करते हैं। कई बार वह खुद की हत्या की आशंका में घिर जाता है। वहीं, बाइपोलर डिसऑर्डर में कभी इंसान टेंशन में आ जाता है, कभी एकदम आत्मविश्वासी हो जाता है तो कभी एकदम गुमसुम हो जाता है। इस बीमारी में इंसान चाहे भी तो खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाता है। मानसिक रोगी दिल के मरीजों जैसे इसी रिपोर्ट में मनोचिकित्सक डॉक्टर हरीश शेट्टी के हवाले से लिखा है कि मानसिक बीमारी से जूझ रहे इंसान की हालत दिल की बीमारी से पीड़ित इंसान की तरह ही होती है। जिस तरह दिल के कई मरीज आईसीयू में भर्ती होने के बावजूद भी नहीं बचते। उसी तरह मानसिक बीमारी से जूझ रहे कुछ मरीज भी हार जाते हैं और अंत में आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं।" Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Sushant Singh Rajput Was Was Suffering From Paranoia And Bipolar Disorder, Was Admitted To Hinduja Hospital Before Lockdown https://ift.tt/2OgIQOd

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सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड को लगभग एक महीना हो गया है। लेकिन अब तक यह वजह साफ नहीं हुई है कि आखिर उन्होंने यह घातक कदम क्यों उठाया? डिप्रेशन की बात पहले ही सामने आ चुकी है। अब एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि सुशांत दो बीमारियों पैरानोया और बाइपोलर डिसऑर्डर से परेशान थे। वे एक सप्ताह तक हिंदुजा हॉस्पिटल में भर्ती भी रहे थे। रिपोर्ट में यह दावा मुंबई पुलिस के एक ऑफिसर के हवाले से किया गया है।

पेशेवर साजिश के कोई सबूत नहीं मिले

एनबीटी ने एक पुलिस अधिकारी के हवाले से लिखा है कि सुशांत केस में इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि उनके खिलाफ कोई पेशेवर साजिश हुई है। यह भी साफ हो गया है कि पूरा मामला सुसाइड का है। इसके पीछे की वजह पर भी पुलिस पहुंच चुकी है।

रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि सुशांत पैरानोया और बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे थे और इन बीमारियों का इलाज कराने के लिए देश में लॉकडाउन घोषित होने से पहले एक सप्ताह तक हिंदुजा हॉस्पिटल में भर्ती रहे थे।

अकेलेपन की बात सामने आई

पुलिस ऑफिसर के हवाले से इस रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया है कि सुशांत की मां डिप्रेशन से पीड़ित थीं। उनका लंबा इलाज चला था। जब उनकी मौत हुई, तब सुशांत 16 साल के थे। उनकी चार बहनें हैं, जिनकी शादी हो चुकी थी और पिता बिहार में ही रहते थे। कुछ गवाहों ने पूछताछ में बताया है कि बॉलीवुड में व्यस्तता होने के बावजूद सुशांत अकेलापन महसूस करते थे।

पैरानोया में इंसान शक करने लगता है

पुलिस अधिकारी के मुताबिक, पैरानोया ऐसी बीमारी है, जिसमें इंसान दूसरों पर शक करने लगता है। उसे लगने लगता है कि सभी उससे नफरत करते हैं। कई बार वह खुद की हत्या की आशंका में घिर जाता है। वहीं, बाइपोलर डिसऑर्डर में कभी इंसान टेंशन में आ जाता है, कभी एकदम आत्मविश्वासी हो जाता है तो कभी एकदम गुमसुम हो जाता है। इस बीमारी में इंसान चाहे भी तो खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाता है।

मानसिक रोगी दिल के मरीजों जैसे

इसी रिपोर्ट में मनोचिकित्सक डॉक्टर हरीश शेट्टी के हवाले से लिखा है कि मानसिक बीमारी से जूझ रहे इंसान की हालत दिल की बीमारी से पीड़ित इंसान की तरह ही होती है। जिस तरह दिल के कई मरीज आईसीयू में भर्ती होने के बावजूद भी नहीं बचते। उसी तरह मानसिक बीमारी से जूझ रहे कुछ मरीज भी हार जाते हैं और अंत में आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं।"



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