पिता जगदीप की पार्थिव देह को लेकर कब्रिस्तान पहुंचे जावेद जाफरी, 1:30- 3:00 बजे के बीच किया जाएगा सुपुर्द-ए-खाक दिग्गज अभिनेता और कॉमेडियन जगदीप उर्फ सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी को मुस्तफा बाजार मझगांव स्थित शिया कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए- खाक किया जाएगा। उनके बेटे जावेद पार्थिव देह को लेकर कब्रिस्तान पहुंच चुके हैं। 1:30-3:00 बजे के बीच होंगे सुपुर्द-ए-खाक रिपोर्ट्स की मानें तो जगदीप को सुपुर्द-ए-खाक किए जाने का वक्त 1:30- 3:00 के बीच का है। बताया जा रहा है कि परिवार जगदीप के पोते और जावेद के बेटे मीजान जाफरी के आने का इंतजार कर रहा है, जो मुंबई से बाहरअपने फार्महाउस पर थे। बुधवार को हुआ इंतकाल बुधवार रात करीब 8:30 बजे मुंबई स्थित घर में जगदीप का इंतकाल हुआ। वे अभिनेता जावेद और नावेद जाफरी के पिता थे। उनकी मुस्कान नाम की एक बेटी भी है। बताया जा रहा कि 81 साल के जगदीप लंबे समय से बीमारियों से परेशान चल रहे थे। पॉपुलर किरदार 'सूरमा भोपाली' जगदीप की ही खोज था जगदीप रमेश सिप्पी की फिल्म 'शोले' (1975) के किरदार सूरमा भोपाली के नाम से पॉपुलरथे। यह बात कम ही लोग जानते होंगे कि इस किरदार की खोज का क्रेडिट भी उन्हें ही जाता है। दरअसल, जब 'शोले' के राइटर सलीम-जावेद कहानी लिख रहे थे, तब जगदीप ने खुद उन्हें भोपाल के एक फॉरेस्ट ऑफिसर के बारे में बताया था, जिसे सूरमा कहा जाता था। जगदीप ने सूरमा की खासियत के बारे में भी सलीम-जावेद के साथ डिस्कशन किया था, जिन्हें फिल्म में शामिल किया गया। यह खुलासा खुद जगदीप ने एक इंटरव्यू में किया था। जगदीप ने बतौर निर्देशककिरदार 'सूरमा भोपाली' पर 1988 में इसी टाइटल के साथ फिल्म बनाईऔर उन्होंने ही इसमें मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म को उनके बेटे नवेद ने प्रोड्यूस किया था। अमिताभ बच्चन, रेखा और धर्मेंद्र ने इसमें कैमियो किया था। मध्य प्रदेश में जन्मे थे जगदीप 29 मार्च, 1939 को जगदीप का जन्म मध्य प्रदेश के दतिया में हुआ था। उन्होंने बचपन में ही बी. आर. चोपड़ा की फिल्म 'अफसाना' से मास्टर मुन्ना के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। लगभग 400 फिल्मों में नजर आए जगदीप ने बिमल रॉय की फिल्म 'दो बीघा जमीन' से कॉमेडी में कदम रखा था। बाद में 'ब्रह्मचारी', 'नागिन', 'आर पार', 'हम पंछी एक डाल के', 'दिल्ली दूर नहीं' और 'अंदाज अपना अपना' जैसी कई फिल्मों में कॉमिक किरदार निभाते देखा गया। कॉमेडी के साथ-साथ जगदीप ने रामसे ब्रदर्स की 'पुराना मंदिर' और 'सामरी' जैसी हॉरर फिल्मों में भी काम किया। जगदीप ने पांच फिल्मों में लीड रोल भी किया था। इनमें 'बिंदिया', बरखा' और 'भाभी शामिल हैं। 2017 में आई थी आखिरी फिल्म जगदीप आखिरी बार 2017 में आई फिल्म 'मस्ती नहीं सस्ती' में नजर आए थे। अली अब्बास चौधरी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में उनके को-एक्टर प्रेम चोपड़ा, कादर खान, जॉनी लीवर, शक्ति कपूर और रवि किशन थे। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today जावेद जाफरी और उनकी पत्नी जगदीप की पार्थिव देह को लेकर कब्रिस्तान ले जाते हुए। जगदीप जिस सूरमा भोपाली के किरदार से पॉपुलर थे, उसका आइडिया उन्हें ही भोपाल के एक फॉरेस्ट ऑफिसर को देखकर आया था। https://ift.tt/3iM8jgD

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दिग्गज अभिनेता और कॉमेडियन जगदीप उर्फ सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी को मुस्तफा बाजार मझगांव स्थित शिया कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए- खाक किया जाएगा। उनके बेटे जावेद पार्थिव देह को लेकर कब्रिस्तान पहुंच चुके हैं।

1:30-3:00 बजे के बीच होंगे सुपुर्द-ए-खाक

रिपोर्ट्स की मानें तो जगदीप को सुपुर्द-ए-खाक किए जाने का वक्त 1:30- 3:00 के बीच का है। बताया जा रहा है कि परिवार जगदीप के पोते और जावेद के बेटे मीजान जाफरी के आने का इंतजार कर रहा है, जो मुंबई से बाहरअपने फार्महाउस पर थे।

बुधवार को हुआ इंतकाल

बुधवार रात करीब 8:30 बजे मुंबई स्थित घर में जगदीप का इंतकाल हुआ। वे अभिनेता जावेद और नावेद जाफरी के पिता थे। उनकी मुस्कान नाम की एक बेटी भी है। बताया जा रहा कि 81 साल के जगदीप लंबे समय से बीमारियों से परेशान चल रहे थे।

पॉपुलर किरदार 'सूरमा भोपाली' जगदीप की ही खोज था

जगदीप रमेश सिप्पी की फिल्म 'शोले' (1975) के किरदार सूरमा भोपाली के नाम से पॉपुलरथे। यह बात कम ही लोग जानते होंगे कि इस किरदार की खोज का क्रेडिट भी उन्हें ही जाता है।

दरअसल, जब 'शोले' के राइटर सलीम-जावेद कहानी लिख रहे थे, तब जगदीप ने खुद उन्हें भोपाल के एक फॉरेस्ट ऑफिसर के बारे में बताया था, जिसे सूरमा कहा जाता था। जगदीप ने सूरमा की खासियत के बारे में भी सलीम-जावेद के साथ डिस्कशन किया था, जिन्हें फिल्म में शामिल किया गया। यह खुलासा खुद जगदीप ने एक इंटरव्यू में किया था।

जगदीप ने बतौर निर्देशककिरदार 'सूरमा भोपाली' पर 1988 में इसी टाइटल के साथ फिल्म बनाईऔर उन्होंने ही इसमें मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म को उनके बेटे नवेद ने प्रोड्यूस किया था। अमिताभ बच्चन, रेखा और धर्मेंद्र ने इसमें कैमियो किया था।

मध्य प्रदेश में जन्मे थे जगदीप

29 मार्च, 1939 को जगदीप का जन्म मध्य प्रदेश के दतिया में हुआ था। उन्होंने बचपन में ही बी. आर. चोपड़ा की फिल्म 'अफसाना' से मास्टर मुन्ना के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी।

लगभग 400 फिल्मों में नजर आए जगदीप ने बिमल रॉय की फिल्म 'दो बीघा जमीन' से कॉमेडी में कदम रखा था। बाद में 'ब्रह्मचारी', 'नागिन', 'आर पार', 'हम पंछी एक डाल के', 'दिल्ली दूर नहीं' और 'अंदाज अपना अपना' जैसी कई फिल्मों में कॉमिक किरदार निभाते देखा गया।

कॉमेडी के साथ-साथ जगदीप ने रामसे ब्रदर्स की 'पुराना मंदिर' और 'सामरी' जैसी हॉरर फिल्मों में भी काम किया। जगदीप ने पांच फिल्मों में लीड रोल भी किया था। इनमें 'बिंदिया', बरखा' और 'भाभी शामिल हैं।

2017 में आई थी आखिरी फिल्म

जगदीप आखिरी बार 2017 में आई फिल्म 'मस्ती नहीं सस्ती' में नजर आए थे। अली अब्बास चौधरी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में उनके को-एक्टर प्रेम चोपड़ा, कादर खान, जॉनी लीवर, शक्ति कपूर और रवि किशन थे।



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जावेद जाफरी और उनकी पत्नी जगदीप की पार्थिव देह को लेकर कब्रिस्तान ले जाते हुए। जगदीप जिस सूरमा भोपाली के किरदार से पॉपुलर थे, उसका आइडिया उन्हें ही भोपाल के एक फॉरेस्ट ऑफिसर को देखकर आया था।


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